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अमेरिकाः बंदूकबाजी कैसे रुके?

अमेरिका में बंदूकबाजी के चलते हजारों निर्दोष लोगों की जान जाती है, क्योंकि वहां हर आदमी के हाथ में बंदूक है।

Raghvendra Prasad Mishra
Published on: 26 March 2021 11:28 AM IST
अमेरिकाः बंदूकबाजी कैसे रुके?
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डॉ. वेदप्रताप वैदिक (Dr. Vedapratap वैदिक)

अमेरिका यों तो अपने आप को दुनिया का सबसे अधिक सभ्य और प्रगतिशील राष्ट्र कहता है लेकिन यदि आप उसके पिछले 300-400 साल के इतिहास पर नजर डालें तो आपको समझ में आ जाएगा कि वहां इतनी अधिक हिंसा क्यों होती है। पिछले हफ्ते अटलांटा और कोलेरोडो में हुई सामूहिक हत्याओं के बाद राष्ट्रपति जो बाइडन ने 'आक्रामक हथियारों' पर तत्काल प्रतिबंध की मांग क्यों की है? पिछले एक साल में 43500 लोग बंदूकी हमलों के शिकार हुए हैं। हर साल अमेरिका में बंदूकबाजी के चलते हजारों निर्दोष, निहत्थे और अनजान लोगों की जान जाती है, क्योंकि वहां हर आदमी के हाथ में बंदूक होती है। अमेरिका में ऐसे घर ढूंढना मुश्किल है, जिनमें एक-दो बंदूकें न रखी हों।

इस समय अमेरिका में लोगों के पास 40 करोड़ से ज्यादा बंदूकें हैं। बंदूकें भी ऐसी बनती हैं, जिन्हें पिस्तौल की तरह आप अपने जेकेट में छिपाकर घूम सकते हैं। बस, आपको किसी भी मुद्दे पर गुस्सा आने की देर है। जेकेट के बटन खोलिए और दनादन गोलियों की बरसात कर दीजिए। अब से ढाई-सौ तीन-सौ साल पहले जब यूरोप के गोरे लोग अमेरिका के जंगलों में जाकर बसने लगे तब वहां के आदिवासियों 'रेड-इंडियंस' के साथ उनकी जानलेवा मुठभेड़ें होने लगीं। तभी से बंदूकबाजी अमेरिका का स्वभाव बन गया। अफ्रीका के काले लोगों के आगमन ने इस हिंसक प्रवृत्ति को और भी तूल दे दिया।

अमेरिकी संविधान में 15 दिसंबर, 1791 को द्वितीय संशोधन किया गया जिसने अमेरिकी सरकार को फौज रखने और नागरिकों को हथियार रखने का बुनियादी अधिकार दिया। इस प्रावधान में 1994 में सुधार का प्रस्ताव जो बाइडन ने रखा। वे उस समय सिर्फ सीनेटर थे। क्लिंटन-काल में यह प्रावधान 10 साल तक चला। उस दौरान अमेरिका में बंदूकी हिंसा में काफी कमी आई थी। अब बाइडन 'आक्रामक हथियारों' पर दुबारा प्रतिबंध लगाना चाहते हैं और किसी भी हथियार खरीदने वाले की जांच-पड़ताल का कानून बनाना चाहते हैं।

आक्रामक हथियार उन बंदूकों को माना जाता है, जो स्वचालित होती हैं और जो 10 से ज्यादा गोलियां एक के बाद एक छोड़ सकती हैं। हथियार खरीदने वालों की जांच का अर्थ यह है कि कहीं वे पहले से पेशेवर अपराधी, मानसिक रोगी या हिंसक स्वभाव के लोग तो नहीं हैं? बाइडन अब राष्ट्रपति हैं तो वह ऐसा कानून तो पास करवा ही लेंगे लेकिन कानून से भी ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि अमेरिका के उपभोक्तावादी, असुरक्षाग्रस्त और हिंसक समाज को सभ्य और सुरक्षित कैसे बनाया जाए? यह कानून से कम, संस्कार से ज्यादा होगा।



Raghvendra Prasad Mishra

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