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The Kerala Story Fact Check: ‘ द केरला स्टोरी’ को फैक्ट चेक की ज़रूरत नहीं

The Kerala Story Fact Check Video: द केरला स्टोरी के फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ होने मात्र से उसपर सवाल उठने लगे हैं...

Yogesh Mishra
Published on: 2 May 2023 1:05 PM IST (Updated on: 5 May 2023 12:49 PM IST)

The Kerala Story Fact Check Video: अभी ‘द कश्मीर फाइल्स’ से शुरू हुआ विवाद अभी थमा ही था कि ‘द केरला स्टोरी’ ने कई नये विवादों को जन्म दे दिया। पाँच मई को रिलीज़ होने वाली इस फ़िल्म के टीज़र को ,,, लोगों ने देखा। फ़िल्म कथित रूप से ग़ायब हुई लड़कियों के धर्म परिवर्तन करके इस्लामिक स्टेट का सदस्य बनने के इर्द गिर्द घूमती है। इसे लव जेहाद का एक्सटेंशन माना जा रहा है। विवाद में दो तरह के सवाल ही पक्ष विपक्ष बन कर या बना कर घूम रहे हैं या घूमाये जा रहे हैं। पहला, प्रोपेगेंडा बनाम ज़मीनी हक़ीक़त। दूसरा विवाद ग़ायब लड़कियों के धर्म परिवर्तन करके इस्लामिक स्टेट का सदस्य बनने की संख्या से जुड़ा है।

सबसे पहले हमें विवाद के पहले पहलु पर बात करना पड़ेगा। भाजपा आईटी सेल के अमित मालवीय ने अपने ट्विट में कहा है कि ‘द केरला स्टोरी’ वास्तविक जीवन की कहानियों पर आधारित है। यह हैरान व परेशान करने वाली फ़िल्म है।

लव जेहाद की सच्चाई के कई प्रमाण कई राज्यों से मिले हैं। फिर उसका एक्सटेंशन सच्चाई क्यों नहीं हो सकता? फ़िल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन का दावा है कि इस फ़िल्म की कहानी पर उन्होंने सात साल तक काम किया। पीड़ित लड़कियों से मिले। उनसे बात की। जिस तरह भारत का पश्चिमीकरण हुआ है। उसी तरह केरल के मुसलमानों का अरबीकरण हुआ है। यह केरल जाकर देखा जा सकता है। केरल में इस्लाम पर प्रवचन देने वालों की बहुत पूछ है। उनके बड़े बड़े पोस्टर , कट आउट फ़िल्मी सितारों की तरह लगे दिखते हैं।

यहाँ के भाषणों में सुना जा सकता है-“ भाई एनएसजीमें, बहन इस्लामिक स्टेट में।”

ज़ाकिर नाइक की तरह केरल में एम एम अकबर हैं। इन्हें केरल का ज़ाकिर नाइक कहा जाता है। इनके कई स्कूल हैं। जहां सलफी इस्लाम की शिक्षा दी जाती है। जो छोटा गुट कट्टर सुन्नी इस्लाम को मानता है, उसे सलफी मुस्लिम कहते हैं। सलफी इस्लाम चाहते है। सलफी देवबंदियों के क़रीब हैं। यहाँ मिस्र के इस्लामी स्कूल से प्रभावित अरबी माध्यम के स्कूल भी हैं।

केरल में पच्चीस फ़ीसदी मुस्लिम आबादी है। इतिहास का एमजीएस नारायण ने लिखा है,”अरब और खाड़ी देशों से लौटे लोग केरल की मुस्लिम आबादी में कट्टरता फैला रहे हैं।” काफ़ी मुस्लिम अपनी धार्मिक विचारधारा में कट्टर हो कर लौटते हैं।दाढ़ी पहले से लंबी होती है। मूँछ ग़ायब। कपड़े इस्लामी हो जाते हैं। कालीकट में तो माहौल अरब देश जैसा लगता है। केरल मे अरबी खाने परोसने वाले बहुतेरे रेस्टोरेन्ट खुल गये हैं। यहाँ ग्यारहवीं व बारहवीं शताब्दी की तीन पुरानी मस्जिद हैं। उत्तरी केरल को मिनी अरब कहा जाता है। केरल में धर्म परिवर्तन एक बड़ा मुद्दा है, यहाँ इस्लाम धर्म में परिवर्तन कराने के लिए बाक़ायदा दो पंजीकृत संस्थाएँ हैं। तरबियातुल इस्लाम संस्था अस्सी साल पुरानी है। दूसरी संस्था ने सौ साल पूरे कर लिये हैं। इस संस्थान में औसतन एक दिन में एक धर्म परिवर्तन ज़रूर होता है। 70 फ़ीसदी लोग हिंदू से मुसलमान बनते हैं। पीएफआई धर्म परिवर्तन केंद्र चलाता है। तो घर वापसी के अभियान भी चलते हैं।

केरल की इकॉनॉमी पेट्रो डालर है। नि: संदेह भारतीय प्रवासी सबसे अधिक मुद्रा अपने देश को भेजते हैं। 2017 में भारत वंशियों ने 69 अरब डालर भेजा। 1991 में यह राशि महज़ तीन अरब डॉलर थी। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा केरल में आता है। जो चालीस फ़ीसदी तक है। उत्तर प्रदेश पांचवें नंबर पर है। पंजाब दूसरे, तमिलनाडु तीसरे और आँध्र प्रदेश चौथे नंबर पर है। केरल के मल्लपुरम ज़िले में खाड़ी के देशों से आने वाले कुल धन का बीस फ़ीसदी केवल इसी ज़िले में आता है।

संयुक्त अरब अमीरात में केरल के लोग बहुत बड़ी संख्या में रहते हैं। यहाँ जितने भारतीय प्रवासी हैं, उनमें सबस ज़्यादा केरल के है। यूएई की अर्थव्यवस्था में मलयाली भाषी की अहम भूमिका है। मलयाली भाषा का अख़बार ‘माध्यमम’ खाड़ी के देशों में भी छपता है । उन्नीस संस्करण में से 6 खाड़ी देशों से निकलते हैं। केरल के मलयाली भाषी हर चैनल पर आधे घंटे का खाड़ी के देशों पर केंद्रित कार्यक्रम प्रसारित होता है।

फ़िल्म की पटकथा के मुताबिक़ एक हिंदू लड़की निमिशा ( शालिनी) धर्मांतरण के बाद आईएसआईएस ज्वाइन करती है। वह दांत की डॉक्टर होती है। पर बाद में वह फ़ातिमा बन एक ईसाई लड़के बेकस्टन से शादी कर लेती है। यह लड़का आईएसआईएस का आतंकी होता है। फ़ातिमा पीएफआई के ज़रिये आईएसआईएस में शामिल होती है। उसे जाँच एजेंसी पकड़ लेती है। पूछताछ में महिला केरल में चल रहे धर्मांतरण की कहानी बताती है। फ़िल्म की कहानी और एनआईए की चार्जशीट की घटना इत्तिफ़ाक़ से इर्द गिर्द घूम रही है।

दूसरा विवाद धर्मांतरण कर आईएसआईएस के लिए काम करने वाली महिलाओं की संख्या को लेकर के हैं। फ़िल्म के निर्देशक सुदीप्तो सेन गुप्ता के मुताबिक़ ये आँकड़े केरल के मुख्यमंत्री रहे ओमान चांडी के विधानसभा में दिये गये उस बयान से लिये गये हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2800-3200 लोगों का धर्मांतरण सालाना होता है। इस लिहाज़ से दस साल में बत्तीस हज़ार बैठता है। जबकि ऑल्ट न्यूज़ के फ़ैक्ट चेक में यह आँकड़ा 2667 पाया गया। केरल स्टेट इंटेलीजेंस के मुताबिक़ 2011-2015 के बीच 4975 लोगों का धर्मांतरण हुआ। बीबीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि हर साल दस से पंद्रह महिलाएँ आईएसआईएस ज्वाइन करती हैं। अगर किसी भी संख्या को स्वीकार कर लिया जाये तो भी केरल में अरब देशों से रिश्ते , अरब देशों जैसा बनता माहौल, खाडी देशों में केरल के तक़रीबन दस लाख लोगों के रोज़गार में लगे रहने, केरल में आईएसआईएस के यू ट्यूब चैनलों को सुनने/ देखने वालों की बढ़ती संख्या व धर्मांतरण कराने वाली संस्थाओं-पीएफआई,नीस ऑफ ट्रुथ,पीस एजुकेशन फ़ाउंडेशन और आईआरएफ की सक्रियता से तो इनकार किया नहीं जा सकता है। जो कुछ ‘द केरला स्टोरी’ में है, उसके बहुत से अंश लोकल अख़बारों में छपे हुए हैं। इस लिए इन्हें अब नई कसौटी की ज़रूरत नहीं है।



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