TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

इस शहर में घर में नहीं, पिंजरे में रहते हैं लोग, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान

एक शहर, एक देश हांगकांग जो दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है और आर्थिक दृष्टि से धनी भी। ये अपनी बेहतर लाइफस्टाइल और खूबसूरती के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। इस कारण यहां हर साल लाखों लोग घूमने के लिए आते हैं, लेकिन उसका एक दूसरा पहलू भी है,

suman
Published on: 17 Jun 2020 8:01 AM IST
इस शहर में घर में नहीं, पिंजरे में रहते हैं लोग, वजह जानकर हो जाएंगे हैरान
X

हांगकांग: एक शहर, एक देश हांगकांग जो दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है और आर्थिक दृष्टि से धनी भी। ये अपनी बेहतर लाइफस्टाइल और खूबसूरती के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। इस कारण यहां हर साल लाखों लोग घूमने के लिए आते हैं, लेकिन उसका एक दूसरा पहलू भी है, जिसके बारे में शायद बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि इतनी हाई-फाई लाइफ स्टाइल के बाद भी यहां के लोग तंगहाली में जीते है। दरअसल, यहां आज भी बहुत से ऐसे लोग हैं, जो महंगे घरों को खरीदने में सक्षम नहीं हैं। इस कारण ये लोग पिंजरे में रहने को मजबूर हैं।

गैर कानूनी है ये घर

करीब 50 हजार लोग यहां इन्हीं 6 फीट लंबे और 3फीट चौड़े लोहे के पिंजरे में जीते है। इसके लिए इन्हें हर महीने करीब 1,500 हांगकांग डॉलर यानी 11,977 रूपए चुकाना पड़ता है। दरअसल, सामान्य एक रूम फ्लैट का किराया करीब 16,000 हांगकांग डॉलर है, रुपए में करीब 1,27,757 रूपए। ऐसे पिंजरेवाले आशियाने की शुरूआत कोई आज की बात नहीं हैं बल्कि 1950 से चली आ रही है ये व्यवस्था। आपको बता दें कि ये पिंजरे दरअसल यहां गैरकानूनी तरीके से चलाए जाते हैं

पिंजरे में कैद इंसान

पिंजरा भी ऐसा कि देखकर दंग रह जाएंगे। आज तक आप जानवरों को पिंजरे में रहते देखते होंगे। यहां तो इंसान अपनी मर्जी से लोहे के बने पिंजरे में रहते है, लेकिन ये पिंजरे भी इन गरीबों को आसानी से नहीं मिलते हैं। इसके लिए भी उन्हें कीमत चुकानी पड़ती है। बताया जाता है कि एक पिंजरे की कीमत लगभग 11 हजार रुपए है। इन पिंजरों को खंडहर हो चुके मकानों में रख दिया जाता है।

केबिन-ताबूत जैसा पिंजरा

जिनके पास घर नहीं होता है वे पिंजरों में रहते है। पिंजरे के अंदर एक-एक अपार्टमेंट में 100-100 लोग रहते हैं। एक अपार्टमेंट में महज दो ही टॉयलेट होते हैं, जिससे इनकी परेशानी और बढ़ जाती है। सोसाइटी फॉर कम्युनिटी आर्गनाइजेशन के मुताबिक, हांगकांग में फिलहाल इस तरह के घरों में लगभग एक लाख लोग रह रहे हैं।

इतना ही नहीं, पिंजरों की भी साइज निर्धारित होती है। इनमें से कोई पिंजरा छोटे केबिन के बराबर होता है, तो कोई पिंजरा ताबूत के आकार का होता है। वहीं, पिंजरे में बिछाने के लिए ये लोग गद्दे की जगह बांस की चटाई का उपयोग करते हैं। सोसाइटी फॉर कम्युनिटी आर्गनाइजेशन के मुताबिक, हांगकांग में फिलहाल इस तरह के घरों में लगभग एक लाख लोग रह रहे हैं। इतना ही नहीं, पिंजरों की भी साइज निर्धारित होती है। इनमें से कोई पिंजरा छोटे केबिन के बराबर होता है, तो कोई पिंजरा ताबूत के आकार का होता है। वहीं, पिंजरे में बिछाने के लिए ये लोग गद्दे की जगह बांस की चटाई का उपयोग करते हैं।



\
suman

suman

Next Story