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सोनिया गांधी की रैली

Dr. Yogesh mishr
Published on: 8 Aug 2006 9:23 PM IST
दिनांक-०८-०८-०६
कांग्रेस और फिनिक्स पक्षी में काफी समानता है। दोनों अपनी राख से खुद-ब-खुद जी उठते हैं। राज्य में भाजपा और बसपा जैसे बड़े दलों और उनके जातीय समीकरणों की चुनौतियों के बावजूद मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा लगातार कांग्रेस से टकराव मोल लेकर उसे ‘राख’ तक पहुंचा देने के लिए की जा रही तमाम कोशिशों पर बीते मंगलवार को ऐतिहासिक फूलबाग मैदान की सोनिया गांधी की रैली ने पानी फेर कांग्रेस के पुर्नजीवित होने का संदेश दे दिया है। जिसमें कार्यकर्ताओं के लिए ‘करो या मरो’ का निर्देश था तो ‘रोजगार बनाम बेरोजगारी भत्ता’ को लेकर कांग्रेस की नई उम्मीद राहुल गांधी और मुलायम के अपने-अपने लुभावने तर्क और तरकश। मुख्यमंत्री के महात्वाकांक्षी योजना बेरोजगारी भ_x009e_ो को खारिज करते हुए राहुल ने नवनिर्माण रैली में कहा, ‘‘चुनाव आया है तब मुख्यमंत्री को युवाओं की याद आई है। बेरोजगारों को बेरोजगारी भ_x009e_ाा नहीं रोजगार चाहिए।’’ कांग्रेसियों को नसीहत देने के लिए अपने पिता राजीव गांधी द्वारा उ.प्र. यात्रा के दौरान सुनाई गई पुरानी एक कहावत भी दोहरायी। ‘उ_x009e_ाम प्रदेश’ के नारे की हवा निकालते हुए बोले, ‘‘राज्य सरकार की नीतियों के कारण नये उद्योग नहीं लगे। जो उद्यम थे वे भी छोडक़र जा रहे हैं। बीते पन्द्रह वर्षों में एक भी यूनिट बिजली का उत्पादन नहीं बढ़ा।’’ उत्साही कार्यकर्ताओं से खचाखच भरे मैदान में सोनिया ने चुनावी बिगुल फूंकते हुए मुलायम सरकार पर भ्रष्टïाचार में शामिल होने का आरोप मढ़ा। अपनी नेता को दुर्गा और देवी सरीखे कई रूपों में शहर के पोस्टरों और होर्डिंग्स में दिखाते हुए कांग्रेसी सूबे की सरकार के वध की उम्मीद लगाए थे। लेकिन उन पर जिला प्रशासन का खौफ भी दिख रहा था। मसलन, सोनिया को महिषासुर मर्दनी तो बनाया गया लेकिन महिषासुर की जगह किसी व्यक्ति को न दिखाकर भ्रष्टïाचार का वध करते हुए दिखाई गई थीं। जनसमूह को संबोधित करते हुए कांग्रेस हाईकमान ने कहा, ‘‘जाति धर्म एवं फिरकापरस्ती की राजनीति से उ.प्र. का विनाश हुआ है। यहाँ अपराधियों एवं अपराध का बोलबाला है। सब तरफ स_x009e_ाा का लालच दिखता है। सरकार जनता की नहीं बल्कि निजी स्वार्थ की राजनीति कर रही है। अपनी जेबें भर रही है।’’ आतंकवाद से लड़ाई के लिए सोनिया ने लोगों से जहां मदद की गुहार की वहीं बढ़ती मंहगाई के मुद्ïदे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पैरोकारी करते हुए इसका ठीकरा पूर्व की एनडीए सरकार पर फोड़ा। केन्द्र सरकार द्वारा चलाई जा रही ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, स्वास्थ्य मिशन, शहरी विकास मिशन, सर्व शिक्षा अभियान, राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण, भारत निर्माण कार्यक्रम तथा जवाहर लाल नेहरू अरबन रिन्यूवल मिशन व अल्पसंख्यकों के लिए तैयार किये गये पन्द्रह सूत्रीय कार्यक्रमों की चर्चा करते हुए यह जताने की कोशिश की कि जनता को उनकी चिंता राज्य सरकारों से ज्यादा है। नए ठौर की तलाश कर रहे अल्पसंख्यकों को सोनिया ने बताया कि केंद्र ने उनके लिए अलग मंत्रालय बना दिया है। सधे हुए और भावनात्मक भाषण में सोनिया ने जहां महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू का जिक्र करते हुए कई संदेश दिए वहीं कानपुर से करीबी ताल्लुक रखने वाले गणेश शंकर विद्यार्थी, चंद्रशेखर आजाद और अशफाक उल्ला खां की शहादत के पन्ने भी पलटे। कानपुर के टेनरी और कपड़ा उद्योग के लिए केन्द्र द्वारा किये गये फैसलों की फेहरिश्त पढक़र यह जताने की कोशिश की कि कभी भारत का मैनचेस्टर और आज टेनरी उद्योग के शीर्ष पर बैठे इस शहर की चिंता उन्हें है। उ.प्र. के केन्द्र के तीनों मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल, महावीर प्रसाद और अखिलेश दास के साथ ही साथ मैदान और मंच पर सूबे का पूरा का पूरा कांग्रेसी उमड़ आया था। तकरीबन 15 दिनों से इस रैली की चल रही तैयारियों का नतीजा सचमुच सकारात्मक था तभी तो उत्साह से लबरेज हो राज्य इकाई के अध्यक्ष सलमान खुर्शीद ने आनन-फानन में यह जुमला गढ़ दिया, ‘‘हम होंगे कामयाब।’’ लेकिन रैली की कामयाबी का श्रेय लेने की होड़ कांग्रेसियों में देखी गई। राज्य के कांग्रेस नेताओं ने अपने संबोधन में सूबे में पार्टी की लुंज-पुंज स्थिति को मजबूत करने के लिए राहुल गांधी को सारथी के रूप में मंागने की होड़ दिखी। कांग्रेस की ओर से राहुल को गदा, सोनिया को धनुष बाण भेंट किया गया।


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Dr. Yogesh mishr

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