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संचार मंत्रालय के रवैये से क्षुब्ध हैं डाॅ. मुकुन्द द्विवेदी
संचार मंत्रालय के रवैये से क्षुब्ध हैं आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के पुत्र डाॅ. मुकुन्द द्विवेदी। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी उपाध्यक्ष रह चुके हिन्दी संस्थान के कार्यकारी उपाध्यक्ष रह चुके हिन्दी के लब्ध प्रतिष्ठित समीक्षक आचार्य द्विवेदी की स्मृति में संचार मंत्रालय आगामी शनिवार को दो रूपये का एक डाक टिकट जारी करने जा रहा है। हजारी प्रसाद द्विवेदी (1907-1979) की वर्षगांठ पर जारी होने वाले इस डाक टिकट के लोकार्पण कार्यक्रम का संदर्भ लेते हुए संचार मंत्रालय ने डाॅ. मुकुन्द को पत्र लिखकर लखनऊ में कार्यक्रम की तैयारी करने का अनुरोध किया था। इस सिलसिले में वे गत 5,6 को यहां आये थे। उन्होंने हिन्दी संस्थान के प्रेमचंद्र सभागार को आगामी तेरह दिसम्बर के लिए बुक कराया। हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए आचार्य द्विवेदी के नेतृत्व में स्थापित इस संस्था की व्यावसायिकता आज इतनी प्रखर हो गयी है कि आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की स्मृति में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम के लिए संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष एवं निदेशक ने आचार्य द्विवेदी के पुत्र से छह सौ रूपये की राशि जमा करायी।
उल्लेखनीय है कि आचार्य द्विवेदी ’77 से ’79 तक संस्थान के कार्यकारी उपाध्यक्ष रह चुके हैं। संस्थान का गठन भी आचार्य द्विवेदी के नेतृत्व में 1977 में हुआ। तब कार्यकारी अध्यक्ष का पद संस्थान में नहीं हुआ करता था। मुख्यमंत्री ही संस्थान का अध्यक्ष होता था। नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में हिन्दी ग्रन्थ अकादमी का संविलियन करके हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए वृहद स्तर पर इस संस्थान की 1977 में स्थापना की गयी। संस्थान के कार्यकारी उपाध्यक्ष होने के पूर्व आचार्य द्विवेदी हिन्दी ग्रन्थ अकादमी के अध्यक्ष भी रहे। हिन्दी के इस सेवी की स्मृति में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के लिए भी प्रेमचन्द सभागार का किराया लेने वाला संस्थान इस समय लखनऊ महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले कवि सम्मेलन के लिए कई जेबी साहित्यकारों को उपकृत करने में जुटा हुआ है। अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में इलाहाबाद और कुछ अन्य शहरों के उन साहित्यकारों को 2000-3000 रूपये प्रदान करके उपकृत किया जा रहा है, जो आज भी मंचों पर परिचय के मोहताज हैं।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की स्मृति में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के लिए संस्थान द्वारा प्रेमचंद्र सभागार का किराया लेने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आचार्य द्विवेदी के पुत्र डाॅ. मुकुन्द द्विवेदी ने कहा, ‘मैं बहुत प्रेक्टिकल हूं। आम तौर पर इस तरह की चीजें होती रहती हैं। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी स्मृति न्यास के पास थोड़ा सा पैसा है। पेमेन्ट कर दिया। पर...। वैसे न्यास के पास पैसा नहीं है। द्विवेदी जी की रायल्टी मात्र से चलता हैं अके ला ही हूं, इसलिए दिक्कतें तो पेश आती ही हैं, लेकिन सहयोग भी कम नहीं मिलता। 15 वर्षों से न्यास की ओर से व्याख्यानमाला आयोजित कर रहा हूं जिसे जब भी बुलाया, लोग आये। ग्यारह सौ रूपये देने का नियम है, दिया पर आज तक किसी ने लिया नहीं।’ फिर हिन्दी संस्थान को किराया देते हुए आपको कैसा लगा, यह पूछे जाने पर डाॅ. द्विवेदी अपनी बात को जोड़ने लगे, ‘ठीक है... मैंने कहा कि मैं बहुत प्रेक्टिकल हूं परन्तु आज मुझे बहुत दुःख हुआ जब लखनऊ से निदेशक, डाक सेवा ने फोन पर यह बताया कि अब यह आयोजन संचार मंत्रालय करेगा। रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव डाक टिकट का लोकार्पण करेंगे। इस दृष्टि से प्रेमचंद सभागार छोटा है। मैंने अपनी ओर से पूरी व्यवस्था कर ली थी, पर अचानक कार्यक्रम में हुए फेरबदल से हमंे लगता है कि हमें भी आमंत्रित नहीं किया जाएगा। वैसे मैंने ग्यारह को लखनऊ जाने और तेरह का वापसी का टिकट ले लिया है।’
इस संदर्भ में जब निदेशक, डाक सेवा ए.के . गुप्त से बातचीत की गयी तो उन्होंने यह स्वीकार किया कि आयोजन की दृष्टि से हाल छोटा था। अब यह कार्यक्रम शनिवार को ही दिन में ग्यारह बजे गन्ना संस्थान के प्रेक्षागृह में होगा। श्री गुप्त ने यह भी माना कि गत दिनों लखनऊ यात्रा के दौरान डाॅ. मुकुन्द उनसे मिले थे।
उल्लेखनीय है कि आचार्य द्विवेदी ’77 से ’79 तक संस्थान के कार्यकारी उपाध्यक्ष रह चुके हैं। संस्थान का गठन भी आचार्य द्विवेदी के नेतृत्व में 1977 में हुआ। तब कार्यकारी अध्यक्ष का पद संस्थान में नहीं हुआ करता था। मुख्यमंत्री ही संस्थान का अध्यक्ष होता था। नारायण दत्त तिवारी के कार्यकाल में हिन्दी ग्रन्थ अकादमी का संविलियन करके हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए वृहद स्तर पर इस संस्थान की 1977 में स्थापना की गयी। संस्थान के कार्यकारी उपाध्यक्ष होने के पूर्व आचार्य द्विवेदी हिन्दी ग्रन्थ अकादमी के अध्यक्ष भी रहे। हिन्दी के इस सेवी की स्मृति में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के लिए भी प्रेमचन्द सभागार का किराया लेने वाला संस्थान इस समय लखनऊ महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित होने वाले कवि सम्मेलन के लिए कई जेबी साहित्यकारों को उपकृत करने में जुटा हुआ है। अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में इलाहाबाद और कुछ अन्य शहरों के उन साहित्यकारों को 2000-3000 रूपये प्रदान करके उपकृत किया जा रहा है, जो आज भी मंचों पर परिचय के मोहताज हैं।
आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की स्मृति में आयोजित होने वाले कार्यक्रम के लिए संस्थान द्वारा प्रेमचंद्र सभागार का किराया लेने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आचार्य द्विवेदी के पुत्र डाॅ. मुकुन्द द्विवेदी ने कहा, ‘मैं बहुत प्रेक्टिकल हूं। आम तौर पर इस तरह की चीजें होती रहती हैं। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी स्मृति न्यास के पास थोड़ा सा पैसा है। पेमेन्ट कर दिया। पर...। वैसे न्यास के पास पैसा नहीं है। द्विवेदी जी की रायल्टी मात्र से चलता हैं अके ला ही हूं, इसलिए दिक्कतें तो पेश आती ही हैं, लेकिन सहयोग भी कम नहीं मिलता। 15 वर्षों से न्यास की ओर से व्याख्यानमाला आयोजित कर रहा हूं जिसे जब भी बुलाया, लोग आये। ग्यारह सौ रूपये देने का नियम है, दिया पर आज तक किसी ने लिया नहीं।’ फिर हिन्दी संस्थान को किराया देते हुए आपको कैसा लगा, यह पूछे जाने पर डाॅ. द्विवेदी अपनी बात को जोड़ने लगे, ‘ठीक है... मैंने कहा कि मैं बहुत प्रेक्टिकल हूं परन्तु आज मुझे बहुत दुःख हुआ जब लखनऊ से निदेशक, डाक सेवा ने फोन पर यह बताया कि अब यह आयोजन संचार मंत्रालय करेगा। रक्षामंत्री मुलायम सिंह यादव डाक टिकट का लोकार्पण करेंगे। इस दृष्टि से प्रेमचंद सभागार छोटा है। मैंने अपनी ओर से पूरी व्यवस्था कर ली थी, पर अचानक कार्यक्रम में हुए फेरबदल से हमंे लगता है कि हमें भी आमंत्रित नहीं किया जाएगा। वैसे मैंने ग्यारह को लखनऊ जाने और तेरह का वापसी का टिकट ले लिया है।’
इस संदर्भ में जब निदेशक, डाक सेवा ए.के . गुप्त से बातचीत की गयी तो उन्होंने यह स्वीकार किया कि आयोजन की दृष्टि से हाल छोटा था। अब यह कार्यक्रम शनिवार को ही दिन में ग्यारह बजे गन्ना संस्थान के प्रेक्षागृह में होगा। श्री गुप्त ने यह भी माना कि गत दिनों लखनऊ यात्रा के दौरान डाॅ. मुकुन्द उनसे मिले थे।
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