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लाल बत्ती का गोरख धंधा

Dr. Yogesh mishr
Published on: 8 May 2008 5:16 PM IST
सियासत में बाहुबल के उपयोग और सफलता की कहानियां और उदाहरण अब पुराने पड़ चुके हैं। यह मामला सियासत में धनबल के खुल्लम खुल्ला उपयोग की मिसाल पेश करता है। समाज के नव धनाडï्यों में एक ऐसा वर्ग पनप रहा है, जो रूतबा हासिल करने के लिए लाखों करोड़ों फंूकने को तैयार है। इसी सोच का फायदा उठाते हुए कानपुर में कुछ शातिरों ने ऐसा खेल खेला, जिसे देख पुलिस भी भौंचक है। फर्जी लेटरपैड, गलत दस्तखत और कई अवैध आदेशों के मार्फत इन नटवरलालों ने केन्द्र और राज्य सरकार दोनों के फरमानों के मार्फत रूतबा गालिब करने वालों को लालब_x009e_ाी का शौक पूरा करने का मौका दिया। आज जब ये पुलिस के हत्थे चढ़ गये हैं तो पुलिस छोटी मछली को नापकर मामले को दाखिल दफ्तर करने पर तुली है। जबकि केन्द्र सरकार के कपड़ा मंत्रालय, कोयला मंत्रालय और श्रम मंत्रालय के तमाम आला हुक्मरानों की मिलीभगत से लालबत्ती बांटने के शुरू हुए इस गोरखधंधे से बीते दो-तीन सालों में आधा दर्जन से अधिक लोग अकेले कानपुर में लाभान्वित हो चुके हैं। तफतीश कर रही पुलिस के मुताबिक, ‘‘तकरीबन 4० लोगों को लालबत्ती का ओहदा केन्द्र और राज्य सरकार से दिलाने में यह गिरोह कामयाब हो चुका है।’’

वैसे तो इलाकाई स्तर पर इसका सरगना कुख्यात स्मैक तस्कर बृजेश सोनकर है, जिस पर शहर के विभिन्न थानों में आधा सैकड़ा से अधिक आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। उसे एक मामले में आजीवन कारावास की सजा भी सुनाई जा चुकी है। आश्चर्य की बात तो यह है कि सोनकर जैसा कुख्यात अपराधी कपड़ा मंॠत्रालय से निदेशक का ओहदा हासिल कर महीनों लाल बत्ती और हूटर से शहर वासियों की नींद उड़ाता रहा । गृह राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के अपने शहर में अवैध ढंग से बढ़ रहे लालब_x009e_िायों के कारवां पर न तो उनकी नजर गयी और न ही उनके खुफिया महकमें की। पुलिस की तंद्रा तब टूटी जब अखबारों में इस कुख्यात अपराधी की लाल बत्ती में घूमने की खबरें साया होने लगी। गृह राज्यमंत्री से हस्तक्षेप और जांच की गुहार लगाई जाने लगी। मामले में कोई कार्रवाई होती इससे पहले बृजेश सोनकर, जो कपड़ा मंत्रालय द्वारा आवंटित लाल ब_x009e_ाी का सुख लूट रहा था, ने निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया। सवाल यह उठता है कि जब पुलिस के मुताबिक लाल ब_x009e_िायां अवैध व गोलमाल करके हासिल की गयी थीं तो इस्तीफा देने की जरूरत क्यों पड़ी? पर इस सवाल का जबाब तलाशा जाए तो इस कीचड़ में केन्द्रीय कपड़ा, कोयला मंॠत्रालय और श्रम मंत्रालय के आला हुक्मरान भी सने नजर आते हैं क्योंकि जो गिरोह लाल ब_x009e_ाी दिलाने के गोरखधंधे को अंजाम दे रहा था, वही गिरोह राज्य में मुख्यमंत्री, मंत्रियों और तमाम आईएएस अफसरों के फर्जी हस्ताक्षरों और पैड के माध्यम से तबादले से लेकर नौकरी दिलाने तक के काम को भी बखूबी अंजाम देकर अकूत कमाई कर रहा था। सूत्रों की मानें तो, ‘‘ चिकित्सा, शिक्षा और जेल महकमे में कई लोगों को रोजगार सिर्फ तबादला आदेश के मार्फत दिया गया है।’’ यह गिरोह इस काम को केन्द्र की संप्रग सरकार के गठन और राज्य में मुलायम सरकार के जमाने से अंजाम दे रहा है। इसमें मुख्यमंत्री मुलायम सिंह के सचिव चंद्रमा प्रसाद के हस्ताक्षर वाले तमाम आदेश हैं। इतना ही नहीं मायावती सरकार के जमाने में भी इस गिरोह के लोगों ने खत और हस्ताक्षर भले ही फर्जी बनाए हों पर इनकी पहुंच का ही नतीजा था कि मुख्यमंत्री के सरकारी आवास के फैक्स नंबर ०५२२-२२३५७३३ से आदेश फैक्स करके काम कराए जाते थे। सीआईडी ने मोस्ट वीआईपी के घर से फैक्स करने वाले अपर निजी सचिव, न्याय विभाग के समीक्षा अधिकारी और एनेक्सी के होमगार्ड को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। प्रमुख सचिव प्राथमिक शिक्षा रहते हुए रोहित नंदन ने इस तरह के आदेश का संज्ञान लेते हुए शिकायत दर्ज कराई थी लेकिन इस गोरखधंधे से जुड़े एक व्यक्ति ने बताया, ‘‘ अब तो तमाम लोग अपने हस्ताक्षर गलत होने की दुहाई दे रहे हैं पर हकीकत यह है कि ये अफसर अपनी फाइलों में भी दो-तीन तरह के दस्तख्त करने के आदी हैं।’’ आश्चर्य तो यह होता है कि इतने बड़े गोलमाल को फलने-फूलने का इतना लंबा समय कैसे मिला ? इस गिरोह ने राज्य में तकरीबन तीन सौ लोगों को रोजगार देने और इतने ही लोगों के तबादला कराने में सफलता कैसे हासिल कर ली। अकेले कानपुर में कपड़ा मंत्रालय से राघवेन्द्र गर्ग, संदीप ठाकुर और संतोष भदौरिया नाम के तीन लोगों को निदेशक पदों पर नियुक्ति पत्र थमाकर लाल ब_x009e_ाी से नवाजा गया। श्रम मंत्रालय के मार्फत के के मिश्रा और कोयला मंत्रालय के मार्फत कृष्ण शर्मा को भी लाल ब_x009e_ाी मिली है। बृजेन्द्र सोनकर को छोडक़र सभी के पास अभी भी लाल ब_x009e_िायों का जलवा कायम है। बृजेन्द्र के अलावा पुलिस ने इस गैंग के सदस्य राम नगर, श्याम नगर निवासी वीरेंद्र शर्मा उर्फ बालेंदू को तमाम फर्जी कागजात और मुहरों के साथ गिरफ्तार किया है। जिस सेन्ट्रो कार से उसे पकड़ा उसमें भी लालब_x009e_ाी लगी थी। उसने खुद को केन्द्र सरकार के हथकरघा मंत्रालय का निदेशक बताया। पुलिस को गिरोह के सरगना औरैया निवासी पीयूष द्विवेदी की तलाश है जो शहर के अधिवक्ता मोहम्मद खान हत्या कांड में भी वांछित है।

इस गिरोह ने देश में करीब ७५ लोगों को अपना निशाना बनाया है। गिरफ्तार वीरेन्द्र शर्मा उर्फ बालेंद्र प्रदेश में इस काले कारोबार को देखता था। कुछ विधायकों के भी लैटर पैड मिले हैं। जांच टीम के मुताबिक, ‘‘वीरेंन्द्र के पास से केन्द्रीय मंत्री शंकर सिंह बाघेला, के राजशेखर रेडï्डी, मंत्री बादशाह सिंह और राधारमण दास के लेटर पैड मिले हैं। डीआईजी मुुकुल गोयल, जिला पंचायत अध्यक्ष सोनभद्र, आईजी विजय सिंह, आईजी अभिसूचना आदित्य मिश्रा, पूर्व प्रमुख सचिव गृह जे एन चेम्बर की मोहरें, आरटीओ के फर्जी कागज व बीएसएनएल के बिना विवरण के आठ बिल बरामद हुए हैं।’’ गिरफ्तार सिपाही महताब भी गिरोह का सक्रिय सदस्य है। महताब खुद को वीरेन्द्र का गनर बताता था। इस गिरोह का ज्यादातर निशाना ऐसे शेरेपुश्त हुआ करते थे, जिन्हें राजनीतिक छतरी की तलाश रहती है। मिनरल वॉटर का शहर में व्यापार करने वाला पीयूष द्विवेदी यूं तो पिछले 8 साल से आरटीओ के फर्जी कागज, ड्राइविंग लाइसेंस, नकली मार्कशीट जैसे धंधे में था लेकिन राजनीति के अपराधीकरण के फंडे को उसने खूब समझा। मैनपुरी के चर्चित विधायक उपदेश सिंह खलीफा भी अपने बेटे पंकज को लाल ब_x009e_ाी दिलाने के चक्कर में गिरोह के संपर्क में आए। गिरोह के पीछे लंबे समय से लगे डीबीएस के पूर्व छात्र नेता संदीप ठाकुर ने बताया कि, ‘‘उसे १० लाख रूपये लेकर फर्जी कागजात दिए गए थे।’’ संदीप के मुताबिक, ‘‘मुझे पहले वीरेन्द्र्र, पीयूष और महताब कपड़ा मंत्रालय ले गए, वहां एक कार्यालय में उसकी मुलाकात यूएस जायसवाल और अरशद खान से कराई गई।’’ पर तहकीकात के बाद यह तथ्य हाथ लगता है, ‘‘ इस खेल की धुरी कपड़ा मंत्रालय में कार्यरत गुप्ता जी है। उनकी शह पर गोरखधंधा वर्षों से फल-फूल रहा है। पकड़े गए लोग मुर्गी फंसाकर गुप्ता के हवाले कर देते थे और हलाल होने पर हिस्सा बांट लेते थे। एसओजी प्रभारी ऋषि कांत शुक्ला की मानें तो, ‘‘ श्यामनगर निवासी वीरेन्द्र शर्मा उर्फ बीलंदू इस गिरोह की छोटी मछली है। वह केवल कैरियर व क्लाइंट फंसाने का काम करता था। कानपुर पुलिस तो इस गिरोह का सरगना मुखिया पीयूष द्विवेदी को मानती है जिसके पास खुद कपड़ा मंत्रालय द्वारा प्रद_x009e_ा एक लालब_x009e_ाी गाड़ी है। मानव संसाधन मंत्रालय ने उसके एनजीओ को करोड़ों रूपए देकर लाभान्वित किया है।

इस खेल का खुलासा भी पुलिस या खुफिया एजेन्सियां नहीं कर पाई बल्कि रकम की बंदरबांट को लेकर हुई चिकचिक में यह बात पुलिस तक आ पहुंची। एक नामी कोचिंग संचालक आशीष श्रीवास्तव का 5० लाख रूपया दलाल लाल ब_x009e_ाी दिलाने के चक्कर में हजम कर गए। धनराशि का एक कतरा भी ऊपर मंत्रालय में बैठे आका तक नहीं पहुंचा। जब रूपए के वसूली की बारी आई तो वापसी की जगह मामले को पुलिस के हवाले करने में रूपया हड़प गए दलाल को ज्यादा सहूलियत दिखी। इस पुलिसिया कार्रवाई में भी कई छेद हैं तभी तो प्रेस वार्ता के दौरान पुलिस के बड़े अधिकारी जबाब देने की जगह बगलें झाकते रहे। डीआईजी बृज भूषण शर्मा का कहना है, ‘‘ पुलिस 37 लोगों पर कठोर कार्रवाई करेगी। इनमें वे भी शामिल हैं जिन्होंने घूस देकर पद हथियाए हैं। कानूनन यह भी अपराध है। ’’ लेकिन कानपुर के लोगों के लिए यह सबसे दिक्कत का सबब है कि पुलिस छोटी मछली पर हाथ डालकर दिल्ली और लखनऊ में स_x009e_ाा शीर्ष पर कुंडली मार कर बैठे लोगों पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। अगर ऐसा करने में वह कामयाब हो तो कई सफेदपोश बेनकाब होंगे।

-योगेश मिश्र

(साथ में कानपुर से कमलेश त्रिपाठी)
(योगेश मिश्र)


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Dr. Yogesh mishr

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