×

अभी तो यह आगाज है, अंजाम...

Dr. Yogesh mishr
Published on: 14 Jan 1999 3:16 PM IST
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारत-पाक रिश्तों के  बीच एक नई शुरुआत करना चाहते हैं। भारत-पाक के  आपसी रिश्तों को लेकर वेे खासे आश्वस्त नजर आ रहे हैं। न्यूयार्क पैलेस होटल में पाकिस्तान के  प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के  साथ हुई बातचीत के  बाद भारत के  प्रधानमंत्री की संभावनाओं ने आकार ग्रहण करना शुरू कर दिया है। पिले वर्ष मार्च में जब वाजपेयी सरकार केंद्र में सत्तारूढ़ हुई तो पाक नागरिकों में विशेष किस्म का उत्साह था। उन्हें वाजपेयी के  जनता पार्टी काल के  विदेश मंत्री का स्मरण हो उठा। उस समय पाकिस्तान आना-जाना और भारत तथा पाक को वीजा पाना बेहद सरल था। बहुतेरे लोग विभाजन की त्रासदी के  बाद इसी कार्यकाल में अपने परिजनों से मिले। जनता पार्टी की सरकार के  पराभव के  साथ भारत-पाक रिश्ते ओरागं-टांग की तरह अड़ गए। विदेश मंत्री वाजपेयी जब प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने पोखरण परमाणु विस्फोट और अग्नि परीक्षण कर डाला। पोखरण परमाणु विस्फोट के  बहाने पूरे देश में शौर्य दिवस मनाने की एक नयी राजनीतिक परंपरा स्थापित करने की कोशिश भी भाजपा की ओर से की गई। यह बात दूसरी है कि इस कोशिश के  प्रतिउत्तर में पाक के  वजीरे आजम नवाज शरीफ ने परमाणु विस्फोट करके  उसकी हवा ही निकाल दी। भारत-पाक रिश्ते आरंभ से बेहद तल्ख रहे हैं। केंद्र में वाजपेयी सरकार के  सत्तारू होने के  बाद जय जवान, जय किसान के  साथ जय विज्ञान को जो दिए जाने से रिश्तों की तल्खी बेहद तेज हुई। पाकिस्तानी अवाम विदेश मंत्रालय वाले दिनों की वापसी की बात भूल हो गया। पाक विदेश मंत्री गौहर अयूब खान ने गत वर्ष नेशनल असंेबली में बेलाग कहा, पाकिस्तान में जितने भी बम विस्फोट हो रहे हैं और विदेश में हत्याएं हो रही है। उनके  बारे में मिलने वाली सारी सूचनाएं इस मान्यता को पुष्ट करती है कि यह सब कुछ भारतीय खुफिया एजेंसी रा का किया गया है। रिश्तों की कवाहट यहां तक पहंुची कि भारत के  गृहमंत्री ने पाकिस्तान को आतंकवादी देश बताया।
भारतीय गृह मंत्रालयों की रिपोर्ट यह बताती है कि आईएसआई ने पिछले एक दशक में भारत को आंतरिक सुरक्षा पर 64,500 करोड़ रुपए की भारी-भरकम धनराशि खर्च करने पर मजबूर किया। इतना ही नहीं, रिपोर्ट के  अगले पन्नों से पता चलता है कि आईएसआई के  आतंक से पिछले दस वर्षों से 2.78 लाख लोग बेघर हुए। लगभग दो हजार करोड़ रुपए की संपत्ति की हानि हुई। 5101 सुरक्षाकर्मी और 29151 नागरिक आईएसआई की गतिविधियों के  चलते काल के  गाल में समा गए। लगभग 62000 आईएसआई ने आतंकी गतिविधियां संचालित करने के  लिए प्रशिक्षित किया। खुफिया ब्यूरो के  मुताबिक पिछले एक दशक में सात हजार एजेंटों को भारतीय सीमा में घुसपैठ कराने में आईएसआई सफल हुई। 1947 के  बाद से तीन बार युद्ध कर चुके  भारत-पाक रिश्तों में 1994 से गंभीर बातचीत के  रास्ते बंद हो गए। वाजपेयी सरकार के  सत्तारूढ़ होने के  बाद से बातचीत के  कुछ दौर तो चले परंतु उनके  परिणाम समर्थक नहीं रहे। विदेश सचिवों के  स्तर की वार्ता का कोई हल नहीं निकला। क्योंकि दोनों देशों के  विदेश सचिवों के  बीच वार्ता जिस बिंदु से शुरू होती है। वहीं जाकर खत्म हो जाती है। गत अक्टूबर में हुई बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंल ने एक-दूसरे के  विरुद्ध परमाणु हथियार का पहले इस्तेमाल न करने के  लिए एक समझौता करने का प्रस्ताव किया था। लेकिन इस प्रस्ताव को पाकिस्तान ने खारिज कर दिया। इसके  बदले पाक ने भारत को परस्पर विश्वास का माहौल बनाने के  लिए तीन पेज का एक मांग पत्र पकड़ा दिया। इस मांग पत्र में अनाक्रमण संधि, सैन्य बलों का प्रयोग न करने समेत तमाम शर्तें शामिल थीं।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय जम्मू-कश्मीर को एक ऐसा मुख्य मुद्दा मानता है जिसे कभी भी संधि के  पहले हल करना आवश्यक है। पाक संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के  तहत काश्मीर समस्या का हल चाहता है। संयुक्त राष्ट्र के  प्रस्ताव में जनमत संग्रह और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की बात कही गई है। कोलंबों में नवाज शरीफ भी कह चुके  हैं कि किसी भी ठोस मुद्दे पर बातचीत की शुरुआत कश्मीर से ही होती है। कश्मीर को छोड़कर अगर सोचा जाए कि दूसरे क्षेत्रांे में सहयोग बढ़ाने से रिश्ते सुधर सकते हैं तो पिछले पचास सालों में हो चुका होता। पाकिस्तानी अखबार ‘न्यूज’, ‘जंग’, ‘डान’ और ‘मुस्लिम’ जैसे समाचारपत्रों की खबरों को भी भारत-पाक रिश्तों के  बीच देखने की जरूरत महसूस की जानी चाहिए। इन अखबारों में छपने वाली भारत विरोधी खबरों की काफी मांग है। ऐसा अखबार नवीस कहते हैं।  भारत में भी आईएसआई से संबंधित खबरें लिखने का शगल चल निकला है। भारत में हो रही तमाम हिंसक एवं आपराधिक गतिविधियों के  लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को जिम्मेदार ठहरा देना आम चलन है। पाक में गजला-ए-हिंद (हिंद की जंग) पर हो रहे एक सेमिनार में लश्कर-ए-तैयबा के  कश्मीर में भारत के  खिलाफ जेहाद कर रहे उग्रवादियों को जाबांजी व रणनीतियों का बखान कर रहे थे। एक ओर पाकिस्तान ‘गोरी का प्रक्षेपण’ कर अपनी ताकत दिखाता है तो दूसरी ओर भारत ‘अग्नि से जवाब देता है। इतना ही नहीं, भारतीय रक्षा अनुसंधान संस्थान के  वैज्ञानिकों ने अग्नि के  परीक्षण के  दौरान ‘सूर्य’ के  अलावा चार अन्य प्रकार की मिसाइलों को विकसित करने की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। ‘धनुष’, ‘सागारिका’, ‘अस्त्र’ और अग्नि-2 जैसी मिसाइलों के  विकसित हो जाने के  बाद भारत-पाक रिश्तों में बातचीत के  परिणाम सुखद नहीं आएंगे। क्यांेकि पाक का यह मानना है कि भारत के  रक्षा क्षेत्रों में की जा रही तैयारियंा पाकिस्तान के  लिए ठीक नहीं है। दो से सात दिंसबर तक चले ‘शिव शक्ति अभियान’ के  खिलाफ पाक पहले भी अपनी नाराजगी जता चुका है। पाकिस्तान अखबार डान भारत-पाक वार्ता से आशाजनक परिणाम नहीं आने का संक¢त पहले ही दे चुका है। पाकिस्तानी नेता गौहर अयूब खान ने ‘गोरी’ के  सफल प्रक्षेपण के  अवसर पर कहा था कि इससे देशों के  बीच तनाव कम होगा। ‘अग्नि’ का प्रक्षेपण तनाव बाएगा। ‘गोरी’ का प्रक्षेपण तनाव कम करेगा ?
पाकिस्तानी अखबार ‘मुस्लिम’ ने अपनी टिप्पणी में यहां तक लिखा, ‘इससे भारत के  मुसलमानों की लाचारी का पता चलता है क्यांेकि जो भाजपा उनके  खिलाफ आग उगलती है। उसी से वह अपनी रक्षा की उम्मीद कर रहे हैं।’ पाकिस्तान में क्या कुछ होता है, उसकी नोटिस लेने और निंदा करने की आवश्यकता भारत सरकार ने कभी महसूस नहीं की। परंतु पाकिस्तान की नेशनल असंेबली ने ईसाईयों पर हो रहे जुल्म के  लिए भारत की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। पाकिस्तान यह भूल गया है कि आजाद भारत का पहला सेनापति इसाई था। भारत में राष्ट्रपति पद पर दो अल्पसंख्यक रह चुके  हैं। पाकिस्तान के  संविधान के  अनुसार कोई गैर मुस्लिम राष्ट्रपति नहीं हो सकता। इतना ही नहीं, कोई मुस्लिम अन्य धर्म भी ग्रहण नहीं कर सकता। भारत और पाकिस्तान के  बीच युद्ध के  भयावह दृश्यों की कल्पना अमरीकी अकादमियां करती रहती हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के  तैयार रेड कारपोरेशन की रिपोर्ट में भारत-पाक युद्ध की संभावना दर्ज है। रिपोर्ट के  अनुसार पंजाब और कश्मीर की विरोधी गतिविधियों के  पाकिस्तानी उकसावे के  कारण यह स्थिति पैदा हो सकती है। भारत पाक को चुनौती दे सकता है। भारत-पाक के  बीच पिछले 50 सालों में हुई बातचीत, तीन युद्धों के  परिणामों को नजरंदाज करते हुए प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पता नहीं क्यों और कैसे पाकिस्तान से सौहार्दपूर्ण रिश्ते बन जाने का सपना देख रहे हैं। समझौता एक्सप्रेस के  परिणाम भी निराश करने वाले रहे हैं। फिर भी अतीत से सबक न लेकर वाजपेयी दोनों देशों के  बीच प्रस्तावित बस सेवा में बतौर हमसफर शामिल होने, नवाज शरीफ से बातचीत कर सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने की सफलता का दावा कर रहे हैं। वाजपेयी के  दावे को अगर भारत-पाक रिश्तों के  मद्देनजर जांचा और परखा जाए तो निष्कर्ष के  तौर पर मुस्कुराने की कूटनीतिक रस्म अदायगी करते हुए प्रस्तावित बस यात्रा के  बाद दोनों देशों के  राजनय महज इतना ही कहते नजर आएंगे-माहौल सोहार्दपूर्ण रहा। गतिरोध टूटा। रचनात्मक दिशा में बात हुई। दोनों देशों की जनता, मीडिया और नेता यह कहने और बोलने के  लिए पचास सालों से अभ्यस्त हैं।
Dr. Yogesh mishr

Dr. Yogesh mishr

Next Story