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नेताओं की संपत्ति

Dr. Yogesh mishr
Published on: 12 Dec 2006 9:43 PM IST
दिनांक: 11.12.2००6
पांच शहर, दस बंगले, हीरे-जवाहरात के आभूषण, कई फार्म हाउस। कीमत करीब 64 करोड़ रूपये। यह किसी औद्योगिक घराने के मुखिया का व्यक्तिगत धन साम्राज्य नहीं है। यह दलित समाज की बहन जी का धन संपदा का हिसाब किताब है। जो सीबीआई की जांच में पता चला है। जांच में मायावती के खास सिपहसालार नसीमुद्ïदीन सिद्ïदीकी, रामवीर उपाध्याय, धर्मवीर सिंह, अशोक और नरेन्द्र कश्यप के नाम से खरीदी गई कई सम्प_x009e_िायों का _x008e_यौरा भी मिला है। बांदा, लखनऊ और मुंबई में नसीमुद्ïदीन की अपने भाई-भतीजों के नाम से खरीदी गई अचल सम्प_x009e_िायों का खुलासा तो यह भी लिखा है कि मायावती और इनके रिश्तेदारों तथा बहुजन ट्रस्ट के नाम कहां-कहां और कितनी सम्प_x009e_िा है। दिल्ली के सरदार पटेल मार्ग पर स्थित 11 नंबर की कोठी बहुजन ट्रस्ट और बसपा नेता मायावती के नाम 19 अगस्त 2००3 को हुई। इसका रजिस्ट्री नंबर 3641 है। सात करोड़ रूपये में खरीदी गई इस कोठी के लिए 47 लाख रूपये के स्टैम्प लगाए गए जबकि 22 लाख रूपये कारपोरेशन टैक्स के रूप में अदा किए गए। दिल्ली के इंद्रपुरी का मकान नंबर ई-ए-44 मायावती के नाम दर्ज है। इसके अलावा दिल्ली के ही इंद्रपुरी इलाके में मायावती के भाईयों और बहन की कोठियों की भी सीबीआई ने नोटिस ली है। सीबीआई का मानना है कि मायावती के परिजनों में सुख-समृद्घि के आलम का दौर उनके पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही शुरू हुआ। मायावती से जुड़ी अकूत धन संपदा में नोएडा के सेक्टर-66 में चल रहे डा. अंबेडकर इंस्टीट्ïयूट और सेक्टर-44 का प्लाट नम्बर ए-82 भी शुमार है। वैसे 5००० वर्ग गज में बना यह इंस्टीट्ïयूट मायावती की भाभी चलाती हैं। मायावती की तमाम अचल संप_x009e_िा या तो बहुजन ट्रस्ट के नाम पर है अथवा बसपा के नाम पर। मसलन, लखनऊ के लाल बहादुर शास्त्री मार्ग की जमीन और दिल्ली की कोठी की रजिस्ट्री में दर्ज है, ‘बहुजन समाज पार्टी अंडर कंट्रोल सुश्री मायावती, राष्टï्रीय उपाध्यक्ष, बहुजन समाज पार्टी’। लखनऊ में मायावती के क_x008e_जे में चार बड़ी कोठियां हैं। साउथ एवेन्यू की एक कोठी में बसपा कार्यालय है तो 6, लाल बहादुर शास्त्री मार्ग की कोठी बसपा के यूथ विंग के नाम आवंटित है। दिलचस्प यह है कि बसपा में युवा शाखा का कोई सांगठनिक ढांचा है ही नहीं लेकिन मायावती के लेफ्ïिटनेंट कहे जाने वाले बाबू सिंह कुशवाहा के इसके अध्यक्ष होने की सूचना दर्ज है। सीबीआई और आयकर के छापे के दौरान सूत्रों के मुताबिक, ‘‘मायावती के घर से 7.18 करोड़ रूपये से अधिक की सम्प_x009e_िा के दस्तावेज बरामद हुए हैं। उनके हुमायूं रोड स्थित आवास से साढ़े पांच लाख रूपये नकद और लखनऊ के माल एवेन्यू स्थित आवास से 36 हजार रूपये, दो बैंक खाते, एक लॉकर और कई जरूरी दस्तावेज मिले हैं।’’ वर्ष 1995 से 3० अगस्त 2००3 तक मायावती के आयकर रिटर्न दस्तावेज बताते हैं कि उन्होंने आठ सालों में घोषित तौर पर 1.1 करोड़ रूपये अर्जित किए। यह वह संप_x009e_िा है जिस पर दलित की बेटी मायावती ने आयकर अदा कया है। दिल्ली स्थित मायावती के दो बैंक खातों में सीबीआई को 2.5 करोड़ रूपये से ज्यादा की धनराशि का पता चला है। यह तब है जब २००२ के अगस्त के महीने में इन खातों के कई चेक मायावती ने रूपयों को ठिकाने लगाने के लिए काटे।

मायावती के परिजनों के फिक्स डिपाजिट और बैंक एकाउंट में सीबीआई को 3.3 करोड़ रूपये की भारी भरकम राशि का पता चला था। मायावती की मां के बैंक खाते में तीस लाख रूपये जमा पाया गया था। सरदार पटेल मार्ग, नई दिल्ली के बंगले का मारकेट मूल्य 35 करोड़, खरीदा गया 7 करोड़ रूपये में। नोएडा के सेक्टर-44 में भाई आनंद कुमार के नाम एन.जी. रंगा से 16 लाख में खरीदी गई प्रापर्टी जिसका बाजार मूल्य 1 करोड था। लखनऊ में गवर्नर हाउस के निकट की भूमि जिसका मारकेट मूल्य 1.75 करोड़ था जिसे 47.75 लाख में खरीदा। नोएडा के सेक्टर-13 में मकान जिसकी मारकेट वैल्यू 1 करोड़ थी, जबकि मात्र 18.17 लाख रूपये में क्रय किया गया। सीबीआई का मानना है कि मायावती और उनके रिश्तेदारों ने 4० करोड़ रूपये से अधिक की सम्प_x009e_िा इकट्ïठा की। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सीबीआई की भ्रष्टïाचार शाखा अब मायावती के हीरे जड़े उन कंगनों का रहस्य खंगालने में जुटी थी, जिनका जलवा पहली बार उनके जन्मदिन पर दिखा था। सीबीआई को शक है कि हीरे के ये आभूषण जन्मदिन के मौके पर किया गया तामझाम ताज कारिडोर की बदौलत संभव हुआ। लेकिन, पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के इस जवाब ने कि जन्मदिन के मौके पर पहने गये उनके जेवर नकली थे, सीबीआई को मुसीबत में डाल दिया है। एक माह के अंदर मायावती के ग्यासपुर स्थित बाग का दुबारा हस्तांतरण, जमीन का बाजार मूल्य अधिक दिखाया जाना भी मायावती की सम्प_x009e_िायों के खुलासे का एक हिस्सा है। मायावती के दूसरे नंबर के भाई आनंद कुमार व उनकी पत्नी को मायावती की मिल्कियत का स्वामी बनाया गया है। मायावती की सम्प_x009e_िा में मसूरी के दो होटल भी शामिल हैं। मसूरी में शेल्टॉन व अप्सरा नामक दो होटलों की खरीद फरोख्त मेें लगभग 11 करोड़ रूपये का निवेश किया गया। इन्हें मायावती के नजदीकी रिश्तेदारों के नाम हस्तांतरित किया गया। इन होटलों की रजिस्ट्री नहीं कराई गई, बल्कि कंपनी एक्ट के तहत इन्हें हस्तांतरित किया गया है। अलीगढ़ में पिता के नाम गभाना में सडक़ के सहारे की कई बीघा भूमि 2००1 में खरीदी गयी जब मायावती पर सीबीआई का छापा पड़ा, उस समय इसके हस्तांतरण की कोशिश भी की जा रही थी। माया के भाई ने अब सीबीआई जांच से घबराकर प्लाट वापस कर दिया। मायावती के मुख्यमंत्री पद पर रहते समय उनके पिता प्रभुदयाल ने अपने पैतृक गांव बादलपुर में बंगला बनाने के लिए 16 बीघा जमीन तथा भाई आनंद कुमार ने नोएडा के सेक्टर 44 में 45० वर्गमीटर का भूखंड खरीदा। नोएडा वाले प्लाट की कीमत मौजूदा बाजार भाव के हिसाब से 75 लाख रूपये हैं। जबकि इन दोनों सम्प_x009e_िायों के लिए लगभग 37 लाख रूपये का भुगतान प्रभुदयाल व आनंद कुमार द्वारा वर्ष 2००2 के अगस्त व अक्टूबर माह में किया गया। यही नहीं, नोएडा व बादलपुर में बनाए जा रहे इन आलीशान भवनों के निर्माण पर भी तकरीबन एक करोड़ रूपये से अधिक खर्च किए जा चुके हैं। बंगले के लिए एक किलोमीटर लंबी तथा 25 मीटर सडक़ तैयार कराई गई। आनंद ने सेक्टर-44 में बी-182 नंबर का 45० वर्गमीटर का एक भूखंड 16 लाख रूपये में नरसिंह रंगा पुत्र हुकुमचंद निवासी दुकान संख्या 28 गोदावरी काम्प्लेक्स सेक्टर 37 से खरीदा। इसके लिए आठ अक्टूबर 2००2 को 11 व 5 लाख रूपये के कुल 16 लाख का भुगतान किया गया। सूत्रों के मुताबिक 4 लाख 4० हजार स्टाम्प शुल्क के रूप में खर्च किए गए। सूत्रों के अनुसार पांच लाख रूपये ड्राफ्ïट नम्बर ०91683 तथा 11 लाख रूपये ड्राफ्ïट नम्बर ०58683 मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित यूनियन बैंक शाखा से बनवाए गए। हालांकि इसी भूखंड का भुगतान न करने पर इसके पूर्व मालिक नरसिंह रंगा को नोएडा प्राधिकरण ने 12 जनवरी 1999 में इस भूखंड की लीज डीड रंगा द्वारा कराई गई। अब इस भूखंड पर भव्य ढाई मंजिला भवन बनकर तैयार हो चुका है। चकबंदी अधिकारियों ने भी सजातीय होने का भरपूर फायदा उठाते हुए इब्राहीमपुर-जुनैदपुर उर्फ मौजपुर के नत्थी पुत्र अमीचंद्र की भूमि नंबर 245 मि-दो रकबा ०.253 हेक्टेयर भूमि को शशी पुत्री धर्मपाल सिंह व गंधर्व सिंह पुत्र सालिगराम निवासी डीसीएम सिनेमा के पीछे कनैनी हाऊस के नाम 25 जनवरी 2००1 को खरीदा दर्शाया जो बही नंबर 2425 कि पृष्ठï 159-162 के नंबर 286 पर दर्ज है। स_x009e_ाा परिवर्तन के बाद यह भूमि नरेश पुत्र हरपाल व जगदीश पुत्र प्यारे निवासी मदार दरवाजा के नाम 1० दिसंबर 2००3 को हस्तांतरित कर दी गई। उपनिबंधक कार्यालय में बैनामा 4० हजार में और मालियत तीन लाख तथा स्टैम्प तीस हजार के लगाए गए। इस भूमि का सरकारी रेट ढ़ाई लाख रूपये बीघा है। जिसका हस्तांतरण मात्र 4० हजार रूपये में दिखाया गया। लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में मायावती के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज है।

इसके अलावा भ्रष्टïाचार के आरोपों में घिरे लोकसेवकों पर मुकदमें के लिए अनुमति की अनिवार्यता खत्म करने के सर्वोच्च अदालत के चलते मायावती के खास सिपहसालार और ताज कॉरिडोर मामले में आरोप की जद में आए नसीमुद्ïदीन सिद्ïदीकी, मायावती के साथ ही उनके कबीना मंत्री रहे बसपा कोटे के वन मंत्री जयवीर सिंह, पूर्व वन मंत्री राम आसरे पासवान, मुलायम सरकार के खादी महकमे के कबीना मंत्री राजाराम पांडेय, पूर्व ग्रामीण अभियंत्रण मंत्री मारकण्डेय चंद्र, भाजपा सरकार के दौरान मंत्री रहे उसके विधायक-नेपाल सिंह एवं डा. नरेन्द्र कुमार सिंह गौर पर भी खतरे की घंटी लटक रही है। इनके खिलाफ लोकायुक्त भ्रष्टïाचार और पद के दुरूपयोग के मामलों में हटाए जाने की भी सिफारिश कर चुके हैं। मारकण्डेय चंद्र पर गोरखपुर में तत्कालीन जिलाधिकारी पर दबाव डालकर जमीन का पट्ïटा अपने नाम करा लेने की लोकायुक्त द्वारा कराई गई जांच में शिकायत सही पाई गई। लोकायुक्त ने उनके खिलाफ सरकार को कार्रवाई करने को भी कहा था, पर राजनाथ सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही।

बसपा के नसीमुद्ïदीन सिद्ïदीकी पर भूमि क_x008e_जे का आरोप है। राज्य से विशेष अनुमति लेकर राज्य सरकार ने लोकायुक्त से इस मामले की जांच कराई थी। शिकायत सही पाई गई। लोकायुक्त ने इनके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की लेकिन हुआ कुछ नहीं। नसीमुद्ïदीन सिद्ïदीकी मंडी परिषद घोटाले के भी आरोपी हैं। इस मामले में इनके खिलाफ प्राथमिकी कल्याण सिंह सरकार ने दर्ज कराई थी। भाजपा नेता नरेंद्र कुमार सिंह गौर पर इलाहाबाद में जमीन के क_x008e_जे और रजिस्ट्री में कम मूल्य के टिकट लगाने के आरोप थे।

रामआसरे पासवान तो पचास लाख से ऊपर की चाय ही पी गए थे। उनके इस शगल से क्षु_x008e_ध लोगों ने लोकायुक्त को शिकायत की। जांच में सब आरोप सच पाए गए। रामआसरे पासवान को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाने के लिए लोकायुक्त ने कड़ी संस्तुति भी की। पर गठबंधन सरकारों के दौर में यह होना मुमकिन नहीं रहा। राजाराम पांडेय तो अभी मुलायम सरकार में खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री भी हैं। इनसे भी लालब_x009e_ाी छीनने की सिफारिश पिछली भाजपा सरकार में ही लोकायुक्त ने की थी, पर बाद में भी इन्हें ब_x009e_ाी से नवाजने में कोई गुरेज नहीं किया गया।

-योगेश मिश्र


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Dr. Yogesh mishr

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