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Dagad Phool : खाने में गजब की खुशबू बिखेरता है ये पहाड़ी मसाला, कुष्ठ रोगों से लेकर बालों की समस्या में मिलता है इससे अचूक लाभ

Dagad Phool : छरीला भारत में प्रायः उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, नीलगिरी के पहाड़ी क्षेत्रों में पत्थरों के ऊपर एवं पुराने वृक्षों पर मिलता है।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 1 Dec 2024 8:51 AM IST (Updated on: 1 Dec 2024 9:32 AM IST)
Dagad Phool : खाने में गजब की खुशबू बिखेरता है ये पहाड़ी मसाला, कुष्ठ रोगों से लेकर बालों की समस्या में मिलता है इससे अचूक लाभ
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खाने में गजब की खुशबू बिखेरता है ये पहाड़ी मसाला (social media)

Dagad Phool : भारतीय रसोईयों में मसालों की एक विशाल संपदा मौजूद है। कुछ मसाले अकेले ही इतने जबरदस्त होते हैं कि बस उनकी हलकी सी खाने में मौजूदगी ही खाने की खुशबू और स्वाद में जादुई असर पैबस्त करने के लिए काफी होती है। छरीला जिसे अंग्रेजी में दगड़ फूल (dagad phool)और कहीं पत्थर फूल, कल्पासी के नाम से भी जाना जाता है। यह एक दुर्लभ और सुगंधित मसाला है। असल में यह एक लाइकेन है, जो चट्टानों, वृक्षों और दीवारों पर ही उगता है। पथरीले पहाड़ों पर पैदा होने से यह शैलेय और चट्टानों पर फूल जैसा दिखाई देता है। इसे आम तौर पर भोजन के स्वाद को बढ़ाने के लिए मसाले के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसका इस्तेमाल चेटिनाड, चिकन करी और महाराष्ट्रीयन गोडा मसाला बनाने में किया जाता है।

इस मसाले का उपयोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों तरह के पकवानों की ग्रेवी को और भी जायकेदार बनाने के लिए होता है। खासतौर से हरी सब्जियों, साग और दाल को फ़्लेवर देने के साथ ही आमतौर पर लोग नॉनवेज बनाने में भी छरीला को जरूर मसालों के रूप में शामिल करते हैं। लेकिन अक्सर लोग छरीला से होने वाले लाभ से वाकिफ नहीं है।आयुर्वेद के अनुसार, छरीला एक उपयोगी औषधि है। बालों की समस्या, आंखों के रोग में छरीला के इस्तेमाल से फायदे मिलते हैं। इसी तरह विसर्प रोग, सिर दर्द, मूत्र रोग में भी छरीला से लाभ मिलता है। यह कई बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है। भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाने वाला ये फूल विभिन्न रंगों में आता है। लेकिन सबसे आम रंग सफेद और पीला होता है।छरीला भारत में प्रायः उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू एवं कश्मीर, नीलगिरी के पहाड़ी क्षेत्रों में पत्थरों के ऊपर एवं पुराने वृक्षों पर मिलता है। पथरीले पहाड़ों पर पैदा होने से यह शैलेय और चट्टानों पर फूल जैसा दिखाई देता है। इसके कारण इसे शिलापुष्प भी कहा जाता है। इसके पीछे वाला भाग श्यामला रंग का और नीचला भाग सफेद रंग का होता है। इसमें एक विशिष्ट गन्ध होती है। छरीला को देश या विदेशों में अन्य कई नामों से भी जाना जाता है।

आइए छरीला के फायदे के बारे में जानते हैं। आप छरीला के औषधीय गुण से इन रोगों में लाभ पा सकते हैं

खुजली की बीमारी में

छरीला खुजली में लाभ पहुंचाता है। छरीला को पीसकर खुजली वाले प्रभावित स्थान पर लगाने से लाभ होता है।इससे त्वचा विकार जैसे पित्ती निकलने की परेशानी में लाभ मिलता है

सूजन की समस्या में लाभकारी

छरीला को पीसकर गुनगुना करके लेप करने से सूजन की परेशानी से आराम मिलता है।छरीला आदि द्रव्यों को तेल में पका लें। इससे मालिश करने से या छरीला आदि द्रव्यों का लेप लगाने से सूजन कम हो जाती है।

घाव के इलाज में लाभकारी

छरीला के चूर्ण को घाव पर लगाएं। इससे घाव ठीक हो जाता है। बेहतर उपाय के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह ले लेनी चाहिए।

कुष्ठ रोग में फायदेमंद

कुष्ठ रोग में भी छरीला का प्रयोग लाभकारी साबित होता है। छरीला को पीसकर मक्खन में मिला लें। इसे लगाने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

मूत्र रोग में लाभ

छरीला को पीसकर नाभि के नीचे बांधने से पेशाब के रुक-रुक कर आने की परेशानी में लाभ होता है। छरीला को पीसकर गुनगुना कर लें। इसका सेवन करने और पेट, कमर, किडनी, कमर के आस-पास लेप करने से मूत्र रोग में लाभ होता है।

छरीला का काढ़ बना लें। इसे 10-30 मिली की मात्रा में 1 ग्राम जीरा का चूर्ण मिला लें। इसमें 5-10 ग्राम मिश्री मिलाकर पिलाने से रुक-रुक कर पेशाब आने की परेशानी ठीक होती है।

आंखों के रोग में लाभ

आंखों की कई बीमारियों में छरीला का उपयोग फायदेमंद होता है। छरीला चूर्ण को अगर आंखों में काजल की तरह लगाया जाए तो बहुत लाभ मिलता है।

सिर दर्द में छरीला से लाभ

सिर के दर्द की दिक्कत से निजात दिलाने में छरीला का इस्तेमाल उपयोगी साबित होता है। छरीला को पीसकर मस्तक पर लगाएं। इससे सिर दर्द से राहत मिलती है।

छरीला का उपयोग आयुर्वेद के अलावा सौंदर्य चिकित्सा में भी किया जाता है, जिनमें से छरीला का उपयोग सौंदर्य प्रसाधन में किया जाता है, जो त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद होता है।

त्वचा और बालों के लिए फायदेमंद

दगड़ फूल का उपयोग त्वचा और बालों के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद होता है।

बालों की समस्या में छरीला के फायदे

बालों की समस्या खास कर सर्दी के मौसम में आम परेशानी बन जाती है। रूखे और बेजान बालों के साथ बालों का समय से पहले सफेद होना भी एक बड़ी समस्या बन चुकी है। ऐसे में छरीला का प्रयोग बहुत लाभ पहुंचाता है। छरीला, कर्चूर, हल्दी, काली तुलसी, तगर तथा गुड़ को समान मात्रा में मिलाकर पीसकर सिर में लेप करने से बालों का पकना कम होने लगता है।

त्वचा को स्वस्थ बनाने में

जैसे-जैसे मौसम बदलता है, कई लोगों को त्वचा में समस्याएं होने लगती हैं। ऐसे में छरीला एक अद्भुत प्राकृतिक उपचार के रूप में भी उपयोगी साबित होता है। छरीला का उपयोग करने के लिए इसे चूर्ण के रूप में दूध या पानी के साथ लिया जा सकता है। इसके अलावा, इसका लेप बनाकर शरीर पर भी लगाया जा सकता है। ये सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि इसे चिकित्सक की देखरेख में और सही मात्रा में ही इस्तेमाल किया जाय। छरीला केवल स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि सौंदर्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। ये बालों की हर प्रकार की समस्या, जैसे बालों का झड़ना, टूटना और बेजान होना, को दूर करने में मदद करता है। इसके साथ ही, ये त्वचा संबंधी समस्याओं, जैसे खुजली और सूजन जैसी समस्या से भी निजात दिलाता है।

छरीला के अधिक सेवन से होने वाले नुकसान

छरीला के फायदे के साथ इसके जरूरत से ज्यादा सेवन से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं

स्किन एलर्जी की संभावना

छरीला के अधिक इस्तेमाल से स्किन में चकत्ते या एलर्जी की समस्या हो सकती है।



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Ragini Sinha

Ragini Sinha

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