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बातचीत योगी आदित्यनाथ

Dr. Yogesh mishr
Published on: 27 May 2006 8:08 PM IST
दिनांक: 27-_x007f_5-2_x007f__x007f_006
बीते वर्ष नेपाल में राजा ज्ञानेन्द्र द्वारा देश में आपातकाल के बाद जब समूचा विश्व लोकतन्त्र की वकालत करते हुए राजा के खिलाफ खड़ा था, तब विश्व हिन्दू महासंघ के भारतीय इकाई के अध्यक्ष व भाजपा सांसद योगी आदित्यनाथ ने बगावत करते हुए काठमांडू जाकर राजा ज्ञानेन्द्र को अपना समर्थन दिया था। योगी का तर्क था राजा विश्व के समस्त हिन्दुओं के सम्राट हैं, लिहाजा समर्थन हर हिन्दू का धर्म है। फिलहाल नेपाली संसद द्वारा नेपाल के हिन्दू राष्टï्र का दर्जा खत्म करने के प्रस्ताव के बाद योगी आन्दोलन की राह पर योगी से ‘आउटलुक ’ के अजय श्रीवास्तव से इन्हीं मुद्ïदों पर विस्तार से बात की। प्रस्तुत हैं, प्रमुख अंश:-
* हिन्दू राष्टï्र का दर्जा नेपाल का आन्तरिक मामला है। विरोध का क्या मतलब?

नेपाल में राजतन्त्र रहे या प्रजातन्त्र इससे हमारा कोई मतलब नहीं है। लेकिन नेपाल में हिन्दू चरित्र व पहचान से खिलवाड़ पर हम चुप नहीं बैठेंगे। नेपाल अन्तर्राष्टï्रीय साजिश का शिकार हुआ है। अमेरिका और अन्तर्राष्टï्रीय चर्च बीते 15-2_x007f_ वर्षों से नेपाल में व्यापक धर्मान्तरण पर लगे हुए हैं। सन्ï 199_x007f_ में लोकतन्त्र की बहाली के वक्त नेपाल में मात्र 46 ईसाई थे। लेकिन आज धर्मान्तरण की वजह से नेपाल ईसाइयों के लिए धर्मशाला बन गया है। दस वर्ष के अन्दर नेपाल में ईसाइयों की संख्या में 2.5 लाख की बढ़ो_x009e_ारी दर्ज हुई है। जनगणना के दौरान आईएसआई के इशारे पर काम करने वाले नेपाल के धूर्त राजनेताओं ने हिन्दू समाज को जातीय आधार पर बांटकर अल्पसंख्यक घोषित करते हुए तर्क दिया था कि नेपाल हिन्दू राष्टï्र हो ही नहीं सकता। नेपाल को हिन्दू राष्टï्र का दर्जा खत्म करना आईएसआई के लिए सबसे बड़ी जरूरत थी। क्योंकि वे नेपाल को पाकिस्तान व बांग्लादेश के बीच गलियारे के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं। आज भारत-नेपाल के सुरक्षित 1751 किलोमीटर की सीमा पर मदरसों की भरमार हो चुकी है। देखिए, भारत व नेपाल भूगोल के लिहाज से भले ही अलग-अलग हो, पर आत्मा एक ही है। नेपाल में हर उथल-पुथल का असर भारत पर होता है।
* नेपाल में हिन्दू राष्टï्र के खत्म होने के प्रस्ताव पर विरोध नहीं हो रहा है, अलब_x009e_ाा माओवादी अवश्य उत्साहित हैं?

सारे संकट की जड़ माओवादी ही हैं। देखिए कम्यूनिज्म और राष्टï्रीयता एक साथ नहीं रह सकता। माओवादियों ने हिंसा के सहारे नेपाल में आज ऐसा माहौल बना डाला है कि वहां की जनता हर हाल में शांति चाहती है। एक दिन जरूर राष्टï्रीयता जागेगी। तब वहां माओवाद का नामोनिशान नहीं रहेगा। हिन्दूत्व व राष्टï्रीयता एक दूसरे के पूरक हैं। ‘माओलैण्ड’ का सपना कभी साकार नहीं होगा।
*भारत सरकार को इस मुद्ïदे पर क्या करना चाहिए?


केन्द्र सरकार वामदलों के हाथों की कठपुतली बन चुकी है। इसी लिए इतने संवेदनशील मुद्ïदे पर शांत है। 195_x007f_ में ऐसा ही संकट आया था, तब भारत ने नेपाल को मान्यता देने से मना कर दिया था। एक बार फिर कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।
*आपकी इस संकट से निपटने की क्या योजना है?

फिलहाल हम पूर्वी उ_x009e_ार प्रदेश के विभिन्न जिलों में चरणबद्घ आन्दोलन कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। नेपाल से सटे सभी सीमावर्त जिलों में हिन्दू संगम करेंगे। जून में दिल्ली व काठमांडू में हिन्दू संगठन जोरदार प्रदर्शन करेंगे। हम लोगों को बताएंगे कि पाकिस्तान, ईरान, अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देश विशेष धर्म की वजह से पहचाने लाने के बावजूद पंथ निरपेक्ष होने का दावा कर सकते हैं तो नेपाल क्यों नहीं। हम नेपाल में सक्रिय हिन्दूवादी संगठनों से बात कर रहे हैं कि वे असंवैधानिक सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दें।


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Dr. Yogesh mishr

Dr. Yogesh mishr

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