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अमेरिका और इंडिया के घर आखिर क्यों होते है अलग,चलिए जानते हैं दोनों के बीच का फर्क
भारत के घरों में ज्यादा फ्लोरिन के लिए टाइल्स का उपयोग किया जाता है। तो वहीं अमेरिका में कार्पेट का इस्तमाल किया जाता है। अमेरिका में पहले जमीन पर सीमेंट लगा दिया जाता है और उसके बाद कार्पेट का उपयोग करा जाता है
अमेरिका और इंडिया के लोगों की लाइफ स्टाइल में बहुत फर्क होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दोनों देशों के बीच घर बनवाने का तरीका भी अलग होता है। अमेरिका के घर इंडिया के घरों से बहुत अलग होते हैं। भारत में कई ऐसी चीजें है जो कि अमेरिका के लिए कोई काम की नहीं है। वैसे ही अमेरिका में भी कई ऐसी चीजें है जिसकी भारत में कोई जरूरत नहीं है। इंडिया के लोग ये जानना चाहते होंगे कि अमेरिका के घर हमसे अलग कैसे होते हैं और अमेरिका के लोग ये जानना चाहते होंगे कि भारत के घर अलग क्यों होते हैं।
इंडिया के घर में टाइल्स और अमेरिका में कारपेट क्यों
भारत के घरों में ज्यादा फ्लोरिन के लिए टाइल्स का उपयोग किया जाता है। तो वहीं अमेरिका में कार्पेट का इस्तमाल किया जाता है। अमेरिका में पहले जमीन पर सीमेंट लगा दिया जाता है और उसके बाद कार्पेट का उपयोग करा जाता है जो कि बहुत मुलायम होता है। लेकिन ये चीज सिर्फ लिविंग हाल और बैडरूम के लिए ही होती है। किचन में फ़्लोरिन अलग होता है। किचन में ज्यादातर लकड़ी की फ्लोरिन होती है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योकि खाना बनाते हुए अगर कोई भी चीज कारपेट पर गिर जाती है तो वह बहुत ही ज्यादा गंदा हो सकता है। तो वही इंडिया में एक बार टाइल्स लगाने के बाद कई सालो तक कोई प्रॉब्लम नहीं होती है।
दीवारों के बीच का फर्क
अमेरिका में जो दीवार होती है। वह लकड़ी की होती है,और भारत के घरो में जो दीवारें होती है वह सीमेंट और ईट से बनाई जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका में लकड़िया बहुत सस्ती होती है,और वह लकड़ी से घर बनाते है तो उनका बहुत फायदा होता है। और उनका घर जल्दी भी बन जाता है। वहीं इंडिया में भी लकड़ी इतनी महंगी नहीं है लेकिन भारत में तापमान और दीमक के कारण हम लकड़ी के घर नहीं बनवा सकते हैं। लेकिन इंडिया के घर अमेरिका के घरों से ज्यादा मजबूत होते हैं।
वाटर सिस्टम
भारत में पानी को स्टोर किया जाता है क्योंकि हर समय भारत में पानी नहीं आता है। वहीं अमेरिका में 24 घंटे घरों में पानी आता है। और इस सिस्टम में अमेरिका के लोगों को कम पैसे देने पड़ते है। और घर में जितने भी नल होते हैं उसमे आपको ठंडा और गर्म दोनों तरह के पानी हमेशा मिलते हैं। अमेरिका में खिड़कियों पर पर्दो का इस्तमाल नहीं किया जाता है। ऐसा नहीं है कि सभी लोग पर्दो का इस्तमाल नहीं करते हैं लेकिन ज्यादातर लोग पर्दो का इस्तमाल नहीं करते हैं।