×

आतंकवाद शांतिपूर्ण समाज का शत्रु है : पाटिल

Dr. Yogesh mishr
Published on: 23 Sept 2008 8:22 PM IST
लखनऊ, 23 सितम्बर। राष्टï्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने हाल के दिनों में देश में बढ़ती आतंकी घटनाओं और साम्प्रदायिक वैमनस्य पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुये इसे विकास, स्थिरता और शांतिपूर्ण समाज का शत्रु करार दिया है। उन्होंने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में देश के हर नागरिक को जुट जाने की अपील करते हुये भटके हुये युवाओं के मन से घृणा निकाल कर शांति-सौहार्द और साम्प्रदायिक सद्भाव के रास्ते पर लाने की जरूरत पर बल दिया है।

लखनऊ विश्वविद्यालय के विशेष दीक्षांत समारोह में डी लिट की उपाधि से सम्मानित होने के बाद राष्टï्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल ने बीते दिनों राजधानी दिल्ली में आतंकवाद से मुकाबला करने वाले सुरक्षा और पुलिसकर्र्मियों की सराहना की। उन्होंने आतंकी मुठभेड़ के दौरान शहीद हुये पुलिस इंस्पेक्टर मोहन चंद्र शर्मा को याद किया। अपने भाषण में उन्होंने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में योगदान करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। विश्वविद्यालय का प्रमुख लक्ष्य विद्यार्थियों को आदर्श नागरिक बनाने के साथ ही साथ छात्रों में सहनशीलता, अनुशासन और नैतिक मूल्य जैसे गुणों का विकास करना है। आजादी के बाद भारत के सामाजिक व आर्थिक विकास में विश्वविद्यालय परिसरों का योगदान का जिक्र करते हुये अभिनव तथा नवोन्वेषी विचारशीलता के रूप में आगे भी काम करते रहने की नसीहत दी।

श्रीमती पाटिल ने राष्टï्रीय ज्ञान आयोग की उस सिफारिश का जिक्र किया जिसके तहत देश में अभी देश में 1500 विश्वविद्यालयों की जरूरत बतायी गयी है। पर विश्वविद्यालय की सफलता तभी कही जा सकती है जब वे छात्रों को जटिल व विश्लेषात्मक ढंग से सोचने के योग्य बना सकें। अगर हमें विश्व का अग्रणी राष्टï्र बनना है तो शिक्षा की गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि युवाओं के बेहतर भविष्य के लिये उन्हें श्रेष्ठï शिक्षा मुहैया कराना जरूरी है। तभी स्थानीय, राष्टï्रीय व विश्व स्तर पर सामाजिक पिछड़ेपन का मुकाबला करने के लिये आवश्यक तंत्र का निर्माण संभव हो सकेगा।

लखनऊ आने पर खुशी जाहिर करते हुये उन्होंने युवाओं में सेवा भावना की जरूरत पर व गांव तथा शहर के परिदृश्य बदलने के व्यवहारिक तरीकों पर विचार करने को भी कहा। तकरीबन बीस मिनट के अपने लिखित भाषण को पढऩे के साथ-साथ उन्होंने अपनी ओर से भी कई संदेश दिये। अनुसंधान शिक्षा में गिरावट पर चिंता प्रकट करते हुये विश्वविद्यालयों को समाज की आवश्यकताओं और कृषि व उद्योग के अनुरूप अनुसंंधान और उन्नत अनुसंधान केन्द्र बनने की दिशा में काम करने को कहा। प्रौद्योगिकी में क्रांतिकारी बदलाव की आवश्यकता बताते हुये वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं को उत्पादकता बढ़ाने के लिये नई क्रांतियों पर विचार करने का संदेश भी उन्होंने दिया। अनुसंधान के ठोस आधार से ही हरित क्रांति व श्वेत क्रांति के मार्फत हुये परिवर्तनों को भी रेखांकित किया।

श्रीमती पाटिल को डी लिट की उपाधि से सम्मानित करने के लिये आयोजित इस विशेष दीक्षांत समारोह में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. आर.के.रस्तोगी को डाक्टर आफ साइंस तथा उडिय़ा व अंग्रेजी साहित्यकार प्रो. चंद्रशेखर रथ को भी डीलिट की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। आर्मी प्रिंटिग प्रेस में छपी बीस पृष्ठïों की ‘कन्वोकशन’ पुस्तिका में केवल ‘मिनट टू मिनट’ कार्यक्रम व कुलगीत को हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में छापा गया था। पुस्तिका में प्रकाशित फोटो छपाई की बदहाली बयान करने के लिये काफी है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ए.एस.बरार ने धन्यवाद ज्ञापित किया तथा कुलाधिपति टी.वी.राजेश्वर ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुये अपने भाषण में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू का जिक्र करते हुये उम्मीद जतायी कि वैश्वीकरण की चुनौतियों से निपटने में आईआईएम, आईआईटी, सीएसआईआर, एटामिक एनर्जी और अन्य वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान कामयाब होंगे। कुलाधिपति राजेश्वर ने 17 मेधावियों को 28 स्वर्ण पदक भी वितरित किये। आयोजन में प्रोटोकाल मंत्री के रूप में चिकित्सा शिक्षा मंत्री अनंत मिश्र व उच्च शिक्षा मंत्री राकेशधर त्रिपाठी भी मौजूद थे।

बाक्स आइटम -1

लखनऊ। विश्वविद्यालय के विशेष दीक्षांत समारोह में सर्वाधिक छह स्वर्ण पदक पाने वाली मेधावी छात्रा बबिता सिंह को अपने उद्बोधन में राष्टï्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल बधाईयां दे रही थीं पर वह बबिता सिंह का नाम का जिक्र करने में चूक कर बैठीं। उन्होंने बबिता सिंह की जगह बबिता मिश्र की तारीफ करना शुरू किया। चंद मिनट के लिये तो लोगों की समझ में नहीं आया कि बबिता मिश्र कौन है। किसी ने राष्टï्रपति को सही नाम बताने की हिम्मत नहीं दिखायी और वह उदï्बोधन करते हुये आगे बढ़ गयीं। हालांकि उन्होंने 17 में से 11 पदक लड़कियों द्वारा अर्जित करने पर तारीफ भी की।
Dr. Yogesh mishr

Dr. Yogesh mishr

Next Story