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मेहर हत्याकाण्ड
दिनांक: 28._x007f_3.200_x007f__x007f_6
अभी ज्यादा समय नहीं गुजरा जब रायल फैमिली ऑफ अवध के लोगों ने नफासत और नजाकत के शहर लखनऊ की मर रही तहजीब पर चिन्ता जताते हुए एक प्रतीकात्मक जनाजा निकाला था। उस समय भले ही लोगों ने इस चेतावनी पर कान न दिया हो। लेकिन शोहदों की गोली लगने से मौत से जद्ïदोजहद करती मेहर भार्गव ने जब बीते 25 तारीख को आंखे बन्द कीं तो लखनऊ ही नहीं सूबे के तमाम लोगों को अवध की तहजीब पर लगे ये बदनुमा दाग दिखने लगे हैं।
पहली बार दीवान-ए-गालिब प्रकाशित करने वाले मुंशी नवल किशोर के वंशज के यहां दुख का पहाड़ 28 फरवरी की शाम उस समय टूटा जब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य लव भार्गव की पत्नी मेहर भार्गव अपनी बहू के साथ पुलिस कप्तान के घर के सामने स्थित दिलीपपुर टावर गई थीं। वहां से निकलते समय कुछ मनचलों से उनकी बहू पर छींटाकशी की। मेहर ने हिम्मत जुटाकर उनका विरोध किया। लेकिन हमलावर उखड़ गए और उन पर गोली चला दी। भार्गव के परिजनों ने टावर में ही कमरा किराए पर लेकर रह रहे अमित और तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। पहले ट्रामा सेन्टर और फिर बाद में हालात की गम्भीरता के मद्ïदेनजर मेहर के परिजन उन्हें लेकर दिल्ली के अपोलो अस्पताल चले गए। प्राथमिकी के बाद पुलिस थोड़ी हरकत में थी। नतीजतन उसने जय सिंह की गिरफ्ïतारी की। वारदात के दिन ही पकड़े गए जय ने पुलिस को अपने साथियों, अमित, प्रमोद और सचिन पहाड़ी के बारे में जानकारी दी थी। पूछताछ के दौरान मौके पर उपस्थित रहे एक पुलिसकर्मी की मानें तो, ‘‘जयप्रकाश ने कहा था कि गोली सचिन पहाड़ी ने चलाई।’’ यह बात दीगर है कि पुलिस ने मामले का रूख मोड़ते हुए बताया कि गोली अमित सिंह ने चलाई। हमले के बाद पुलिस उपाधीक्षक और इस्पेक्टर हजरतगंज हटा दिए गए। लेकिन नए अफसरानों ने भी इन हमलावरों को संरक्षण देने वाले आकाओं के दबाव में खामोश रहना बेहतर समझा। तभी तो परिजनों के दिल्ली जाने के बाद पुलिस ने आंख-कान बन्द कर लिए। कांग्रेस के नेता प्रमोद तिवारी ने ‘आउटलुक’ साप्ताहिक से बातचीत में पुलिस के इस रवैये का खुलासा करते हुए कहा, ‘‘हत्यारे एक मन्त्री के संरक्षण मे हैं।’’ जांच के काम को दिशा दे रहे एक पुलिसकर्मी ने जांच छीन जाने के बाद कहा, ‘‘हत्यारे एक दबंग विधायक के खास गुरगे हैं। जिसके चलते हाथ डालने से मना किया जा रहा था।’’ ठन्डे बस्ते के हवाले की गई पुलिसिया कार्रवाई इस बात की तस्दीक करती है क्योंकि जब तक मेहर मौत से हार नहीं गई तब तक अपराधी बेखौफ घूमते रहे। पुलिस तफ्ïतीश का रूख मोडऩे के काम में जुटी रही। मेहर भार्गव का बयान मृत्यु पूर्व तक नहीं कराया गया। मेहर भार्गव मामले में पुलिस की विवेचना पर उठ रहे सवाल ने इस अंदेशे को बल दे दिया है कि कहीं जेसिका लाल हत्याकांड की तरह अपराधी बरी न हो जाएं। पुलिस कप्तान आशुतोष पाण्डेय यह साबित करने में जुटे थे कि हत्यारों से मेहर के बेटे सिराज के करीबी रिश्ते हैं। सिराज ने ही हत्यारों के संरक्षणदाता और जेल अधीक्षक हत्याकांड के अभियुक्त के.डी. सिंह को दिलीपपुर टावर में किराए पर कमरा दिलवाया था। पुलिस कप्तान की चलती तो कहानी यह रूख अख्तियार करती कि मेहर के बेटे सिराज से इन अपराधियों की निकटता थी। भार्गव परिवार में इनका आना-जाना था। यह हत्या पेज थ्री के सांस्कृतिक ताने-बाने वाली संस्कृति का नतीजा है। ऐसा नहीं कि पुलिस कप्तान की बात पूरी तरह बेबुनियाद थी। तफ्ïतीश बताती है कि सिराज के सचमुच इन लोगों से करीबी रिश्ते थे। दिलीपपुर टावर में अपराधियों के संरक्षणदाता के तौर पर उभरे के.डी. सिंह को कमरा भी सिराज ने ही किराए पर दिलवाया था। सिराज का वर्तमान भी ऐसे लोगों से रिश्तों की कहानी कहता है। लेकिन उसे इस बात का बहुत मलाल है कि पुलिस मां की हत्या के लिए उसे जिम्मेदार ठहरा रही है। मकान किराए पर देने का बतंगड़ बनाया जा रहा है। सिराज कहता है, ‘‘हत्यारा कोई भी हो उसे गिरफ्ïतार क्यों नहीं किया जा रहा है? सिराज खुद पुलिस से यह जानना चाह रहा है कि अगर कोई मेरा दोस्त ही हो तो क्या उसे किसी को गोली से उड़ाने की इजाजत दी जा सकती है।’’
मेहर भार्गव की हत्या ने महिला सुरक्षा की बदतरी को तार-तार कर दिया है। क्योंकि यह पहली वारदात नहीं है। बीते वर्ष मार्च में 27 साल की गुड्ïडी को मनचलों ने उसके साथ चल रही भतीजी से छेड़छाड़ का विरोध करने पर ऐशबाग पुल से नीचे फेंक दिया था। लेकिन पुलिस गुड्ïडी को बदचलन बताकर मामले को दाखिल दफ्ïतर करने में जुटी रही। अनीता के भाई राजेश को मनचलों ने सिर्फ इसलिए पीट-पीटकर बेसुध कर दिया था। क्योंकि उसने अपनी बहन के साथ छेड़छाड़ का विरोध किया था। निरालानगर स्थित रैदास मंदिर के पास दो महिलाओं से छेड़छाड़ कर रहे अराजक तत्वों ने महिला के परिचित मुन्ना को चाकू घोंपकर इसलिए मौत की नींद सुला दिया क्योंकि मुन्ना अपनी परिचित महिलाओं से छेड़छाड़ किए जाने का विरोध कर रहा था। 21 जनवरी को स्कूल से घर लौट रही चन्दा वर्मा का अपहरण कर दुराचार करके पीट-पीट कर मार डाला गया। हत्यारों ने शव को पेट्रोल से जलाकर उसके घर से कुछ दूरी पर रख आने तक की हिम्मत जुटा ली थी। इसी माह की 6 तारीख को सिंगारनगर में वंशिका और उसके मासूम पुत्र को गोली मार दी गई।
पिछले साल 2 मई को आशियाना में कार सवार चार रईसजादो ने 23 साल की किशोरी सन्नो का अपहरण कर सामूहिक दुराचार कर उसके शरीर को लाइटर से जलाया। लेकिन महिला आयोग और पुलिस महज इसलिए दुराचारी के पक्ष में खड़े नजर आए क्योंकि बलात्कारियों में एक बड़े नेता का बिगड़ैल रईसजादा भी था। 14 जून को हजरतगंज में ही मोनिका पर तेजाब फेंका गया। कैन्ट में रंजना को मनचलों ने चाकुओं से गोद डाला। बीते 24 जुलाई को गाजीपुर इलाके में एक महिला को बंधक बना चाकुओं से गोद मौत की नींद सुला दिया गया। ठीक चार दिन बाद सरोजनीनगर में फर्जी आईएएस ने बंधक बनाकर 1_x007f_ साल की बच्ची के साथ दुराचार किया। 8 अगस्त को गाजीपुर में ही मिथलेश की निर्मम हत्या की गई। 14 अगस्त को नाका में 5 साल की बालिका से दुराचार करने के बाद दुराचारी उसे परिवर्तन चौक पर छोड़ गए। 22 अगस्त को डालीगंज में 4 लडक़ों ने सरेआम सडक़ पर एक नर्स से एक घन्टे तक छेडख़ानी की। पुलिस कन्ट्रोल रूम को सूचना देने के बाद भी नहीं पहुंची। 3_x007f_ अगस्त को गोमतीनगर में बैंक मैनेजर की पत्नी की गला घोंटकर हत्या कर दी गई। आलमबाग और मडिय़ांव में लड़कियों पर पड़ोसियों द्वारा तेजाब फेंका गया।
मतलब साफ है कि नजाकत और नफासत के शहर में अब महिलाओं को घूमने की इजाजत नहीं है। अवध की जिस शाम का हवाला दुनिया को दिया जाता है। उसमें खौफ का दंश भर गया है। क्योंकि पुलिस का इकबाल खत्म हो चुका है। वारदातों के सिलसिले शहर की सरहद से सिमटते-सिमटते पुलिस कप्तान के घर तक आ गए हैं। एसएसपी आवास से चन्द कदमों की दूरी पर स्थित दो लडक़ों ने रिक्शे पर सवार महिला का पर्स छीनने की कोशिश की। हाथापाई हुई। महिलाएं चिल्लाईं। लेकिन पुलिसकर्मी बाहर तक नहीं आए। पुलिस कप्तान के घर के पास ही लडक़ी पर तेजाब फेंकने का दुस्साहस करने में भी अपराधी खौफ महसूस नहीं करते। इतना ही नहीं, जिस दिलीपपुर टावर के सामने मेहर को शोहदों ने गोली मारी उसके ही एक कमरे में बड़े-बड़े अपराधियों का बेखौफ आना-जाना काफी दिनों से जारी था। इस बात की तस्दीक खुद जिला पुलिस करती है। गौरतलब है कि यह टावर पुलिस कप्तान के घर से चन्द कदम ही दूर है।
लेकिन मेहर भार्गव की हत्या से शहर हिल गया है। आवाम यह सवाल करने लगा है कि क्या बहू-बेटियों की इज्जत बचाने पर गोलियां खानी पड़ेंगी? मेहर के पार्थिव शरीर पर श्रद्घांजलि अर्पित करने आए मुख्यमन्त्री मुलायम सिंह यादव से संगनी संस्था की रेखा मोहन के नेतृत्व में महिलाओं ने सवाल किया कि मेहर के असली हत्यारे कब तक पकड़े जाएंगे? मेहर के पति लव भार्गव ने भी जानना चाहा कि हत्यारों को पकडऩे की समय सीमा मुख्यमन्त्री तय कर दें? लेकिन मुख्यमन्त्री ने अफसरों से विमर्श किए बिना भरोसा दिलाना उचित नहीं समझा। यह बात दीगर है कि मेहर के हत्यारों को गिरफ्ïतार करने के लिए पूर्व प्रधानमन्त्री और लखनऊ के सांसद अटल बिहारी बाजपेई ने भी मुलायम से बातचीत की। संतप्त परिजनों की मिजाजपुर्सी करने अटल लखनऊ आए। फिल्म निर्माता मुजफ्ïफर अली ने कहा, ‘‘कभी अदब का माहौल था अब खौफ का है। लगता है लखनऊ से भाग जाएं।’’ कांग्रेस अध्यक्ष सलमान खुर्शीद ने इसे राज्य की कानून व्यवस्था से जुड़ा सवाल बताया। कानून व्यवस्था के मुद्ïदे पर संजीदा हो उठने वाले मुख्यमन्त्री मुलायम सिंह यादव की पहल कहें या फिर मेहर की आंख बंद हो जाने के बाद पुलिस महानिदेशक यशपाल सिंह की आंख खुलने का सबब कि घटना के बावत पुलिस कप्तान आशुतोष पाण्डेय से जानकारी मांगी गई। लखनऊ जोन के पुलिस महानिरीक्षक ओ.पी. त्रिपाठी को एक दिन में मामले की पड़ताल करने का जिम्मा भी दिया गया। त्रिपाठी ने अपनी रिपोर्ट में हजरतगंज पुलिस को कठघरे में खड़ा करते हुए लिखा, ‘‘विवेचक से लेकर अधिकारियों तक ने कदम-कदम पर इस मामले में लापरवाही बरती। पुलिस ने गोली चलाने वाले सचिन पहाड़ी के दोस्तों व रिश्तेदारों तक के बारे में जानकारी हासिल करने की जरूरत नहीं समझी। जिन बिन्दुओं को ध्यान में रखकर ऐसी विवेचना की जाती है। उनका पालन नहीं किया गया।’’ त्रिपाठी की इस रिपोर्ट के बाद कुर्सी फंसती देख पुलिस कप्तान ने जौनपुर जिले के जरासी गांव निवासी _x008e_लाक प्रमुख के.डी. सिंह की गिरफ्ïतारी कराई। हालांकि पूछताछ में के.डी. सिंह ने सचिन पहाड़ी से किसी भी तरह के सम्बन्ध होने से साफ तौर पर इनकार किया। उसने पुलिस को बताया कि बीते साल 3_x007f_ जुलाई को लखनऊ जेल में निरूद्घ रहने के दौरान सचिन से उसकी पहली मुलाकात हुई थी। के.डी. सिंह को जमानत भी मिल गई। पुलिस को सबकुछ अचानक पता चल गया। उसे यह पता चल गया कि सचिन पहाड़ी मुम्बई में है। दूसरा आरोपी अमित सिंह मुगलसराय का हिस्ट्रीशीटर है। पुलिस ने अमित सिंह का चित्र भी तस्दीक करने के लिए भार्गव परिवार को भेजा। यह बात दीगर है कि चित्र गलत निकला। हत्या के एक आरोपी सचिन पहाड़ी पर भी शिकन्जा कसा जाने लगा। पिथौरागढ़ उ_x009e_ारांचल के रहने वाले सचिन पहाड़ी ने वर्ष 2_x007f__x007f_2 में आशियाना इलाके में रहने वाले ठेकेदार विकास की पहली हत्या की थी। इसी साल मानक नगर में इसने बच्चूलाल चौरसिया को मौत की नींद सुला दिया। पुलिस सूत्रों की मानें तो, ‘‘सचिन पहाड़ी का ताल्लुक कभी विजय मेनन गिरोह से भी था।’’ सचिन पहाड़ी पर इनाम की राशि लगातार बढ़ाई जा रही है। जबकि सडक़ से सदन तक मेहर भार्गव की हत्या और खतरे में औरतों की आबरू को लेकर गुस्सा पसरा हुआ है। मेहर के परिजनों और महिला संगठनों ने अपने गुस्से का इजहार मोमब_x009e_ाी जुलूस निकालकर दर्ज कराते हुए ‘वूमेन्स नीड सोशल इनवायरमेन्ट’ की आवाज बुलन्द की तो कांग्रेस ने सदन में सरकार को कटघरे में खड़ा किया। मेहर के परिजन हों या शुभचिन्तक अथवा लखनऊ की तहजीब और तमीज के अलम्बरदार सबकी यही मंशा है कि मेहर की शहादत बर्बाद न हो और वह महिलाओं के आबरू और सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों के लिए एक नजीर बनें। तभी तो चारों ओर से बढ़ रहे दबाव के मद्ïदेनजर मामले की पड़ताल एसटीएफ के हवाले कर दी गई है।
-योगेश मिश्र
अभी ज्यादा समय नहीं गुजरा जब रायल फैमिली ऑफ अवध के लोगों ने नफासत और नजाकत के शहर लखनऊ की मर रही तहजीब पर चिन्ता जताते हुए एक प्रतीकात्मक जनाजा निकाला था। उस समय भले ही लोगों ने इस चेतावनी पर कान न दिया हो। लेकिन शोहदों की गोली लगने से मौत से जद्ïदोजहद करती मेहर भार्गव ने जब बीते 25 तारीख को आंखे बन्द कीं तो लखनऊ ही नहीं सूबे के तमाम लोगों को अवध की तहजीब पर लगे ये बदनुमा दाग दिखने लगे हैं।
पहली बार दीवान-ए-गालिब प्रकाशित करने वाले मुंशी नवल किशोर के वंशज के यहां दुख का पहाड़ 28 फरवरी की शाम उस समय टूटा जब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य लव भार्गव की पत्नी मेहर भार्गव अपनी बहू के साथ पुलिस कप्तान के घर के सामने स्थित दिलीपपुर टावर गई थीं। वहां से निकलते समय कुछ मनचलों से उनकी बहू पर छींटाकशी की। मेहर ने हिम्मत जुटाकर उनका विरोध किया। लेकिन हमलावर उखड़ गए और उन पर गोली चला दी। भार्गव के परिजनों ने टावर में ही कमरा किराए पर लेकर रह रहे अमित और तीन अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। पहले ट्रामा सेन्टर और फिर बाद में हालात की गम्भीरता के मद्ïदेनजर मेहर के परिजन उन्हें लेकर दिल्ली के अपोलो अस्पताल चले गए। प्राथमिकी के बाद पुलिस थोड़ी हरकत में थी। नतीजतन उसने जय सिंह की गिरफ्ïतारी की। वारदात के दिन ही पकड़े गए जय ने पुलिस को अपने साथियों, अमित, प्रमोद और सचिन पहाड़ी के बारे में जानकारी दी थी। पूछताछ के दौरान मौके पर उपस्थित रहे एक पुलिसकर्मी की मानें तो, ‘‘जयप्रकाश ने कहा था कि गोली सचिन पहाड़ी ने चलाई।’’ यह बात दीगर है कि पुलिस ने मामले का रूख मोड़ते हुए बताया कि गोली अमित सिंह ने चलाई। हमले के बाद पुलिस उपाधीक्षक और इस्पेक्टर हजरतगंज हटा दिए गए। लेकिन नए अफसरानों ने भी इन हमलावरों को संरक्षण देने वाले आकाओं के दबाव में खामोश रहना बेहतर समझा। तभी तो परिजनों के दिल्ली जाने के बाद पुलिस ने आंख-कान बन्द कर लिए। कांग्रेस के नेता प्रमोद तिवारी ने ‘आउटलुक’ साप्ताहिक से बातचीत में पुलिस के इस रवैये का खुलासा करते हुए कहा, ‘‘हत्यारे एक मन्त्री के संरक्षण मे हैं।’’ जांच के काम को दिशा दे रहे एक पुलिसकर्मी ने जांच छीन जाने के बाद कहा, ‘‘हत्यारे एक दबंग विधायक के खास गुरगे हैं। जिसके चलते हाथ डालने से मना किया जा रहा था।’’ ठन्डे बस्ते के हवाले की गई पुलिसिया कार्रवाई इस बात की तस्दीक करती है क्योंकि जब तक मेहर मौत से हार नहीं गई तब तक अपराधी बेखौफ घूमते रहे। पुलिस तफ्ïतीश का रूख मोडऩे के काम में जुटी रही। मेहर भार्गव का बयान मृत्यु पूर्व तक नहीं कराया गया। मेहर भार्गव मामले में पुलिस की विवेचना पर उठ रहे सवाल ने इस अंदेशे को बल दे दिया है कि कहीं जेसिका लाल हत्याकांड की तरह अपराधी बरी न हो जाएं। पुलिस कप्तान आशुतोष पाण्डेय यह साबित करने में जुटे थे कि हत्यारों से मेहर के बेटे सिराज के करीबी रिश्ते हैं। सिराज ने ही हत्यारों के संरक्षणदाता और जेल अधीक्षक हत्याकांड के अभियुक्त के.डी. सिंह को दिलीपपुर टावर में किराए पर कमरा दिलवाया था। पुलिस कप्तान की चलती तो कहानी यह रूख अख्तियार करती कि मेहर के बेटे सिराज से इन अपराधियों की निकटता थी। भार्गव परिवार में इनका आना-जाना था। यह हत्या पेज थ्री के सांस्कृतिक ताने-बाने वाली संस्कृति का नतीजा है। ऐसा नहीं कि पुलिस कप्तान की बात पूरी तरह बेबुनियाद थी। तफ्ïतीश बताती है कि सिराज के सचमुच इन लोगों से करीबी रिश्ते थे। दिलीपपुर टावर में अपराधियों के संरक्षणदाता के तौर पर उभरे के.डी. सिंह को कमरा भी सिराज ने ही किराए पर दिलवाया था। सिराज का वर्तमान भी ऐसे लोगों से रिश्तों की कहानी कहता है। लेकिन उसे इस बात का बहुत मलाल है कि पुलिस मां की हत्या के लिए उसे जिम्मेदार ठहरा रही है। मकान किराए पर देने का बतंगड़ बनाया जा रहा है। सिराज कहता है, ‘‘हत्यारा कोई भी हो उसे गिरफ्ïतार क्यों नहीं किया जा रहा है? सिराज खुद पुलिस से यह जानना चाह रहा है कि अगर कोई मेरा दोस्त ही हो तो क्या उसे किसी को गोली से उड़ाने की इजाजत दी जा सकती है।’’
मेहर भार्गव की हत्या ने महिला सुरक्षा की बदतरी को तार-तार कर दिया है। क्योंकि यह पहली वारदात नहीं है। बीते वर्ष मार्च में 27 साल की गुड्ïडी को मनचलों ने उसके साथ चल रही भतीजी से छेड़छाड़ का विरोध करने पर ऐशबाग पुल से नीचे फेंक दिया था। लेकिन पुलिस गुड्ïडी को बदचलन बताकर मामले को दाखिल दफ्ïतर करने में जुटी रही। अनीता के भाई राजेश को मनचलों ने सिर्फ इसलिए पीट-पीटकर बेसुध कर दिया था। क्योंकि उसने अपनी बहन के साथ छेड़छाड़ का विरोध किया था। निरालानगर स्थित रैदास मंदिर के पास दो महिलाओं से छेड़छाड़ कर रहे अराजक तत्वों ने महिला के परिचित मुन्ना को चाकू घोंपकर इसलिए मौत की नींद सुला दिया क्योंकि मुन्ना अपनी परिचित महिलाओं से छेड़छाड़ किए जाने का विरोध कर रहा था। 21 जनवरी को स्कूल से घर लौट रही चन्दा वर्मा का अपहरण कर दुराचार करके पीट-पीट कर मार डाला गया। हत्यारों ने शव को पेट्रोल से जलाकर उसके घर से कुछ दूरी पर रख आने तक की हिम्मत जुटा ली थी। इसी माह की 6 तारीख को सिंगारनगर में वंशिका और उसके मासूम पुत्र को गोली मार दी गई।
पिछले साल 2 मई को आशियाना में कार सवार चार रईसजादो ने 23 साल की किशोरी सन्नो का अपहरण कर सामूहिक दुराचार कर उसके शरीर को लाइटर से जलाया। लेकिन महिला आयोग और पुलिस महज इसलिए दुराचारी के पक्ष में खड़े नजर आए क्योंकि बलात्कारियों में एक बड़े नेता का बिगड़ैल रईसजादा भी था। 14 जून को हजरतगंज में ही मोनिका पर तेजाब फेंका गया। कैन्ट में रंजना को मनचलों ने चाकुओं से गोद डाला। बीते 24 जुलाई को गाजीपुर इलाके में एक महिला को बंधक बना चाकुओं से गोद मौत की नींद सुला दिया गया। ठीक चार दिन बाद सरोजनीनगर में फर्जी आईएएस ने बंधक बनाकर 1_x007f_ साल की बच्ची के साथ दुराचार किया। 8 अगस्त को गाजीपुर में ही मिथलेश की निर्मम हत्या की गई। 14 अगस्त को नाका में 5 साल की बालिका से दुराचार करने के बाद दुराचारी उसे परिवर्तन चौक पर छोड़ गए। 22 अगस्त को डालीगंज में 4 लडक़ों ने सरेआम सडक़ पर एक नर्स से एक घन्टे तक छेडख़ानी की। पुलिस कन्ट्रोल रूम को सूचना देने के बाद भी नहीं पहुंची। 3_x007f_ अगस्त को गोमतीनगर में बैंक मैनेजर की पत्नी की गला घोंटकर हत्या कर दी गई। आलमबाग और मडिय़ांव में लड़कियों पर पड़ोसियों द्वारा तेजाब फेंका गया।
मतलब साफ है कि नजाकत और नफासत के शहर में अब महिलाओं को घूमने की इजाजत नहीं है। अवध की जिस शाम का हवाला दुनिया को दिया जाता है। उसमें खौफ का दंश भर गया है। क्योंकि पुलिस का इकबाल खत्म हो चुका है। वारदातों के सिलसिले शहर की सरहद से सिमटते-सिमटते पुलिस कप्तान के घर तक आ गए हैं। एसएसपी आवास से चन्द कदमों की दूरी पर स्थित दो लडक़ों ने रिक्शे पर सवार महिला का पर्स छीनने की कोशिश की। हाथापाई हुई। महिलाएं चिल्लाईं। लेकिन पुलिसकर्मी बाहर तक नहीं आए। पुलिस कप्तान के घर के पास ही लडक़ी पर तेजाब फेंकने का दुस्साहस करने में भी अपराधी खौफ महसूस नहीं करते। इतना ही नहीं, जिस दिलीपपुर टावर के सामने मेहर को शोहदों ने गोली मारी उसके ही एक कमरे में बड़े-बड़े अपराधियों का बेखौफ आना-जाना काफी दिनों से जारी था। इस बात की तस्दीक खुद जिला पुलिस करती है। गौरतलब है कि यह टावर पुलिस कप्तान के घर से चन्द कदम ही दूर है।
लेकिन मेहर भार्गव की हत्या से शहर हिल गया है। आवाम यह सवाल करने लगा है कि क्या बहू-बेटियों की इज्जत बचाने पर गोलियां खानी पड़ेंगी? मेहर के पार्थिव शरीर पर श्रद्घांजलि अर्पित करने आए मुख्यमन्त्री मुलायम सिंह यादव से संगनी संस्था की रेखा मोहन के नेतृत्व में महिलाओं ने सवाल किया कि मेहर के असली हत्यारे कब तक पकड़े जाएंगे? मेहर के पति लव भार्गव ने भी जानना चाहा कि हत्यारों को पकडऩे की समय सीमा मुख्यमन्त्री तय कर दें? लेकिन मुख्यमन्त्री ने अफसरों से विमर्श किए बिना भरोसा दिलाना उचित नहीं समझा। यह बात दीगर है कि मेहर के हत्यारों को गिरफ्ïतार करने के लिए पूर्व प्रधानमन्त्री और लखनऊ के सांसद अटल बिहारी बाजपेई ने भी मुलायम से बातचीत की। संतप्त परिजनों की मिजाजपुर्सी करने अटल लखनऊ आए। फिल्म निर्माता मुजफ्ïफर अली ने कहा, ‘‘कभी अदब का माहौल था अब खौफ का है। लगता है लखनऊ से भाग जाएं।’’ कांग्रेस अध्यक्ष सलमान खुर्शीद ने इसे राज्य की कानून व्यवस्था से जुड़ा सवाल बताया। कानून व्यवस्था के मुद्ïदे पर संजीदा हो उठने वाले मुख्यमन्त्री मुलायम सिंह यादव की पहल कहें या फिर मेहर की आंख बंद हो जाने के बाद पुलिस महानिदेशक यशपाल सिंह की आंख खुलने का सबब कि घटना के बावत पुलिस कप्तान आशुतोष पाण्डेय से जानकारी मांगी गई। लखनऊ जोन के पुलिस महानिरीक्षक ओ.पी. त्रिपाठी को एक दिन में मामले की पड़ताल करने का जिम्मा भी दिया गया। त्रिपाठी ने अपनी रिपोर्ट में हजरतगंज पुलिस को कठघरे में खड़ा करते हुए लिखा, ‘‘विवेचक से लेकर अधिकारियों तक ने कदम-कदम पर इस मामले में लापरवाही बरती। पुलिस ने गोली चलाने वाले सचिन पहाड़ी के दोस्तों व रिश्तेदारों तक के बारे में जानकारी हासिल करने की जरूरत नहीं समझी। जिन बिन्दुओं को ध्यान में रखकर ऐसी विवेचना की जाती है। उनका पालन नहीं किया गया।’’ त्रिपाठी की इस रिपोर्ट के बाद कुर्सी फंसती देख पुलिस कप्तान ने जौनपुर जिले के जरासी गांव निवासी _x008e_लाक प्रमुख के.डी. सिंह की गिरफ्ïतारी कराई। हालांकि पूछताछ में के.डी. सिंह ने सचिन पहाड़ी से किसी भी तरह के सम्बन्ध होने से साफ तौर पर इनकार किया। उसने पुलिस को बताया कि बीते साल 3_x007f_ जुलाई को लखनऊ जेल में निरूद्घ रहने के दौरान सचिन से उसकी पहली मुलाकात हुई थी। के.डी. सिंह को जमानत भी मिल गई। पुलिस को सबकुछ अचानक पता चल गया। उसे यह पता चल गया कि सचिन पहाड़ी मुम्बई में है। दूसरा आरोपी अमित सिंह मुगलसराय का हिस्ट्रीशीटर है। पुलिस ने अमित सिंह का चित्र भी तस्दीक करने के लिए भार्गव परिवार को भेजा। यह बात दीगर है कि चित्र गलत निकला। हत्या के एक आरोपी सचिन पहाड़ी पर भी शिकन्जा कसा जाने लगा। पिथौरागढ़ उ_x009e_ारांचल के रहने वाले सचिन पहाड़ी ने वर्ष 2_x007f__x007f_2 में आशियाना इलाके में रहने वाले ठेकेदार विकास की पहली हत्या की थी। इसी साल मानक नगर में इसने बच्चूलाल चौरसिया को मौत की नींद सुला दिया। पुलिस सूत्रों की मानें तो, ‘‘सचिन पहाड़ी का ताल्लुक कभी विजय मेनन गिरोह से भी था।’’ सचिन पहाड़ी पर इनाम की राशि लगातार बढ़ाई जा रही है। जबकि सडक़ से सदन तक मेहर भार्गव की हत्या और खतरे में औरतों की आबरू को लेकर गुस्सा पसरा हुआ है। मेहर के परिजनों और महिला संगठनों ने अपने गुस्से का इजहार मोमब_x009e_ाी जुलूस निकालकर दर्ज कराते हुए ‘वूमेन्स नीड सोशल इनवायरमेन्ट’ की आवाज बुलन्द की तो कांग्रेस ने सदन में सरकार को कटघरे में खड़ा किया। मेहर के परिजन हों या शुभचिन्तक अथवा लखनऊ की तहजीब और तमीज के अलम्बरदार सबकी यही मंशा है कि मेहर की शहादत बर्बाद न हो और वह महिलाओं के आबरू और सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों के लिए एक नजीर बनें। तभी तो चारों ओर से बढ़ रहे दबाव के मद्ïदेनजर मामले की पड़ताल एसटीएफ के हवाले कर दी गई है।
-योगेश मिश्र
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