×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

अपना औचित्य खोते जा रहे हैं प्रदेश के सेवा योजन कार्यालय

Dr. Yogesh mishr
Published on: 24 July 1999 4:00 PM IST
पंजीकृत कुल बेरोजगारों में से एक फीसदी को भी रोजगार मयस्सर नहीं
प्रदेश के  सेवायेाजन कार्यालय अपना औचित्य खोते जा रहे हैं। कुल पंजीकृत बेरोजगारों के  एक फीसदी भाग को भी प्रदेश के  जिलों में स्थित इन सेवायोजन कार्यालयों से रोजगार मुहैया नहीं हो पाता है। पूर्वांचल के  ग्यारह जिलों के  सेवायोजन कार्यालय के  आंकड़े बताते हैं कि 95 में जहां कुल पंजीकृत बेरोजगारों के  1.29 बेरोजगारों को इन कार्यालयों के  माध्यम से रोजगार मिल जाता था। वहीं चालू वर्ष के  पहले छमाही के  आंकड़े महज आधी फीसदी पंजीकृत बेरोजगारों के  रोजगार मिलने की कहानी कह रहे हैं।
इतना ही नहीं पूर्वांचल के  छह जिलों के  आंकड़े बताते हैं कि 95-99 तक के  वर्षों में पंजीकृत होने वालों की संख्या में लगभग ढाई गुना से अधिक की बढ़ोत्तरी हुई है। 95 में इन छह जिलों में कुल 862 बेरोजगार इन सेवायेाजन कार्यालयों के  माध्यम से सेवायोजित हो पाए थे। परंतु इनकी तादाद 99 के  प्रथम छमाही के  आंकड़ों के  अनुसार घटकर महज 53 रह गयी है। इतना ही नहीं पूर्वांचल के  11 जनपदों में स्थित ये रोजगार दफ्तर दहाई की संख्या में भी विकलांगों को रोजगार मुहैया नहीं करा पाये हैं। जबकि विकलांगों को रोजगार पाने के  लिए तीन फीसदी के  आरक्षण का प्राविधान है। आंकड़े बताते हंै कि इन चार वर्षों में गोरखपुर व फैजाबाद विश्वविद्यालयों में खोले गये सेवायोजन कार्यालयों के  विस्तारपटल में अपना नाम दर्ज करने की प्रवृत्ति तेजी से घटी है। 95 में इन विश्वविद्यालयों के  कार्यालय में जहां लगभग 500 बेरोजगार छात्रों ने अपना नाम दर्ज कराया था, वहां यह संख्या 99 में अनुमानित लगभग 300 के  आसपास रह जाएगी। गोरखपुर, बस्ती, देवरिया, महराजगंज, सिद्धार्थनगर एवं कुशीनग (पड़रौना) जनपदों में 95 में जहां 61,033 लोगों ने पंजीकरण  कराया था वहीं यह संख्या वर्तमान वर्ष के  पहले छमाही में घटकर 17,555 रह गयी। 95 में जहां इन जिलों के  सेवायोजन कार्यालय में अधिसूचित रिक्त स्थानों एवं सेवायोजनों की संख्या क्रमशः 958 एवं 366 थी, वहीं चालू वर्ष के  पहले छमाही में अधिसूचित रिक्त स्थानों की संख्या 89 एवं सेवायोजितों की संख्या 53 रह गयी है।
सेवायोजन कार्यालयों को इन स्थितियों के  लिए कर्मचारी, अधिकारी सीधे तौर पर सरकार को दोषी ठहराते हैं। बताते हैं कि 1948 में जब इन कार्यालयों की स्थापना का विचार किया गया था, तब यह तय किया गया था कि सरकारी, गैर सरकारी सभी क्षेत्रों में नियुक्तियों के  लिए योग्य एवं उपयुक्त अभ्यर्थियों के  नामों के  फारवर्डिंग एजेंसी का कार्य यह कार्यालय करता रहेगा। इससे जहां बेरोजगारों को रोजगार के  क्षेत्र की उचित सूचना उपलब्ध करायी जा सके गी, वहीं कागजी संस्था खोलकर गैर सरकारी क्षेत्रों में भारी भरकम धनराशि के  बैंक ड्राफ्ट/पोस्टल आर्डर मांगकर नियुक्ति रोकने की प्रवृत्ति पर रोक लग सके गी। परंतु यह अधिकार इन कार्यालयों के  पास लंबे समय तक सुरक्षित नहीं रह सका और सीधी भर्ती की प्रक्रिया चल निकली। इस कार्यालय के  एक अधिकारी ने नाम न प्रकाशित किये जाने के  बावत कहा प्रदेश सरकार द्वारा समूह ग की भर्ती में भी रोजगार कार्यालय के  पंजीकरण को भी गंभीरता से नहीं लिया गया। रोजगार प्रदान करने के  इस प्रदेश व्यापी अभियान में रोजगार कार्यालयों की भूमिका को नजरअंदाज करने से सरकार की सोच का पता चलता है। इतना ही नहीं उन्हेांने यह भी कहा कि एक फीसदी सरकारी विज्ञापनों की भी सूचना अब इन दफ्तरों को नहीं मिल पाती। जिला सेवायोजन कार्यालयों की उपस्थिति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जुलाई 97 से क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी (विकलांग) का पद सृजित है परंतु विकलांगों के  लिए तीन फीसदी आरक्षण के  बाद भी 20 जुलाई 99 तक यह कार्यालय महज तीन विकलांगों को रोजगार मुहैया करा सका है, जिनमें दो विकलांग पूर्वोत्तर रेलवे एवं एक एयरफोर्स में नियोजित हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि गत दिनों रेलवे में सीनियर एवं जूनियर क्लर्कों की 38 रिक्तियां विज्ञप्ति हुई थीं, परंतु एक भी ऐसा अभ्यर्थी इन पदों पर नियुक्त नहीं हो सका जिनके  नाम सेवायोजन कार्यालयों के  माध्यम से आया हो। चालू वर्ष की पहली छमाही में महज 53 लोगों को नियोजित करा पाने मंे सफल होने वाले गोरखपुर क्षेत्रीय कार्यालय में क्षेत्रीय सेवायोजन स्तर एवं सेवायोजन स्तर के  दो एवं सहायक सेवायोजन स्तर के  छह अधिकारियों समेत 27 क्लर्क एवं पांच चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। ज्ञातव्य है कि 95 में इन छह जिलों में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 61,033 थी। वहीं यह संख्या 98 में घटकर 40201 रह गयी। आंकड़े बताते हैं कि 95 से 99 के  वर्षों में गोरखपुर विश्वविद्यालय में खोले गये सेवायोजन कार्यालय के  विस्तारपटल में कुल 3982 छात्रों ने पंजीकरण कराया। इसमें से महज छह अभ्यर्थी ही रोजगार इस कार्यालय के  माध्यम से पा सके । इतना ही नहीं 97 में जहां इस कार्यालय में 1149 अभ्यर्थियों ने अपना पंजीकरण कराया था। वहीं चालू वर्ष के  पहले छमाही में महज 340 छात्रों ने ही कार्यालय पर दस्तक दिया।


\
Dr. Yogesh mishr

Dr. Yogesh mishr

Next Story