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भाजपा की विकेन्द्रीकृत चुनाव प्रचार की नीति

Dr. Yogesh mishr
Published on: 23 Jan 1999 3:43 PM IST
भारतीय जनता पार्टी के  बारहवें लोकसभा चुनाव में के न्द्रीय स्तर पर कोई चुनाव प्रचार नीति नहीं अपनाएगी। पार्टी सूत्रों का मानना है कि लोकस चुनाव में पार्टी ने कई क्षेत्रीय दलों से गठबंधन किया है, ऐसे में डिसेन्ट्रलाइज चुनाव प्रचार की नीति ही खासी कारगर हो सकती है क्योंकि क्षेत्रीय दलों से गठबंधन के  कारण अलग-अलग पार्टियों को चुनाव में काउंटर करना होगा। फिर भी लोस चुनाव में स्टेबिलिटी और करप्शन पार्टी के  मुख्य मुद्दे होंगे। भाजपा का मुख्य नारा एबल प्राइममिनिस्टर, स्टेबिल गवर्नमेन्ट होगा। गत लोकसभा चुनाव में बीजेपीः मेड फार इंडिया नाम से आॅडियो कैसेट जारी करने वाली यह पार्टी इस बार आॅडियो प्रचार के  क्षेत्र में प्रचार गीत ‘यह आस है भारत मां की, मन विश्वास अटल हो’ जारी करेगी। पिछले लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय एडवरटाइजिंग के  माध्यम से अपना मीडिया कैम्पेन कराने वाली भाजपा इस बार अपने चुनाव प्रचार के  लिए किसी एजेंसी पर निर्भर नहीं रहेगी। पार्टी के  थिंक टैंकों को जुटाकर इस काम के  लिए इस बार एक टास्कफोर्स गठित की गयी है। पार्टी अपना चुनाव घोषणा पत्र फरवरी के  प्रथम सप्ताह में जारी करेगी, जिसमें अर्थनीति पर खासा जोर होगा।
पिछले लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय एडवरटाइजिंग के  माध्यम से अपना मीडिया कैम्पेन चलाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने इस बार अपने प्रचार की बागडोर विज्ञापन एजेंसियों को देने के  लिए देश की कुछ चुनिंदा विज्ञापन एजेंसियों सिस्टा, लिंटास, अक्षरा, राष्ट्रीय, जया, विजया, परफेक्ट रिलेशंस आदि से गत सोमवार को बातचीत की थी। पार्टी सूत्रों का विचार था कि कांग्रेस ने इस बार का अपना मीडिया कैम्पेन परफेक्ट रिलेशंस को दे रखा है तो इसका मुकाबला करने के  लिए किसी और बड़ी विज्ञापन एजेंसी से बातचतीत की जाये। उल्लेखनीय है कि राजीव गांधी के  जमाने से शुरू किया गया मीडिया कैम्पेन का यह तरीका जोर पकड़ता जा रहा है। मैनेजमेंट की भाषा में कहें तो ये एजेंसियां प्रमुख पार्टियों और चुनिंदा नेताओं के  मार्केटिंग का काम एक प्रोडक्ट के  स्तर पर करती हैं। ये एजेंसियां एक ओर चुनावी खबरों पर पैनी नजर रखती हैं वहीं दूसरी ओर अपनी राजनीतिक पार्टी केा उत्पाद के  रूप में मतदाताओं के  सामने बेहतर तरीके  से रखने के  साथ ही साथ पर्दे के  पीछे से वे सारे रास्ते अख्तियार करती हैं जिससे पार्टी की राजनीतिक छवि को मतदाओं के  मनमाफिक बनाया और बताया जा सके । इस काम मंे ये विरोधी दल/प्रत्याशियों की कमजोरियांे को उजागर करने के  साथ ही साथ अखबार से भी पार्टी के  लिए लाइजनिंग करती हैं।
भाजपा के  प्रचार की बागडोर संभालने वाले नेताओं ने विज्ञापन एजेंसियों से बातचीत के  बाद यह पाया कि किसी एजेंसी को प्रचार का काम सौंपने से इस चुनाव में काम चलने वाला नहीं है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी एक राष्ट्रीय पार्टी के  रूप में चुनाव आयोग में भले ही मान्य हो परंतु बारहवें लोकसभा चुनाव में उसने के न्द्र में सरकार बनाने के  लिए कई क्षेत्रीय दलों से गठबंधन कर रखा है और बातचीत में अभी विज्ञापन एजेंसियों का इन अलग-अलग गठबंधन वाले राज्यों में न ही कोई स्थापित कार्यालय है और न ही काम-काज के  लिए ठोस पृष्ठभूमि है, इसलिए पार्टी ने प्रचार रणनीति अन्तिम रूप से यह तय किया कि एक टास्कफोर्स बनाया जाये जो क्षेत्रीय दलों से हुए गठबंधन की जरूरतों के  अनुसार योग्य प्रधानमंत्री और स्थिर सरकार जैसे मुद्दों को के न्द्र में रखकर डिसेन्ट्रलाइज कैम्पेन पर निगाह रखे।
पार्टी के  एक वर्ग का तर्क है कि स्थिर सरकार का नारा कांग्रेस अपने पक्ष में भुना सकती है परंतु स्थिर सरकार के  नारे के  पक्षधर अपने पक्ष में कांग्रेस का मीडिया कैम्पेन संभाल रही परफेक्ट रिलेशंस के  उस तर्क को खासा तरजीह दे रहे हैं जिसमें एक रायशुमारी के  माध्यम से यह निष्कर्ष जुटा गया है कि आम मतदाता इस मध्यावधि चुनाव के  लिए कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम के सरी को दोषी मानता है।
दीनानाथ मिश्र, टीवी आर शिवाय और बलवीर पुंज की निगरानी में बना मीडिया सेल प्रिंट मीडिया मानेटरिंग फार्म और इलेक्ट्रानिक मीडिया मानेटरिंग फार्म के  जरिये भाजपा और अन्य पार्टी के  चुनाव प्रचार के  कवरेज, महत्वपूर्ण नेताओं के  बयान और उसे काउंटर करने की रणनीति तैयार करने में जनवरी के  पहले हफ्ते से ही जुटा हुअआ है। भाजपा के  मीडिया सेल के  सूत्र का कहना है कि प्रिंट मीडिया में तो हमारी स्थिति अच्छी है परन्तु इलेक्ट्रानिक मीडिया हमारे साथ सौतेला बर्ताव कर रहा है। इसे काउंटर करने के  लिए शीघ्र ही ठोस कदम उठाया जाएगा। फरवरी के  पहले सप्ताह में जारी होने वाले भाजपा के  चुनाव घोषणा पत्र में लघु उद्योग, कृषि और उपभोक्ता वस्तुओं के  क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को इजाजत नहीं देने के  मुद्दे पर जोर दिया जाएगा। पार्टी का मानना है कि विदेशी कम्पनियों को के वल उन क्षेत्रों में इजाजत देनी चाहिए जिसके  संदर्भ में तकनीकी जानकारी भारतीय कम्पनियों के  पास उपलब्ध न हो। पेटेंट कानून के  मुद्दे को भी गंभीरता से उठाया जाएगा। आर्थिक गुलामी से मुक्ति को के न्द्र में रखकर तैयार किया गया यह घोषणा पत्र स्वदेशी आन्दोलन से भी खासा प्रभावित है, जो फरवरी के  पहले सप्ताह में पार्टी अध्यक्ष द्वारा जारी किया जाएगा।
Dr. Yogesh mishr

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