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विश्वविद्यालय शिक्षकों को भी उपस्थिति पंजिका भरनी होगी
प्रदेश सरकार शीघ्र ही उच्च शिक्षा परिसरों की शुचिता एवं महत्ता कायम करने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने जा रही है। इसके तहत अब विश्वविद्यालयी शिक्षकों को भी उपस्थिति पंजिका भरनी होगी। एक सौ अस्सी दिन की कक्षाएं एवं पचहत्तर फीसदी उपस्थिति अनिवार्य कर दी जाएगी।
छात्रसंघ चुनावों में अब वे ही छात्र उम्मीदवार हो सकेंगे। जिनका परिसर प्रवास आठ वर्ष से अधिक नहीं होगा। छात्रसंघ चुनावों के लिए छात्र होने की अनिवार्यता जताते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने उन्हीं छात्रों को योग्य माना है, जो परिसर प्रवास के दौरान निरंतर कक्षाएं उत्तीर्ण करते रहे हों। अब छात्रावासों में बने रहने की अवधि भी मात्र आठ वर्ष निर्धारित कर दी गयी है।
छात्रसंघ चुनाव लड़ने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित मानदंड वर्तमान शैक्षणिक सत्र से लागू कर दिये गये हैं। सरकार ने छात्रसंघों एवं संगठनों की एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करायी है। रिपोर्ट में यह तथ्य पूरी तरह से उभर कर सामने आये हैं कि प्रदेश के नब्बे फीसदी छात्रसंघों पर सत्तर फीसदी ऐसे लोग पिछले वर्षों में काबिज रहे हैं जिन्होंने कई वर्षों से विश्वविद्यालय/ महाविद्यालय में किसी तरह की कोई परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है। ये लोग महज चुनाव लड़ने के लिए येन-के न प्रकारेण विश्वविद्यालय/महाविद्यालय के छात्र बने रहते हैं।
सरकार का मानना है कि छात्रसंघों के उपादेयता महज चुनावों तक सीमित होती जा रही है। छात्रसंघ रचनात्मक कार्यों से विरत होते जा रहे हैं, ऐसा महज इसलिए हो रहा है क्योंकि छात्रसंघों पर छात्रों की जगह कोई बडे़ माफिया नेता का छोटा संस्करण और/या प्रतिनिधि काबिज हो जाता है। छात्रसंघ चुनाव लड़ने वालों के लिए भी पचहत्तर फीसदी उपस्थिति अब अनिवार्य है। उपस्थिति के नियम वैसे तो बहुत पहले से बनाये गये हैं परंतु इन्हें कड़ाई से लागू करवाने के लिए सरकार अब कटिबद्ध है। अध्यापकों को अब उपस्थिति पंजिका पर अनिवार्य रूप से अपनी हाजिरी भरनी होगी। ऐसा न करने वाले दण्डित भी होंगे। यदि कोई छात्र कतिपय कारणों से किसी वर्ष की परीक्षा में नहीं बैठ पाता है तो उसे किसी भी स्थितियों में छात्रसंघ चुनाव लड़ने से वंचित रखा जाएगा।
छात्रसंघ चुनावों में अब वे ही छात्र उम्मीदवार हो सकेंगे। जिनका परिसर प्रवास आठ वर्ष से अधिक नहीं होगा। छात्रसंघ चुनावों के लिए छात्र होने की अनिवार्यता जताते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने उन्हीं छात्रों को योग्य माना है, जो परिसर प्रवास के दौरान निरंतर कक्षाएं उत्तीर्ण करते रहे हों। अब छात्रावासों में बने रहने की अवधि भी मात्र आठ वर्ष निर्धारित कर दी गयी है।
छात्रसंघ चुनाव लड़ने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा निर्धारित मानदंड वर्तमान शैक्षणिक सत्र से लागू कर दिये गये हैं। सरकार ने छात्रसंघों एवं संगठनों की एक व्यापक रिपोर्ट तैयार करायी है। रिपोर्ट में यह तथ्य पूरी तरह से उभर कर सामने आये हैं कि प्रदेश के नब्बे फीसदी छात्रसंघों पर सत्तर फीसदी ऐसे लोग पिछले वर्षों में काबिज रहे हैं जिन्होंने कई वर्षों से विश्वविद्यालय/ महाविद्यालय में किसी तरह की कोई परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है। ये लोग महज चुनाव लड़ने के लिए येन-के न प्रकारेण विश्वविद्यालय/महाविद्यालय के छात्र बने रहते हैं।
सरकार का मानना है कि छात्रसंघों के उपादेयता महज चुनावों तक सीमित होती जा रही है। छात्रसंघ रचनात्मक कार्यों से विरत होते जा रहे हैं, ऐसा महज इसलिए हो रहा है क्योंकि छात्रसंघों पर छात्रों की जगह कोई बडे़ माफिया नेता का छोटा संस्करण और/या प्रतिनिधि काबिज हो जाता है। छात्रसंघ चुनाव लड़ने वालों के लिए भी पचहत्तर फीसदी उपस्थिति अब अनिवार्य है। उपस्थिति के नियम वैसे तो बहुत पहले से बनाये गये हैं परंतु इन्हें कड़ाई से लागू करवाने के लिए सरकार अब कटिबद्ध है। अध्यापकों को अब उपस्थिति पंजिका पर अनिवार्य रूप से अपनी हाजिरी भरनी होगी। ऐसा न करने वाले दण्डित भी होंगे। यदि कोई छात्र कतिपय कारणों से किसी वर्ष की परीक्षा में नहीं बैठ पाता है तो उसे किसी भी स्थितियों में छात्रसंघ चुनाव लड़ने से वंचित रखा जाएगा।
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