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Video: सावधान! बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी मोटापे की, भारत में बन रही बड़ी समस्या
Obesity in India: यह जो मोटापा समस्या है वह केवल आपके सेहत को नहीं बिगाड़ती है। वह देश की अर्थव्यवस्था को भी बिगाड़ कर के रख देती है।
Obesity in India: इन दिनों लोगों को अपनी सेहत की चिंता बहुत रहती है।स्लीम बने रहना लोगों की एक आदत सी हो गई है। लोग इस पर बहुत खर्च भी कर रहे हैं। हालाँकि मोटापा एक बहुत बड़ी समस्या हो गई हैं। यह जो मोटापा समस्या है वह केवल आपके सेहत को नहीं बिगाड़ती है। वह देश की अर्थव्यवस्था को भी बिगाड़ कर के रख देती है। आँकड़े बताते हैं कि 2025 …. तक दुनिया की आधी आबादी मोटापे का शिकार हो चुकी रहेगी। मोटापे से निपटने के लिए जो स्वास्थ्य संबंधी खर्च आप करते हैं। मोटापे के नाते जो आप क दिक़्क़तें झेलनी पड़ती है, उन सब का खर्चा देखा जाये तो किसी भी अर्थव्यवस्था पर यह बहुत भारी पड़ता है।
विश्व ओबेसिटी फेडरेशन की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2035 तक भारतीय अर्थव्यवस्था पर अधिक वजन और मोटापे का कुल प्रभाव 129.33 बिलियन डॉलर तक हो सकता है।
वर्ल्ड ओबेसिटी एटलस नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मोटापा 2035 तक सालाना 5.2 प्रतिशत की दर से बढ़ने की संभावना है। वार्षिक वृद्धि बच्चों में और भी अधिक यानी 9.1 फीसदी तक हो सकती है।
मोटापे की डब्ल्यूएचओ की परिभाषा का उपयोग
रिपोर्ट में मोटापे की डब्ल्यूएचओ की परिभाषा का उपयोग किया गया है। इस परिभाषा के अनुसार, 30 और उससे अधिक के बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को मोटापा माना जाता है। जबकि 25से 30 के बीच बीएमआई को अधिक वजन वाला माना जाता है। आर्थिक प्रभाव की गणना मोटापे और उसके परिणामस्वरूप हुई स्थितियों की लागत को ध्यान में रखते हुए की गई है। इसमें मोटापे से जुड़ी बीमारियों का इलाज, आर्थिक उत्पादकता पर उच्च बीएमआई के प्रभाव, उच्च बीएमआई से अनुपस्थिति में योगदान, कम उत्पादकता और समय से पहले सेवानिवृत्ति या मृत्यु को ध्यान में रखा गया है।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि मोटापे का कारण लोगों में गतिहीन जीवन शैली का निरंतर बढ़ते जाना है।और लोग कुर्सी पर बैठे हुए क्लिक पर सभी चीज़ें प्राप्त कर ले रहे हैं। इससे भी मोटापे की समस्या बढ़ रही है। यहां तक कि कार्यस्थल पर ऑटोमेशन से भी लाइफ स्टाइल खराब होती जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि मोटापे में वृद्धि से कई बीमारियां भी बढ़ती जाएंगी। हार्मोनल असंतुलन, डायबिटीज और हृदय रोगों से संबंधित मसले बढ़ते जा रहे हैं। मोटापा बढ़ने की वजह रिफाइंड खाद्य पदार्थों का अधिकाधिक उपयोग है।
भारत में मोटापे में उल्लेखनीय वृद्धि
हाल के दशकों में भारत में मोटापे में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) के आंकड़ों के अनुसार, अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त पुरुषों का अनुपात 2006 में 9.3 प्रतिशत से बढ़कर 2021 में 22.9 प्रतिशत हो गया। महिलाओं में यह आंकड़ा 12.6 से 24 फ़ीसदी तक हो गया है। मोटे तौर पर देखा जाये तो शहरी क्षेत्र के लोगों में मोटापा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की तुलना में अधिक होता है। यानी शहर के लोग मोटापे के ज़्यादा शिकार होते हैं। ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की तुलना में। ग्रामीण क्षेत्रों में क्रमशः 19.7 और 19.3 प्रतिशत महिलाओं और पुरुषों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में 33.3 प्रतिशत महिलाओं और 29.8 प्रतिशत पुरुष अधिक वजन वाले या मोटे हैं।
2035 तक दुनिया की आबादी का 51 फ़ीसदी अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हो सकता है। यदि रोकथाम और उपचार नहीं किये गए तो इसका प्रभाव 4.32 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। 2025 में यह आँकड़ा 2.47 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है। लेकिन 2035 में अगर यह आँकड़ा बढ़ कर 4.32 ट्रिलियन डॉलर होता है तो निश्चित रूप से 2025 और 2035 के बीच में यह उछाल दो गुना से ज़्यादा माना जायेगा। यह जो अर्थव्यवस्था पर भार है। और सेहत को लेकर के परेशानी दोनों आदमी के लिए बड़ी समस्या बनेंगे। इससे पहले कि मोटापा आप को धर दबोचे आप खुद ख़्याल करें। अपना ख़्याल रखें। उन तरीक़ों को अपनायें जिससे आप का वजन कम रहे। जितना वजन कम रहेगा । आप उतने चैतन्य रहेंगे। उतनी स्फूर्ति दिखेंगी। उतना ज़्यादा काम कर सकेंगे।