TRENDING TAGS :
चुनावी जनसभाओं के दृश्य
दिनाँक: 3०.०4.2००7
समर अभी थोड़ा शेष है। तभी तो रथी, महारथी और सारथी वाणी के शस्त्र और वादों के अस्त्र लेकर चुनावी रणभूमि में एक दूसरे पर पिले पड़े हुए हैं। हर आदमी नाचते हुए मोर को उसका पैर दिखा देना चाहता है ताकि मोर अपना थिरकना बंद कर दे। एक दूसरे पर कीचड़ उछालने की कोशिशों और आइना दिखाने के प्रयास के बीच जो चुनावी समर में दृश्य दिख रहे हैं वह साफ बताते हैं कि कुरूक्षेत्र के महाभारत की तरह सूबे के क्षेत्र में लड़ी जा रही इस लड़ाई में कहीं कोई नैतिकता रंच मात्र भी शेष नहीं रह गई है। कमर से नीचे गदा से वार आम है। सूर्यास्त के बाद भी युद्घ के चौसर जारी हैं। ‘आउटलुक’ ने समर के कई दृश्य लखनऊ, इलाहाबाद, गोरखपुर में देखे।
दृश्य-एक। स्थान-कपूरथला चौराहा, लखनऊ। समय-सायं 8 बजे। अटल बिहारी वाजपेयी की इस चुनाव में पहली और अंतिम सभा कही जाएगी। सूबे में भाजपा के लगातार बढ़ते ग्राफ और ब्राम्हण मतदाताओं को बाँधे रखने की कोशिश में अटल बिहारी वाजपेयी हाथ बँटाने को तैयार नहीं। तभी तो वह अपने संसदीय क्षेत्र के सिवाय गये कहीं नहीं। अपने प्रिय लालजी टंडन के विधानसभा क्षेत्र में आयोजित सभा में उपस्थित भीड़ पूरी तरह भगवा ब्रिगेड की अनुशासित सिपाही नजर आती है। नारे, जिंदाबाद और तालियाँ इसे तस्दीक करती हैं। पर, अटल बिहारी वाजपेयी को नीचे से मंच तक लाने के लिए कल्याण सिंह के न उठने, मंच पर अकेले बैठे रहने ने पुराने भाजपा प्रेमियों और मीडिया कर्मियों के सामने भी कई नकारात्मक संशय और अटकलें जने। मंच संभालने के लिए लगाये गये राघवराम मिश्र जमे नहीं। अटल के आने के बाद कल्याण के भाषण में खुद की चदरिया ज्यों की त्यों रख दीनी कहने से लोग एक दूसरे का मुँह ताकने लगे। कल्याण कहना चाह रहे थे कि वे उन लोगों में शुमार हैं जिन्होंने सियासत में अपने ईमानदारी की चादर में कोई दाग नहीं लगने दिया। कल्याण के भाषण के समय लोग कुर्सियों पर खड़े हो जाते हैं। अलीगंज के अनूप जायसवाल कहते हैं, ‘‘परिवार के साथ अटल को सुनने आया हूँ।’’ पर यह कहने के लिए जब राजनाथ खुद, लालजी टंडन और अटल बिहारी वाजपेयी मौजूद हों तब कल्याण सिंह के मुँह से यह सब सुन लोगों को उतना नहीं भाया। पर कल्याण सिंह ने सुनने आए लोगों में उत्साह का संचार किया। महापौर दिनेश शर्मा ने उ_x009e_ाराखंड और पंजाब की विजय पताका उप्र में न थमे कहकर चुनाव में जुटने का संदेश दिया। राजनाथ ने मायावती और मुलायम के जेल के खेल और सीबीआई के गिरफ्ïत की बात कह दोनों के दामन में दाग को दिखाया। पर अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यक्रम की शुरूआत और अंत ने कल्याण और अटल के रिश्तों के बीच की एक ऐसी कहानी उजागर की जो दूर-दूर तक लोगों के दिमाग से बाहर थी। अटल ने कहा, ‘‘कहा जा रहा था मैं इसलिए कार्यक्रम में नहीं जा रहा हूँ क्योंकि कल्याण सिंह से नाराज हूँ। मैंने कभी सोचा नहीं था कि ऐसा आरोप लगाया जाएगा। मन में किसी तरह का संदेह नहीं होना चाहिए। एक आशंका पैदा की गई। पैदा करने का प्रयास किया गया। इसलिए मैं आया हूँ।’’ कई बार विस्मृति के चलते भटकने, भूलने और नेपथ्य में खो जाने पर राजनाथ सिंह पाश्र्व से बताते और चेताते रहे। अटल ने कहा, ‘‘चुनाव लडऩा भाजपा का अंतिम लक्ष्य नहीं है। परमाणु विस्फोट, सरकार की उपल_x008e_िधयाँ उनके संक्षिप्त भाषण के अंश थे। पर अंत में कल्याण सिंह का जिक्र करते हुए यह कहकर, ‘‘कुछ खटपट कहना हमारे साथ अन्याय करना है। हम सारे विरोधों को सहन करते हुए, सहयोग में विरोधों को बदलते हुए साथ देंगे।’’ रिश्तों की जो इबारत लिखी वह पार्टी के अंदर और बाहर विवाद और वितंडा का सबब बन बैठा है। तभी तो अच्छे वक्ता समझ अटल को सुनने आए प्रताप शुक्ल कहते हैं, ‘‘अंदर खाने कुछ चल रहा है। कब फूटेगा पता नहीं।’’
दृश्य-दो। स्थान-भरत मिलाप तिराहा, धर्मशाला बाजार, गोरखपुर। समय-दोपहर 2:3० बजे। तिराहे पर जुटी करीब डेढ़ हजार लोगों की भीड़ ‘सपा के राजकुमार’ यानी मुख्यमंत्री के बेटे अखिलेश यादव का इंतजार कर रही है। पारा करीब 44 डिग्री के आसपास। गर्मी से निजात दिला रहा है सपा का पम्पलेट। छुटभैये नेता अटल, आडवाणी, राहुल, सोनिया, मायावती से लेकर योगी तक के खिलाफ आग उगल रहे हैं। विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के प्रो. चि_x009e_ारंजन मिश्र कहते हैं, ‘‘योगी को एक बार फिर जेल भेजने के लिए सपा को वोट दीजिए।’’ करीब 3:०5 मिनट पर कन्नौज के सांसद अखिलेश यादव बदायूँ के सांसद सलीम शेरवानी के साथ पहुँचते हैं। ‘ये जवानी किसके नाम, अखिलेश यादव तेरे नाम’, ‘जलवा जिसका कायम है, उसका नाम मुलायम है’, जैसे नारों से भीड़ स्वागत करती है। सबको अखिलेश यादव के सामने अधिक बोलना है लेकिन संचालन कर रहे चंद्रबली यादव, सबसे कम समय में निपटाने की विनती करते हैं। अखिल भारतीय ब्राम्हण महासभा के अध्यक्ष पं. केसरी पांडेय की बोलने की बारी आती है तो युवा सांसद हाथ जोडक़र कहते हैं, ‘‘पंडित जी। आपको बहुत सुना है, जल्दी।’’ अखिलेश यादव के चेहरे पर पसीने की बूंदे सूख नही रही हैं, हालांकि सपा की उपल_x008e_िधयों वाली किताब से छात्र संघ के प्रत्याशी रहे संजय यादव हवा हांकने में एक सेकेन्ड के लिए भी नहीं रूके। खैर करीब 3:25 बजे अखिलेश ने बोलना शुरू किया। चुटीले अंदाज में अखिलेश कांग्रेस पर हमला करने के बाद मायावती पर आते हैं। बोलते हैं, ‘‘मायावती जी अभी तक ‘सुश्री’ हैं। जबकि चार बार भाजपा से ‘गठबंधन’ कर चुकी हैं। सबकी ‘बहनजी’ है। राखी बंधवाने में अव्वल, इसीलिए मैं उन्हें ‘बुआ’ कहता हूँ।’’ ‘बुआ’ कह रही हैं, ‘‘चुनाव बाद हम विदेश भाग जायेंगे। उन्हें नहीं मालूम हम चुनाव जीतेंगे। हां। जीत के बाद छुट्ïटी मनाने कहाँ जायें। यह पूछने ‘बुआ’ के पास जरूर जायेंगे। अखिलेश योगी को आड़े हाथों लेते हैं। बोलते हैँ, ‘‘यहां आस्था के मठ के एक महंथ हैं। सुना था बड़ा टेरर है। हमने देखा, आपने भी न्यूज चैनलों पर देखा होगा। आंख से आंसू इतने बह रहे थे कि पोंछने को रूमाल तक नहीं मिला।’’ 25 मिनट तक बोलने के बाद अखिलेश स्थानीय सपा नेता के घर की तरफ पैदल जलपान के लिए बढ़ते हैं। स्कूल में मास्टर प्रमोद अपने साथी विजय यादव से कहता है, ‘‘ठीक बोलतबा।’’ विजय कहता है, ‘‘कम से कम समझ में तै आवत बा, बाप के ते बोलिए नहीं समझ आवेला।’’
दृश्य-तीन। स्थान-जंगल कौडिय़ा, गोरखपुर। समय-दोपहर के 11:4० बजे। चौराहे पर जमा तकरीबन हजार लोगों को भीड़ गोरक्षपीठ के उ_x009e_ाराधिकारी योगी आदित्यनाथ को सुनने जुटी है। भगवा में लिपटे 5 फुट चार इंच के योगी के पहुँचते ही भीड़ ‘जयश्रीराम’ का शंखनाद करती है। योगी पलथी मार मंत्र पढ़ बैठ जाते हैं। भीड़ में पीछे खड़े संजय पासवान जो स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। अपने दोस्त से कह रहे हैं, ‘‘मुलयमा बड़ा अन्याय कईलत योगी जी के साथ।’’ अबे सुन का बोलत बाटे, दोस्त बोलता है। योगी भाषण में सिर्फ मुलायम पर हमला करते हैं। बसपा व कांग्रेस का नाम तक नहीं लेते। योगी बोलते हैं, ‘‘मुलायम खुद को भगवान कृष्ण का वंशज बताता है, जबकि हकीकत यह है कि वह कंस का अवतार हैं, जिसके शासनकाल में हजारों मां-बहनों का सुहाग छिन गया।’’ योगी के निशाने पर बागी भी हैं, लेकिन नाम लेने के बजाए इशारों में बागियों पर हमला करते हैं। ‘योगी सेवक’ भाषण में गायब तल्खी की वजह तलाश रहे हैं। माथे पर भगवा पट्ïटी बाँधे 22 साल का योगेंद्र सिंह बोलता है, ‘‘जेलवा जइले के बाद इनहु के कहानी खत्मे लगत बा।’’ योगी 12 मिनट में अपनी बात कर दूसरी सभा की तरफ बढ़ लेते हैं।
दृश्य-चार। स्थान-जमुना प्रसाद भगवान दास महिला महाविद्यालय, चौरी-चौरा, गोरखपुर। समय-दोपहर 2 बजे। सभा स्थल से 5० मीटर पर पूर्व भाजपा अध्यक्ष डक्कन एविएशन के हैलीकाप्टर से उतरते हैं। पैदल मंच के तरफ बढ़ते हैं आडवाणी। उत्साही तकरीबन चार हजार की भीड़ आडवाणी की झलक पाने को बेताब है। कार्यकर्ता नारा लगाते हैं, ‘‘जिन्दाबाद। हर-हर महादेव। जयश्रीराम।’’ हिंदुत्व की उग्र जमीन पर जयश्रीराम का तीसरे नम्बर पर आना आश्चर्यजनक लगता है। आडवाणी मंच पर पहुँचते ही कार्यक्रम की डोर अपने हाथ ले लेते हैं। निर्देश देते हैं, ‘‘प्रत्याशी को बोलवा लो, तब मैं बोलूँगा।’’ 2:1० मिनट पर माइक आडवाणी के हाथों में आ जाता है। करीब 2० मिनट के सम्बोधन में आडवाणी ने केंद्र सरकार को मंहगाई व प्रदेश सरकार को कानून व्यवस्था पर घेरते हैं। आडवाणी बोलते हैं, ‘‘निठारीकांड ने समूचे भारत को झकझोरा। पर मुख्यमंत्री ने वहां जाने की जरूरत नहीं समझी। भाई कहता है, ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। भ्रष्टïाचार, गुंडाराज व जंगलराज से सिर्फ भाजपा निजात दिला सकती है।’’ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की शहीद स्थली चौरीचौरा में राममंदिर आंदोलन के अगुवा आडवाणी हिंदुत्व के मुद्ïदे पर बोलने से कतराते रहे। भीड़ में मौजूद भईसहा गांव के पृथ्वीनाथ सिंह आडवाणी के नम्र तेवर से नाराज नजर आते हैं। वह कहते हैं, ‘‘लगतबा जिन्ना के भूत इन पर आज ले सवार बा।’’ योगी के उग्र हिंदुत्व का इलाके में खासा प्रभाव है। सभा में योगी की नामौजूदगी पर लोक चर्चा करते नजर आए। हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता अशोक यादव बगल में खड़े भगवाधारी से सवाल करते हैं, ‘‘योगी जी तो आडवाणी जी के आदमी हैं, तब काहे योगी जी नहीं आए।’’ जवाब मिला, ‘‘मालूम नहीं का, योगी जी बीमार हैं।’’ करीब 2:35 बजे आडवाणी मंच से उतरते हैं। तकरीबन 3०० महिलाओं के झुंड से आवाज आती है, लालकृष्ण आडवाणी जिंदाबाद। आडवाणी महिलाओं का अभिवादन स्वीकार कर हैलीकाप्टर की तरफ बढ़ते हैं। बच्चों का झुंड हैलीकाप्टर की तरफ भागता है। थोड़ी ही देर में आडवाणी हवा में नजर आने लगते हैं। हाईस्कूल का छात्र अभिषेक नीचे से चिल्लाता है, ‘‘फिर अईहा नेता जी! पाँच साल बाद!’’
दृश्य-पांच। स्थान-के.पी. इंटर कालेज, इलाहाबाद। समय-दोपहर 2 बजे। तापमान-43 डिग्री। धूप काँटे की तरह चुभ रही है और मैदान में मायावती नीले परचम के तले जुटे लगभग 15 हजार समर्थकों को बहुजन समाज पार्टी के लक्ष्य को समझा रही है। परिवर्तन की आंधी का अहसास बसपा की नीतियों में आस्था रखने वालों को है तो उनकी सुप्रीमो भी अब सर्वसमाज के हितों की वकालत जोरदार ढंग से करती हैं। आत्म-विश्वासी लहजे में उनका लबो-लहजा भी बदल गया है। वह उपस्थित भीड़ को समझाती हें कि दलित वोटों के साथ सवर्ण समाज के वोटों को मिलाकर बनी स_x009e_ाा समीकरणों की जादुई छड़ी से अब वह उप्र की स_x009e_ाा फिर से हासिल करने जा रही हैं। सभा में उपस्थित उनके दलित और सवर्ण समाज के समर्थक नारे लगाते हैं- ‘हाथी नहीं गणेश है, ब्रम्हा विष्णु महेश है।’ भीड़ के उत्साह से मुस्कराती बहन जी मुस्कुराती हुई चुटकी लेती हैं, ‘‘चुनाव आयोग की सख्ती व बसपा के प्रति रुझान देखकर सूबे के मुखिया मुलायम सिंह ने तो हार मान ली है। इसीलिए पूर्व मुख्यमंत्रियों की टोली लिए घूम रहे हैं। ताकि चुनाव बाद में वह अकेले न पड़ जायें।’’ वे अतीक, राजा भैया, मुलायम और अमर को जेल भेजने की बात कर समर्थकों की जोरदार तालियाँ बटोरती हैं। सपा के कुशासन के लिए भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा कर अपने समर्थकों को यह समझाती हैं कि सिर्फ बसपा ही विकल्प है। सभा में उनकी सीएम वाली हनक अभी भी कायम दिखती है। भाषण के बीच दरोगा भर्ती परीक्षा में धांधली को लेकर शिकायत करने छात्रों का एक बड़ा जत्था नारेबाजी करते आ जाता है। बहनजी तमतमाते हुए माइक से पुलिस वालों को निर्देशित करती हैं, ‘‘पुलिस वाले सभा में नारेबाजी कर रहे लोगों को पकड़ लें और उनके बैनर छीन लें।’’ निर्देश मिलते ही पुलिस वाले बहन जी के हुक्म की तालीम करने में ऐसे जुट गए जैसे वह वर्तमान सीएम की सभा में ड्ïयूटी दे रहे हों। वे बैनर छीनकर नारे बाजी कर रहे लोगों को सभास्थल से बाहर कर देते हैं। यह दृश्य देखकर गल्ला बाजार के राम सजीवन फुसफुसाते हुए कहते हैं, ‘‘लगता है ये खाकी वर्दी वाले भी जान गये हैं कि बहन जी सरकार बना रही हैं।’’ मायावती चुनाव आयोग की जमकर तारीफ करती हैं। लेकिन मीडिया में उनके खिलाफ अर्नगल प्रचार वाले विज्ञापन को लेकर मीडिया पर जम कर बरसती हैं और चेतावनी देती हैं सरकार बनने के बाद पूरे प्रकरण की जांच होगी और उसमें जो भी मीडियाकर्मी व अन्य लोग दोषी होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। अल्पसंख्यकों व गरीब सवर्णों पर डोर डालती हैं। आर्थिक आधार पर अल्पसंख्यकों व सवर्ण गरीबों को आरक्षण देने की वकालत कर फिर तालियाँ बटोरती हैं। जाते-जाते समर्थकों को निर्देश देती हैं महिलाएँ चूल्हे बाद में जलाएँ मतदान पहले करें और पुरूष मतदान के दिन उपवास रख ार्टी के पक्ष में मतदान करायें। इसके बाद समर्थकों से नारा लगवाती हैं, ‘‘चढ़ गुंडन की छाती पर बटन दबाओ हाथी पर’’ रामशंकर प्रजापति कहते हैं, ‘‘बहन जी ही गुण्डन को ठीक कर सकती हैं और किसी में यह दम नहीं है। पंडित गया प्रसाद शुक्ल हामी भरते हुए कहते हैं, ‘‘उप्र में दम मायावती ही भर सकती हैं। इसीलिए ब्राम्हण अबकी हाथी पर सवार है।’’
दृश्य-छह। के.पी. इंटर कालेज का मैदान, इलाहाबाद। समय-6:3० बजे सायं। मौसम खुशनुमा था। सूरज की तपिश खत्म हो गई थी। कांग्रेस की राष्टï्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के जादुई संबोधन में हजारों लोग भावनात्मक संगम में डुबकी लगा रहे थे। प्रयाग की बहू ने लोगों के दिलों को छू लिया। ‘आनंद भवन’ से अपने रिश्तों को जोड़ा और इलाहाबाद के महल को रेखांकित करते हुए नेहरू, इंदिरा और राजीव की स्मृतियों को ताजा कर दिल की ठंडी बयार चलाकर इलाहाबाद के तपते राजनीतिक तापमान ने कांग्रेस को लोगों के दिलो-दिमाग में उतार दिया।
ऋषियों-मुनियों के प्रयाग से अकबर महान के इलाहाबाद की शानदार परम्परा, गौरवशाली इतिहास और देश के लिए इस शहर के महत्व को जब कांग्रेस अध्यक्ष इलाहाबाद से जज्बाती रिश्ते जोड़े तो उपस्थित लोगों में आत्मसम्मान की भावना भर गई। संगम को नदियों का ही नहीं, परंपराओं और संस्कृति का संगम है। सोनिया गांधी ने नेहरू-गांधी परिवार की सेवाओं का स्मरण-, नेहरू गांधी परिवार के साथ-साथ शास्त्री और बहुगुणा परिवार का भी राष्टï्र सेवा में योगदान का जिक्र करना नहीं भूलीं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास, यहां के अध्यापकों, साहित्यकारों और आजादी के मतवालों को याद कर बहू ने अपने ससुराल के बारे में कहा कि अगर इलाहाबाद न होता तो वह भी न होती।
राहुल गांधी के सफल रोड शो के बाद कांग्रेस के पक्ष में बने माहौल में सोनिया गांधी के जज्बाती संबोधन से कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत की संभावना बढ़ गई है। इलाहाबाद का चुनावी माहौल कांग्रेसमय हो गया है। सोनिया गांधी जहां एक ओर आदर्श बहू के रूप में थीं तो दूसरी ओर कांग्रेस की राष्टï्रीय अध्यक्ष के रूप में भाजपा और गैर कांग्रेसी दलों पर तीखे हमले किए। उन्होंने एनडीए सरकार के कार्यकाल को भ्रष्टïाचार और निष्क्रियता को बताते हुए यूपीए सरकार की उपल_x008e_िधयों का बखान किया। श्रीमती गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके नेतृत्व में चल रही यूपीए सरकार की गरीबों, दलितों, अल्पसंख्यकों और किसानों के हितों में बनाई गई नीतियों की सराहना करते हुए लोगों से सांप्रदायिक और जातिवादी शक्तियों को ठुकराने का आह्ïवान किया। उन्होंने उ_x009e_ार प्रदेश में विकास की गति रूकने के लिए गैर कांग्रेसी सरकारों को दोषी बताया। श्रीमती गांधी ने राजनीति में अपराधियों के बढ़ते दबदबे पर चिंता जताई और ऐसे लोगों को चुनावी परिदृश्य से हटाने के लिए जनता से आह्ïवान किया।
-सभा स्थलों से योगेश मिश्र
समर अभी थोड़ा शेष है। तभी तो रथी, महारथी और सारथी वाणी के शस्त्र और वादों के अस्त्र लेकर चुनावी रणभूमि में एक दूसरे पर पिले पड़े हुए हैं। हर आदमी नाचते हुए मोर को उसका पैर दिखा देना चाहता है ताकि मोर अपना थिरकना बंद कर दे। एक दूसरे पर कीचड़ उछालने की कोशिशों और आइना दिखाने के प्रयास के बीच जो चुनावी समर में दृश्य दिख रहे हैं वह साफ बताते हैं कि कुरूक्षेत्र के महाभारत की तरह सूबे के क्षेत्र में लड़ी जा रही इस लड़ाई में कहीं कोई नैतिकता रंच मात्र भी शेष नहीं रह गई है। कमर से नीचे गदा से वार आम है। सूर्यास्त के बाद भी युद्घ के चौसर जारी हैं। ‘आउटलुक’ ने समर के कई दृश्य लखनऊ, इलाहाबाद, गोरखपुर में देखे।
दृश्य-एक। स्थान-कपूरथला चौराहा, लखनऊ। समय-सायं 8 बजे। अटल बिहारी वाजपेयी की इस चुनाव में पहली और अंतिम सभा कही जाएगी। सूबे में भाजपा के लगातार बढ़ते ग्राफ और ब्राम्हण मतदाताओं को बाँधे रखने की कोशिश में अटल बिहारी वाजपेयी हाथ बँटाने को तैयार नहीं। तभी तो वह अपने संसदीय क्षेत्र के सिवाय गये कहीं नहीं। अपने प्रिय लालजी टंडन के विधानसभा क्षेत्र में आयोजित सभा में उपस्थित भीड़ पूरी तरह भगवा ब्रिगेड की अनुशासित सिपाही नजर आती है। नारे, जिंदाबाद और तालियाँ इसे तस्दीक करती हैं। पर, अटल बिहारी वाजपेयी को नीचे से मंच तक लाने के लिए कल्याण सिंह के न उठने, मंच पर अकेले बैठे रहने ने पुराने भाजपा प्रेमियों और मीडिया कर्मियों के सामने भी कई नकारात्मक संशय और अटकलें जने। मंच संभालने के लिए लगाये गये राघवराम मिश्र जमे नहीं। अटल के आने के बाद कल्याण के भाषण में खुद की चदरिया ज्यों की त्यों रख दीनी कहने से लोग एक दूसरे का मुँह ताकने लगे। कल्याण कहना चाह रहे थे कि वे उन लोगों में शुमार हैं जिन्होंने सियासत में अपने ईमानदारी की चादर में कोई दाग नहीं लगने दिया। कल्याण के भाषण के समय लोग कुर्सियों पर खड़े हो जाते हैं। अलीगंज के अनूप जायसवाल कहते हैं, ‘‘परिवार के साथ अटल को सुनने आया हूँ।’’ पर यह कहने के लिए जब राजनाथ खुद, लालजी टंडन और अटल बिहारी वाजपेयी मौजूद हों तब कल्याण सिंह के मुँह से यह सब सुन लोगों को उतना नहीं भाया। पर कल्याण सिंह ने सुनने आए लोगों में उत्साह का संचार किया। महापौर दिनेश शर्मा ने उ_x009e_ाराखंड और पंजाब की विजय पताका उप्र में न थमे कहकर चुनाव में जुटने का संदेश दिया। राजनाथ ने मायावती और मुलायम के जेल के खेल और सीबीआई के गिरफ्ïत की बात कह दोनों के दामन में दाग को दिखाया। पर अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यक्रम की शुरूआत और अंत ने कल्याण और अटल के रिश्तों के बीच की एक ऐसी कहानी उजागर की जो दूर-दूर तक लोगों के दिमाग से बाहर थी। अटल ने कहा, ‘‘कहा जा रहा था मैं इसलिए कार्यक्रम में नहीं जा रहा हूँ क्योंकि कल्याण सिंह से नाराज हूँ। मैंने कभी सोचा नहीं था कि ऐसा आरोप लगाया जाएगा। मन में किसी तरह का संदेह नहीं होना चाहिए। एक आशंका पैदा की गई। पैदा करने का प्रयास किया गया। इसलिए मैं आया हूँ।’’ कई बार विस्मृति के चलते भटकने, भूलने और नेपथ्य में खो जाने पर राजनाथ सिंह पाश्र्व से बताते और चेताते रहे। अटल ने कहा, ‘‘चुनाव लडऩा भाजपा का अंतिम लक्ष्य नहीं है। परमाणु विस्फोट, सरकार की उपल_x008e_िधयाँ उनके संक्षिप्त भाषण के अंश थे। पर अंत में कल्याण सिंह का जिक्र करते हुए यह कहकर, ‘‘कुछ खटपट कहना हमारे साथ अन्याय करना है। हम सारे विरोधों को सहन करते हुए, सहयोग में विरोधों को बदलते हुए साथ देंगे।’’ रिश्तों की जो इबारत लिखी वह पार्टी के अंदर और बाहर विवाद और वितंडा का सबब बन बैठा है। तभी तो अच्छे वक्ता समझ अटल को सुनने आए प्रताप शुक्ल कहते हैं, ‘‘अंदर खाने कुछ चल रहा है। कब फूटेगा पता नहीं।’’
दृश्य-दो। स्थान-भरत मिलाप तिराहा, धर्मशाला बाजार, गोरखपुर। समय-दोपहर 2:3० बजे। तिराहे पर जुटी करीब डेढ़ हजार लोगों की भीड़ ‘सपा के राजकुमार’ यानी मुख्यमंत्री के बेटे अखिलेश यादव का इंतजार कर रही है। पारा करीब 44 डिग्री के आसपास। गर्मी से निजात दिला रहा है सपा का पम्पलेट। छुटभैये नेता अटल, आडवाणी, राहुल, सोनिया, मायावती से लेकर योगी तक के खिलाफ आग उगल रहे हैं। विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के प्रो. चि_x009e_ारंजन मिश्र कहते हैं, ‘‘योगी को एक बार फिर जेल भेजने के लिए सपा को वोट दीजिए।’’ करीब 3:०5 मिनट पर कन्नौज के सांसद अखिलेश यादव बदायूँ के सांसद सलीम शेरवानी के साथ पहुँचते हैं। ‘ये जवानी किसके नाम, अखिलेश यादव तेरे नाम’, ‘जलवा जिसका कायम है, उसका नाम मुलायम है’, जैसे नारों से भीड़ स्वागत करती है। सबको अखिलेश यादव के सामने अधिक बोलना है लेकिन संचालन कर रहे चंद्रबली यादव, सबसे कम समय में निपटाने की विनती करते हैं। अखिल भारतीय ब्राम्हण महासभा के अध्यक्ष पं. केसरी पांडेय की बोलने की बारी आती है तो युवा सांसद हाथ जोडक़र कहते हैं, ‘‘पंडित जी। आपको बहुत सुना है, जल्दी।’’ अखिलेश यादव के चेहरे पर पसीने की बूंदे सूख नही रही हैं, हालांकि सपा की उपल_x008e_िधयों वाली किताब से छात्र संघ के प्रत्याशी रहे संजय यादव हवा हांकने में एक सेकेन्ड के लिए भी नहीं रूके। खैर करीब 3:25 बजे अखिलेश ने बोलना शुरू किया। चुटीले अंदाज में अखिलेश कांग्रेस पर हमला करने के बाद मायावती पर आते हैं। बोलते हैं, ‘‘मायावती जी अभी तक ‘सुश्री’ हैं। जबकि चार बार भाजपा से ‘गठबंधन’ कर चुकी हैं। सबकी ‘बहनजी’ है। राखी बंधवाने में अव्वल, इसीलिए मैं उन्हें ‘बुआ’ कहता हूँ।’’ ‘बुआ’ कह रही हैं, ‘‘चुनाव बाद हम विदेश भाग जायेंगे। उन्हें नहीं मालूम हम चुनाव जीतेंगे। हां। जीत के बाद छुट्ïटी मनाने कहाँ जायें। यह पूछने ‘बुआ’ के पास जरूर जायेंगे। अखिलेश योगी को आड़े हाथों लेते हैं। बोलते हैँ, ‘‘यहां आस्था के मठ के एक महंथ हैं। सुना था बड़ा टेरर है। हमने देखा, आपने भी न्यूज चैनलों पर देखा होगा। आंख से आंसू इतने बह रहे थे कि पोंछने को रूमाल तक नहीं मिला।’’ 25 मिनट तक बोलने के बाद अखिलेश स्थानीय सपा नेता के घर की तरफ पैदल जलपान के लिए बढ़ते हैं। स्कूल में मास्टर प्रमोद अपने साथी विजय यादव से कहता है, ‘‘ठीक बोलतबा।’’ विजय कहता है, ‘‘कम से कम समझ में तै आवत बा, बाप के ते बोलिए नहीं समझ आवेला।’’
दृश्य-तीन। स्थान-जंगल कौडिय़ा, गोरखपुर। समय-दोपहर के 11:4० बजे। चौराहे पर जमा तकरीबन हजार लोगों को भीड़ गोरक्षपीठ के उ_x009e_ाराधिकारी योगी आदित्यनाथ को सुनने जुटी है। भगवा में लिपटे 5 फुट चार इंच के योगी के पहुँचते ही भीड़ ‘जयश्रीराम’ का शंखनाद करती है। योगी पलथी मार मंत्र पढ़ बैठ जाते हैं। भीड़ में पीछे खड़े संजय पासवान जो स्नातक की पढ़ाई कर रहे हैं। अपने दोस्त से कह रहे हैं, ‘‘मुलयमा बड़ा अन्याय कईलत योगी जी के साथ।’’ अबे सुन का बोलत बाटे, दोस्त बोलता है। योगी भाषण में सिर्फ मुलायम पर हमला करते हैं। बसपा व कांग्रेस का नाम तक नहीं लेते। योगी बोलते हैं, ‘‘मुलायम खुद को भगवान कृष्ण का वंशज बताता है, जबकि हकीकत यह है कि वह कंस का अवतार हैं, जिसके शासनकाल में हजारों मां-बहनों का सुहाग छिन गया।’’ योगी के निशाने पर बागी भी हैं, लेकिन नाम लेने के बजाए इशारों में बागियों पर हमला करते हैं। ‘योगी सेवक’ भाषण में गायब तल्खी की वजह तलाश रहे हैं। माथे पर भगवा पट्ïटी बाँधे 22 साल का योगेंद्र सिंह बोलता है, ‘‘जेलवा जइले के बाद इनहु के कहानी खत्मे लगत बा।’’ योगी 12 मिनट में अपनी बात कर दूसरी सभा की तरफ बढ़ लेते हैं।
दृश्य-चार। स्थान-जमुना प्रसाद भगवान दास महिला महाविद्यालय, चौरी-चौरा, गोरखपुर। समय-दोपहर 2 बजे। सभा स्थल से 5० मीटर पर पूर्व भाजपा अध्यक्ष डक्कन एविएशन के हैलीकाप्टर से उतरते हैं। पैदल मंच के तरफ बढ़ते हैं आडवाणी। उत्साही तकरीबन चार हजार की भीड़ आडवाणी की झलक पाने को बेताब है। कार्यकर्ता नारा लगाते हैं, ‘‘जिन्दाबाद। हर-हर महादेव। जयश्रीराम।’’ हिंदुत्व की उग्र जमीन पर जयश्रीराम का तीसरे नम्बर पर आना आश्चर्यजनक लगता है। आडवाणी मंच पर पहुँचते ही कार्यक्रम की डोर अपने हाथ ले लेते हैं। निर्देश देते हैं, ‘‘प्रत्याशी को बोलवा लो, तब मैं बोलूँगा।’’ 2:1० मिनट पर माइक आडवाणी के हाथों में आ जाता है। करीब 2० मिनट के सम्बोधन में आडवाणी ने केंद्र सरकार को मंहगाई व प्रदेश सरकार को कानून व्यवस्था पर घेरते हैं। आडवाणी बोलते हैं, ‘‘निठारीकांड ने समूचे भारत को झकझोरा। पर मुख्यमंत्री ने वहां जाने की जरूरत नहीं समझी। भाई कहता है, ऐसी घटनाएं होती रहती हैं। भ्रष्टïाचार, गुंडाराज व जंगलराज से सिर्फ भाजपा निजात दिला सकती है।’’ स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की शहीद स्थली चौरीचौरा में राममंदिर आंदोलन के अगुवा आडवाणी हिंदुत्व के मुद्ïदे पर बोलने से कतराते रहे। भीड़ में मौजूद भईसहा गांव के पृथ्वीनाथ सिंह आडवाणी के नम्र तेवर से नाराज नजर आते हैं। वह कहते हैं, ‘‘लगतबा जिन्ना के भूत इन पर आज ले सवार बा।’’ योगी के उग्र हिंदुत्व का इलाके में खासा प्रभाव है। सभा में योगी की नामौजूदगी पर लोक चर्चा करते नजर आए। हिंदू युवा वाहिनी के कार्यकर्ता अशोक यादव बगल में खड़े भगवाधारी से सवाल करते हैं, ‘‘योगी जी तो आडवाणी जी के आदमी हैं, तब काहे योगी जी नहीं आए।’’ जवाब मिला, ‘‘मालूम नहीं का, योगी जी बीमार हैं।’’ करीब 2:35 बजे आडवाणी मंच से उतरते हैं। तकरीबन 3०० महिलाओं के झुंड से आवाज आती है, लालकृष्ण आडवाणी जिंदाबाद। आडवाणी महिलाओं का अभिवादन स्वीकार कर हैलीकाप्टर की तरफ बढ़ते हैं। बच्चों का झुंड हैलीकाप्टर की तरफ भागता है। थोड़ी ही देर में आडवाणी हवा में नजर आने लगते हैं। हाईस्कूल का छात्र अभिषेक नीचे से चिल्लाता है, ‘‘फिर अईहा नेता जी! पाँच साल बाद!’’
दृश्य-पांच। स्थान-के.पी. इंटर कालेज, इलाहाबाद। समय-दोपहर 2 बजे। तापमान-43 डिग्री। धूप काँटे की तरह चुभ रही है और मैदान में मायावती नीले परचम के तले जुटे लगभग 15 हजार समर्थकों को बहुजन समाज पार्टी के लक्ष्य को समझा रही है। परिवर्तन की आंधी का अहसास बसपा की नीतियों में आस्था रखने वालों को है तो उनकी सुप्रीमो भी अब सर्वसमाज के हितों की वकालत जोरदार ढंग से करती हैं। आत्म-विश्वासी लहजे में उनका लबो-लहजा भी बदल गया है। वह उपस्थित भीड़ को समझाती हें कि दलित वोटों के साथ सवर्ण समाज के वोटों को मिलाकर बनी स_x009e_ाा समीकरणों की जादुई छड़ी से अब वह उप्र की स_x009e_ाा फिर से हासिल करने जा रही हैं। सभा में उपस्थित उनके दलित और सवर्ण समाज के समर्थक नारे लगाते हैं- ‘हाथी नहीं गणेश है, ब्रम्हा विष्णु महेश है।’ भीड़ के उत्साह से मुस्कराती बहन जी मुस्कुराती हुई चुटकी लेती हैं, ‘‘चुनाव आयोग की सख्ती व बसपा के प्रति रुझान देखकर सूबे के मुखिया मुलायम सिंह ने तो हार मान ली है। इसीलिए पूर्व मुख्यमंत्रियों की टोली लिए घूम रहे हैं। ताकि चुनाव बाद में वह अकेले न पड़ जायें।’’ वे अतीक, राजा भैया, मुलायम और अमर को जेल भेजने की बात कर समर्थकों की जोरदार तालियाँ बटोरती हैं। सपा के कुशासन के लिए भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस को जिम्मेदार ठहरा कर अपने समर्थकों को यह समझाती हैं कि सिर्फ बसपा ही विकल्प है। सभा में उनकी सीएम वाली हनक अभी भी कायम दिखती है। भाषण के बीच दरोगा भर्ती परीक्षा में धांधली को लेकर शिकायत करने छात्रों का एक बड़ा जत्था नारेबाजी करते आ जाता है। बहनजी तमतमाते हुए माइक से पुलिस वालों को निर्देशित करती हैं, ‘‘पुलिस वाले सभा में नारेबाजी कर रहे लोगों को पकड़ लें और उनके बैनर छीन लें।’’ निर्देश मिलते ही पुलिस वाले बहन जी के हुक्म की तालीम करने में ऐसे जुट गए जैसे वह वर्तमान सीएम की सभा में ड्ïयूटी दे रहे हों। वे बैनर छीनकर नारे बाजी कर रहे लोगों को सभास्थल से बाहर कर देते हैं। यह दृश्य देखकर गल्ला बाजार के राम सजीवन फुसफुसाते हुए कहते हैं, ‘‘लगता है ये खाकी वर्दी वाले भी जान गये हैं कि बहन जी सरकार बना रही हैं।’’ मायावती चुनाव आयोग की जमकर तारीफ करती हैं। लेकिन मीडिया में उनके खिलाफ अर्नगल प्रचार वाले विज्ञापन को लेकर मीडिया पर जम कर बरसती हैं और चेतावनी देती हैं सरकार बनने के बाद पूरे प्रकरण की जांच होगी और उसमें जो भी मीडियाकर्मी व अन्य लोग दोषी होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। अल्पसंख्यकों व गरीब सवर्णों पर डोर डालती हैं। आर्थिक आधार पर अल्पसंख्यकों व सवर्ण गरीबों को आरक्षण देने की वकालत कर फिर तालियाँ बटोरती हैं। जाते-जाते समर्थकों को निर्देश देती हैं महिलाएँ चूल्हे बाद में जलाएँ मतदान पहले करें और पुरूष मतदान के दिन उपवास रख ार्टी के पक्ष में मतदान करायें। इसके बाद समर्थकों से नारा लगवाती हैं, ‘‘चढ़ गुंडन की छाती पर बटन दबाओ हाथी पर’’ रामशंकर प्रजापति कहते हैं, ‘‘बहन जी ही गुण्डन को ठीक कर सकती हैं और किसी में यह दम नहीं है। पंडित गया प्रसाद शुक्ल हामी भरते हुए कहते हैं, ‘‘उप्र में दम मायावती ही भर सकती हैं। इसीलिए ब्राम्हण अबकी हाथी पर सवार है।’’
दृश्य-छह। के.पी. इंटर कालेज का मैदान, इलाहाबाद। समय-6:3० बजे सायं। मौसम खुशनुमा था। सूरज की तपिश खत्म हो गई थी। कांग्रेस की राष्टï्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के जादुई संबोधन में हजारों लोग भावनात्मक संगम में डुबकी लगा रहे थे। प्रयाग की बहू ने लोगों के दिलों को छू लिया। ‘आनंद भवन’ से अपने रिश्तों को जोड़ा और इलाहाबाद के महल को रेखांकित करते हुए नेहरू, इंदिरा और राजीव की स्मृतियों को ताजा कर दिल की ठंडी बयार चलाकर इलाहाबाद के तपते राजनीतिक तापमान ने कांग्रेस को लोगों के दिलो-दिमाग में उतार दिया।
ऋषियों-मुनियों के प्रयाग से अकबर महान के इलाहाबाद की शानदार परम्परा, गौरवशाली इतिहास और देश के लिए इस शहर के महत्व को जब कांग्रेस अध्यक्ष इलाहाबाद से जज्बाती रिश्ते जोड़े तो उपस्थित लोगों में आत्मसम्मान की भावना भर गई। संगम को नदियों का ही नहीं, परंपराओं और संस्कृति का संगम है। सोनिया गांधी ने नेहरू-गांधी परिवार की सेवाओं का स्मरण-, नेहरू गांधी परिवार के साथ-साथ शास्त्री और बहुगुणा परिवार का भी राष्टï्र सेवा में योगदान का जिक्र करना नहीं भूलीं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास, यहां के अध्यापकों, साहित्यकारों और आजादी के मतवालों को याद कर बहू ने अपने ससुराल के बारे में कहा कि अगर इलाहाबाद न होता तो वह भी न होती।
राहुल गांधी के सफल रोड शो के बाद कांग्रेस के पक्ष में बने माहौल में सोनिया गांधी के जज्बाती संबोधन से कांग्रेस प्रत्याशियों की जीत की संभावना बढ़ गई है। इलाहाबाद का चुनावी माहौल कांग्रेसमय हो गया है। सोनिया गांधी जहां एक ओर आदर्श बहू के रूप में थीं तो दूसरी ओर कांग्रेस की राष्टï्रीय अध्यक्ष के रूप में भाजपा और गैर कांग्रेसी दलों पर तीखे हमले किए। उन्होंने एनडीए सरकार के कार्यकाल को भ्रष्टïाचार और निष्क्रियता को बताते हुए यूपीए सरकार की उपल_x008e_िधयों का बखान किया। श्रीमती गांधी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके नेतृत्व में चल रही यूपीए सरकार की गरीबों, दलितों, अल्पसंख्यकों और किसानों के हितों में बनाई गई नीतियों की सराहना करते हुए लोगों से सांप्रदायिक और जातिवादी शक्तियों को ठुकराने का आह्ïवान किया। उन्होंने उ_x009e_ार प्रदेश में विकास की गति रूकने के लिए गैर कांग्रेसी सरकारों को दोषी बताया। श्रीमती गांधी ने राजनीति में अपराधियों के बढ़ते दबदबे पर चिंता जताई और ऐसे लोगों को चुनावी परिदृश्य से हटाने के लिए जनता से आह्ïवान किया।
-सभा स्थलों से योगेश मिश्र
Next Story