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इस गांव के बेटा-बेटियों की नहीं हो पा रही शादी, वजह सुनकर खड़े हो जायेंगे कान

मोबाइल नेटवर्क युवकों की शादी में अड़चन पैदा कर रहा है। नेटवर्क की दिक्कत की वजह से युवकों की शादी नहीं हो पा रही है। नौबत यहां तक आ पहुंची है कि अब लड़की वालों के रिश्ते आने तक बंद हो गये है।

Aditya Mishra
Published on: 15 Jun 2023 3:00 AM GMT (Updated on: 15 Jun 2023 7:34 AM GMT)
इस गांव के बेटा-बेटियों की नहीं हो पा रही शादी, वजह सुनकर खड़े हो जायेंगे कान
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महाराष्ट्र: मोबाइल नेटवर्क युवकों की शादी में अड़चन पैदा कर रहा है। नेटवर्क की दिक्कत की वजह से युवकों की शादी नहीं हो पा रही है।

नौबत यहां तक आ पहुंची है कि अब लड़की वालों के रिश्ते आने तक बंद हो गये है।

इससे परेशान होकर गांव के लोगों ने अब चुनाव बहिष्कार का फैसला किया है। ग्रामीणों ने गांव में नेताओं के आने पर भी प्रतिबंध लगाया है। इस संबंध में ग्रामीणों ने विभागीय आयुक्त को पत्र भी दिया है।

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दरअसल ये मामला महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले की कन्नड़ तहसील के कडंकी गांव का है। यहां के लोगों के अनुसार इस गांव में मोबाइल का केवल एक ही टॉवर(बीएसएनएल) है। जो करीब डेढ़ से बनकर खड़ा है और आज तक चालू नहीं हो पाया है।

यहां से करीब 12 किमी. दूर जाने पर एक दूसरा टावर भी है लेकिन कवरेज एरिया से दूर होने के कारण गांव में नेटवर्क नहीं आता है। इससे दिक्कत जस की तस बनी हुई है।

पहाड़ी पर बसे होने के कारण कडंकी गांव के लोग खेती कर अपना जीवन यापन करते है। यहां शहर तक जाने के लिए आवागमन का भी कोई खास इंतजाम नहीं है। इस पूरे गांव की आबादी लगभग 2,500 है। गांव के करीब 1100 लोगों के पास मोबाइल हैं, लेकिन उनके नेटवर्क नहीं आता है।

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टॉवर ऐसे बन रहा शादी में रोड़ा

गांव के ही युवक थोरात बताते है कि गांव में डेढ़ साल से मोबाइल नेटवर्क के लिए टावर बनकर खड़ा है लेकिन वह आज तक चालू नहीं हो पाया है। नेटवर्क नहीं होने के कारण मोबाइल बेकार साबित हो रहे है।

नौबत यहां तक आज पहुंची है कि मोबाइल संपर्क नहीं होने के कारण कोई अपनी लड़की इस गांव में नहीं ब्याहना चाहता, जिससे युवकों की शादी नहीं हो पा रही है।

वहीं, गांव के एक युवक अर्जुन का कहना है कि हम लोगों ने चंदा एकत्र कर गांव के स्कूल में कंप्यूटर और प्रोजेक्टर ले आये, लेकिन नेटवर्क नहीं होने के कारण वह भी बंद है।

साल 1998 में भी किया था चुनाव का बहिष्कार

कडंकी गांव वालों ने इससे पहले साल 1998 में लोकसभा चुनाव का बहिष्कार किया था। इसके चलते मतदानकर्मी खाली पेटी लेकर वापस आ गए थे। लेकिन चुनाव के बाद गांव तक पक्की सड़क बन गई और गांव वालों की मांग पूरी हो गई थी।

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Aditya Mishra

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