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साक्षात्कार : मुलायम सिंह यादव

Dr. Yogesh mishr
Published on: 13 May 2008 5:26 PM IST
दिनांक : 13-०5-2००8
मायावती के अश्वमेध के हाथी को रोकना राज्य में मुलायम सिंह यादव के लिए और देश भर में कांग्रेस के लिए अपरिहार्य हो गया है। मायावती जिस तरह दूसरे दलों के कद्दावर नेताओं में सेंध लगाकर लोकसभा चुनाव का उन्हें उम्मीदवार बना रही हंै। जिस तरह वह अपने सारे सरकारी कार्यक्रम किनारे रख सिर्फ लोकसभा चुनाव के ताने-बाने बुन रही हैं। दलित और ब्राह्मïण के बाद अब वे जिस तरह वैश्य समुदाय को जोडऩे और वाल्मीकियों को लुभाने में लगी है। उससे साफ जाहिर है कि उनके सर्वजन का कारवां निरंतर बढ़ता जाएगा। ऐसे में मुलायम और कांग्रेस किस रणनीति के तहत उसे रोकने में कामयाब होंगे? लोकसभा चुनाव की तैयारियां और कांग्रेस से निरंतर बढ़ते रिश्तों की अटकलों सहित तमाम सवालों पर ‘आउटलुक’ साप्ताहिक के योगेश मिश्र ने सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव से बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत के अंश:-

 लोकसभा चुनाव की तैयारियां क्या हैं?

 हमने पार्टी के सभी छोटे-बड़े नेताओं और सभी संगठनों यानी छात्र संगठन, युवा संगठन सभी से बातचीत की। उनकी बात सुनी। उनको निर्देश दिए। लोकसभा चुनाव के लिए उनकी ओर से कोई उम्मीदवार हो, यह जानने की भी कोशिश की क्योंकि युवाओं और छात्रों की लड़ाई से ही सरकार झुकी और उसे छात्रसंघ बहाल करना पड़ा। अब मतदाताओं से सीधे संपर्क करेंगे। समाजवादी पार्टी चुनाव हारी। सीधे हारी। ज्यादा हारी। उसके बाद निराशा दूर करना हमारा काम था। 31 मई तक उसे दूर कर लिया जाएगा। सत्ता रहते तीन रोग-लालच, आलस और घमंड लग जाते हैं। इससे बचने के निर्देश दिए थे पर सत्ता में नहीं हो पाया। अब कार्यकर्ताओं को समझाया जा रहा है कि वे भविष्य में इससे बचने के लिए खुद को तैयार करें। संगठन पर जोर दिया है।

 लोकसभा चुनाव का एजेंडा और मुद्दा क्या होगा?

 हमारा एजेंडा उप्र सरकार की अराजकता और जनता के धन की फिजूलखर्ची के खिलाफ लड़ाई लडऩा होगा। आज मैं बहुत दिनों बाद गोमतीनगर गया था। देखा सारे रास्ते बंद हैं। पेड़ काट दिए गए हैं। केवल पत्थर लगाये जा रहे हैं।

 यानी कहा जा सकता है कि आप अपने पारंपरिक दुश्मन से निपटेंगे न कि केंद्र सरकार के सत्ता विरोधी रुझान का फायदा उठायेंगे?

 हम बसपा को दुश्मन नहीं मानते हैं। वह हमें दुश्मन मानते हैं। उप्र में तो कांग्रेस कहीं है ही नहीं। ऐसे में उससे निपटने का, उसके खिलाफ लडऩे का कोई प्रश्न ही नहीं है।

 मायावती के अश्वमेध के हाथी को रोकने के लिए क्या रणनीति है?

 अश्वमेध-अश्वमेध कुछ नहीं है। यह झूठ है। गुजरात में नहीं चला। हिमाचल में नहीं चला। कर्नाटक में भी नहीं चलेगा। उनका लक्ष्य कांग्रेस को हराना है और बीजेपी को खुश करना है। बसपा और भाजपा के बीच फिर एक बार अंडरस्टैंडिंग हो गयी है। तीन बार भाजपा उनकी सरकार बना चुकी है।

 आपने अपने राष्टï्रीय अधिवेशन में केवल 45 सीटों पर फोकस करने को कहा है। क्या बाकी सीटें किसी चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए खाली रखी गयी हैं क्या? मतलब कांग्रेस के लिए?

 मिलकर तो चुनाव नहीं लड़ पायेंगे। एक अंडरस्टैंडिंग बन सकती है। लेकिन यूपीए को समझना चाहिए कि मायावती सरीखी राजनीतिक शक्तियों को जो कमजोर करने की स्थिति में जो ताकतें हैं, उन्हें मदद करें। कांग्रेस अकेले मायावती को नहीं हटा सकती है। पर दुर्भाग्य है कि कांग्रेस निर्णय नहीं कर पा रही है कि भविष्य की राजनीति के लिहाज से किससे रिश्ता जोडऩा चाहिये। जिस कांग्रेस ने मायावती को जिताया। कांग्रेस के इशारे पर केंद्र की एक बहुत बड़ी संस्था का दुरूपयोग हुआ। केंद्रीय सुरक्षा बलों को पक्षपात करते देखा गया। मुश्किल यह है कि कांग्रेस ने जिसे जिताने का वातावरण बनाया था, वही उसे कमजोर कर रही है। ऐसे में कांग्रेस को सोचना होगा। कौन उसके दुश्मन से निपट सकता है? हो सके तो कांग्रेस को सपा की मदद करनी चाहिए।

 आपकी और कांग्रेस की बातचीत चल रही है?

 रास्ता चलते बातचीत हुई है पर मिल-बैठकर नहीं। अमरसिंह ने भी कुछ बातचीत की है लेकिन विधिवत बुलावा नहीं आया है कि बैठकर बातचीत की जाय। वैसे मुझे बातचीत में कोई आपत्ति नहीं है पर बात यूएनपीए को तो बतानी ही पड़ेगी।

 सरकार की एक वर्ष की उपलब्धियां, अनुपब्लिधयां क्या हैं?

 उपलब्धियां नहीं नाश किया है। भ्रष्टïाचार और लूट का बोलबाला है। सिर्फ पत्थर लगाये गये हैं। हम 13 तारीख के बाद सब पत्रकारों को बुलाकर बतायेंगे सरकार ने क्या किया।

 क्या कांग्रेस और सपा के मिलकर चुनाव लडऩे की कोई उम्मीद है?

 अभी तक तो कोई बातचीत नहीं है। मिलकर तो चुनाव नहीं हो पायेगा।

 लोस चुनाव में आपके मुद्दे क्या होंगे?

 बेइमानी, भ्रष्टïाचार। विकास के सारे काम ठप हैं। ‘पब्लिक मनी’ को किस तरह बर्बाद किया। किस तरह जनता की गाढ़ी कमाई लुटाई जा रही है। इन सबको उजागर करेंगे।

 क्या आपको नहीं लगता कि सपा और कांग्रेस मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ें तो सांप्रदायिक ताकतों और मायावती दोनों से निपट सकते हैं?

 कांग्रेस देश भर में फैली है लेकिन मंजिल कहां है? दिशा क्या है? पता नहीं चल पा रहा है। सोचना तो कांग्रेस को चाहिए।

 आपकी भी दुश्मन मायावती हैं और कांग्रेस की भी दुश्मन? दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है। क्या इस फार्मूले को स्वीकार करते हुए आप और कांग्रेस एक होंगे?

 समाजवादियों ने हमेशा नीतियों, सिद्घांतों पर काम किया है। मुझे खुशी है कि कांग्रेस के एक बड़े नेता ने कहा कि मुलायम सिंह यादव इकलौते ऐसे आदमी हैं जिन्होंने समाजवाद को बचा रखा है। वह कुछ सोचें।

 आप 45 सीटों पर फोकस कर रहे हैं और कांग्रेस 2० सीटों पर। क्या यह गणित चुनाव पूर्व किसी गठबंधन का संकेत नहीं है?

 हम 45 सीटें जीतने पर ध्यान दे रहे हैं। जिन पर जीतेंगे। कांग्रेस 2० जीत ले तो वैसे ही काम बन जाएगा। कांग्रेस अपना पैर अपने आप काट ही रही है।



-योगेश मिश्र
Dr. Yogesh mishr

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