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Interview : मुलायम सिंह

Dr. Yogesh mishr
Published on: 1 Jun 2006 8:39 PM IST
दिनांक: 1_x007f_-_x007f_6-200_x007f__x007f_6
कुश्ती के अखाड़े में मुलायम सिंह के दांव भले ही पहलवानों के लिए ऐसे खास हो गए हों कि उनकी काट निकालना उनके लिए एकदम आसान हो गया है। लेकिन सूबे की सियासत में मुलायम सिंह के दांव पर देना अब सियासी दलों को मुश्किल पड़ रहा है। तभी तो विपक्ष कान्तिहीन पड़ गया है और कन्या विद्या धन, बेरोजगारी भ_x009e_ाा, बुनकरों को बिजली व अन्य रियायतें, वकीलों को तहसील स्तर तक चैम्बर फिर किसानों को उनकी उपज का वाजिब दाम दिलाकर न केवल सूबे की सियासत में रूढ़ हो चुके जातीय मतों के बन्धन तोड़े हैं बल्कि अपने लिए नए वोट बैंक भी तैयार किए हैं। अपने तीसरे कार्यकाल में उनकी नजर पिछड़े और अल्पसंख्यक मतदाताओं से बाहर निकलकर सूबे के विकास, लोगों को बिजली, पानी मुहैया कराने के साथ ही साथ आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों पर भी ठीक से टिकी है तभी तो आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण के बच्चों के लिए भी वजीफे और मुफ्ïत पढ़ाई जैसी कई सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। (इस इन्ट्रो को चाहें तो ठीक कर लें)
क्या वजह थी कि इस सरकार को शुरू में लोग अल्पजीवी बताते थे और अब चुनाव की चर्चा बन्द हो गई है?

जो यह प्रचार कर रहे हैं वे नेता अथवा दल जनाधार हीन हैं। उन्हें देख लेना चाहिए कि सरकार को स्पष्टï बहुमत है। राज्यसभा में हमारे सभी 6 उम्मीदवार जीत गए। क्रास वोटिंग हुई। लेकिन सपा का स्पष्टï बहुमत भी दिखा। जिनके पास जनाधार नहीं है वही तो यह कह रहे हैं कि सरकार अल्पमत में है। यह सब कहना सरकार बनने के 38 दिन बाद ही शुरू हो गया था। लेकिन कई बार सदन में विश्वासमत हासिल कर हम यह कहने वालों का मुंह बन्द कर चुके हैं।
आपकी सरकार के तीन वर्ष पूरे होने को हैं। इस अवधि में उ.प्र. के हालात पर आपकी टिप्पणी?

तीनों सालों में जो काम हुआ है। आम जनता स्वीकार करने लगी है कि आजादी के बाद पहली बार हर वर्ग के लोगों को लाभ पहुंचाने का काम हमने किया है। हमारी सरकार ने किया है। सर्व शिक्षा अभियान में हम देश में सबसे आगे निकले। बीस सूत्रीय कार्यक्रम में पहले पावदान पर आए। लोगों को दवा मुहैया कराई। अस्पतालों में एक रूपये का पर्चा करवाया। कक्षा 8 तक बिना भेदभाव के सभी बच्चों को मुफ्ïत किताबें दी गईं। सडक़ के मामले में पिछली तमाम सरकारों से पांच गुना अधिक धनराशि खर्च की गई। अब तक 35_x007f_ बड़े पुल बन चुके हंै। पुलों की भरमार है। किसानों की बीमा योजना लागू हुई है। दैवीय आपदा के दौरान नष्टï हुई फसलों के लिए भी बीमा का प्राविधान किया गया। हमने जब सरकार बनाई थी तब चीनी उत्पादन में उ.प्र. तीसरे नम्बर पर था आज देश में अगुवा है। गन्ना किसानों का भुगतान पाई-पाई का करवाया गया। बुनकरों को सहूलियतें दी गईं। तहसील स्तर तक वकीलों के चैम्बर बने। शिक्षा के क्षेत्र में, विकास के क्षेत्र में, निर्माण के क्षेत्र में और सुविधाएं देने के क्षेत्र में हमने इतना काम किया कि शायद ही ऐसा कोई परिवार हो जिसे कोई न कोई फायदा न पहुचा हो।
बिजली उ.प्र. की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी समस्या है। तीन साल आपको काम करने को मिला। लेकिन आप भी जरूरत भर बिजली नहीं दे पाए। आपकी क्या राय है?

बिजली के मामले में पूरा उ_x009e_ार भारत संकटग्रस्त है। लेकिन सबसे कम संकट उ_x009e_ार प्रदेश में है। एक हफ्ïते में कहीं भी देखिएगा बिजली का संकट नहीं रह जाएगा। यहाँ बिजली और पानी दिल्ली और मुम्बई से अधिक मुहैया कराया जा रहा है। बेहतर होगा इस सवाल का जवाब उन लोगों से पूछा जाए जो गाजियाबाद में बिजली उत्पादन करने वाली फैक्ट्री डालने में रोड़े अटका रहे हैं। आप जानते ही होंगे कि ये कौन लोग हैं? बताने की जरूरत नहीं है। फिर भी बंगलौर उजड़ रहा है। लखनऊ आबाद हो रहा है।
आप राजस्व की बात कर रहे हैं। राजस्व के दूसरे क्षेत्रों से खबर आ रही है कि आपने पहली बार राजस्व का घाटा समाप्त किया है। इसका खुलासा करेगे?

सबसे बड़ी बात है कि हमने जो कहा था। किया। वि_x009e_ाीय अनुशासन कायम किया फिजूलखर्ची पर बहुत ज्यादा रोक लगाई। तभी तो 19 साल से निरन्तर चल रहे राजस्व घाटे पर बिना नए कर का बजट पेश कर नियन्त्रण पाया जा सका। हमारे कई अफसरों ने भी राजस्व संग्रह के मामले में काफी मदद की है। अन्य राज्यों में कहा जा रहा है। लेकिन हम कह रहे हैं कि हम खर्च नहीं कर पा रहे हैं।
बेरोजगारी भ_x009e_ाा और कन्या विद्या धन योजना को कैसे चला रहे हैं?


साफ नियति और प्राथमिकताओं की सही पहचान हो तो सभी काम हो जाते हैं।
बेरोजगारी भ_x009e_ो का राजनीतिक निहितार्थ निकाला जा रहा है। आपकी क्या राय है?

किसी काम को कीजिए तो विपक्ष अपने हिसाब से मतलब निकालता है। लेकिन हकीकत यह है कि यह टूटते हौसलों के लिए मेरा एक छोटा सा टोकन है। सहारा है। मेरे पास समय बहुत कम है मैं साफ कर दूं कि बेरोजगारी भ_x009e_ाा बेरोजगारो को रोजगार नहीं है। बल्कि रोजगार ढूंढने की कोशिश में एक छोटी सी सहायता है। जिससे वे अपने जरूरी फार्म भर सकें। इन्टरव्यू देने के लिए बिना उधार मांगे आ-जा सकें। हो सके तो एक वक्त की रोटी खा सकें।
 कन्या विद्या धन योजना के पीछे आपकी कोई राजनीतिक मंशा है क्या?

यह हमारी समाजवादी सोच का परिणाम है। डा. लोहिया का पूरा चिन्तन नारी को एक शक्ति पुंज मानता है। लोग लड़कियों को बोझ समझते हैं। वर्तमान समाज में वह शक्तिहीन हो गई है। उभरती हुई आधी आबादी को जो अभी किशोरावस्था में है। अगर आगे बढऩे का एक मार्ग छोटी सी धनराशि के रूप में दे दिया जाए तो उसके बहुत से काम पूरे हो जाते हैं और कम से कम उसकी पढ़ाई तो बिल्कुल नहीं रूकने पाती। यहीं एक बात और साफ कर दूं कि किसी भी शिक्षित समाज की बुनियाद होती हैं, शिक्षित औरतें। कन्या विद्या धन योजना के माध्यम से मेरा मकसद केवल इस बुनियाद को मजबूत करना है। ताकि प्रदेश में शिक्षा का एक औपचारिक प्रसार हो सके।
शिक्षा के क्षेत्र में और क्या-क्या किया आपने?

योजना आयोग और विश्व बैंक ने हमारे प्रयासों की सराहना की है। (प्राथमिक से उच्च और तकनीकी शिक्षा तक जो कुछ हुआ है। उसका विवरण देना)।
उ.प्र. में आजकल औद्योगिक विकास का दौर है। इसमें आप अपनी भूमिका क्या पाते हैं?

अमर सिंह के नेतृत्व में विकास परिषद ने विकास की दिशा में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। विकास परिषद ने कई अच्छे सुझाव दिए हैं। काफी निवेश आए हैं। जिसका परिणाम आपको दिख रहा होगा। विश्व बैंक के पास जिस स्तर के सलाहकार हैं। उसी स्तर के सलाहकार सदस्य विकास परिषद में भी हैं। ऐसी परिषद देश के किसी भी राज्य में नहीं है। विकास परिषद के कामकाज से जनता भली-भांति अवगत है।
कानून व्यवस्था पर बहुत टिप्पणियां होती हैं। आपकी क्या राय है?

मैं टिप्पणियों पर नहीं जाता। देखने की बात यह है कि छोटे अपराधों पर कोई नियन्त्रण नहीं कर पाता। लेकिन बहुत बड़े-बड़े संगठित अपराधों को हमने कुचल दिया है। हमारे सामने चुनौतियां राष्टï्रीय ही नहीं, अन्तर्राष्टï्रीय भी थीं। जिन पर हमने काबू पाया है। यह कहना होगा कि हमने केवल माफिया ही नहीं, बल्कि आतंकवाद को भी नियन्त्रित किया है। अयोध्या में कुछ होने ही नहीं दिया। बनारस में एक घटना भले घट गई। लेकिन जिम्मेदार लोग दूसरे दिन मार गिराए गए। निर्भय समेत तमाम दस्युओं का सफाया हुआ। हमने हर तरह के जांच और काम में प्रदेश की एजेन्सियों को ही आगे रखा। अपराध नियन्त्रण एसटीएफ के मार्फत किया। दूसरा सबसे बड़ा प्रमाण है कि उ.प्र. में यदि कानून व्यवस्था खराब होती तो 42 हजार करोड़ का निवेश नहीं प्राप्त होता।
आप क्या महसूस करते हैं कि इस समय प्रदेश का सामाजिक वातावरण कैसा है?

आप खुद देख लीजिए कि सामाजिक सद्ïभाव की जो मिसाल हमने कायम की है। वह नमूना है। हमने प्रदेश में दंगे नहीं होने दिए। समाज को जाति सम्प्रदाय में बंटने नहीं दिया। अनुसूचित जाति के लोगों के लिए कार्यक्रम चलाए तो गरीब सवर्णों के लिए भी योजनाएं लेकर आए। वोट बैंक या तुष्टिïकरण की राजनीति हमने नहीं की है। यही कारण है कि हमारे समय का समाज आपस में लड़ नहीं रहा है। यह प्रदेश के समग्र विकास का सबसे बड़ा आधार है।
अब आपके कार्यकाल का कुछ ही समय बचा है। मान लीजिए दूसरी बार आपको राज्य में काम करने का मौका मिलता है। आपकी फिर प्राथमिकताएं क्या होंगी?

बहुत संक्षेप में बताऊं तो अवस्थापना, विकास में हमने सडक़ों के विकास का कार्य काफी हद तक पूरा कर लिया है। अगर मौका मिलता है तो अगले तीन सालों में राज्य में बिजली समस्या का नामोनिशान मिट जाएगा। नम्बर एक तो हमने बिजली को चुना है, नम्बर दो उ.प्र. के उ_x009e_ाम कोटि के मानव संसाधन को सही दिशा और सही नियोजन की ओर ले जाने की हमारी कोशिश होगी।
-योगेश मिश्र
Dr. Yogesh mishr

Dr. Yogesh mishr

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