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2019 लोकसभा चुनाव, भाजपा जितना घटेगी, कांग्रेस को उतना फायदा

राम केवी
Published on: 10 Nov 2018 11:38 AM GMT
2019 लोकसभा चुनाव, भाजपा जितना घटेगी, कांग्रेस को उतना फायदा
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रामकृष्ण वाजपेयी

लखनऊ: 2014 में नरेन्द्र मोदी के क्लीन स्वीप के बाद राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस लगातार अपनी खोई जमीन मजबूत करने में कामयाब होती दिख रही है। सबसे पहले पंजाब में कांग्रेस का बेहतरीन प्रदर्शन दिखा इसके बाद गुजरात में कांग्रेस की स्थिति में सुधार हुआ। अब कर्नाटक में भाजपा को कांग्रेस ने बड़ा झटका दिखा है।

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कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि 2014 के बाद लोकसभा की दस सीटों पर हुए चुनावों में पांच सीटें कांग्रेस ने छीनी हैं वर्तमान समय में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मध्य प्रदेश में भाजपा को वह कांटे की टक्कर देती दिख रही है जबकि राजस्थान में वह भाजपा से आगे दिखाई दे रही है। छत्तीसगढ़ में भी उसकी स्थिति मजबूत है वहां वह नैक टु नैक फाइट की स्थिति में है।

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हम अगर कर्नाटक उपचुनाव के नतीजों को देखें तो इस राज्य में भाजपा को झटका सबसे भारी है। इस चुनाव में भाजपा ने बेल्लारी में भाजपा ने अपना मजबूत गढ खोया है। बेल्लारी सीट 2014 में भाजपा ने करीब 90 हजार वोट से जीती थी लेकिन इस बार कांग्रेस से इसी सीट को वह ढाई लाख वोटों से हार गई है।

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इसी तरह से यदि शिमोगा सीट की बात करें तो 2014 में भाजपा के येदियुरप्पा ने यह सीट 3.63 लाख के अंतर से जीती थी लेकिन इस बार जब उनके बेटे यहां से चुनाव लड़े तो जीत का अंतर घटते घटते 52 हजार पर रुका। मांड्या सीट चूंकि जनता दल एस ने 3.24 लाख वोट के अंतर से जीती है इसलिए उसमें भाजपा के लिए खुश होने जैसा कुछ भी नहीं है। 2014 में जनता दल एस का जीत का अंतर 5.518 था जो इस बार बंपर वोट में तब्दील हुआ है। लेकिन कांग्रेस की यह बड़ी कामयाबी कही जा सकती है कि वह भाजपा को रोकने में कामयाब रही।

भाजपा के लिए गेट वे आफ साउथ कहे जा सकने वाले कर्नाटक में 28 लोकसभा सीटें हैं। भाजपा 2014 में यहां 17 सीटें जीती थी। भाजपा ये उम्मीद कर रही थी कि 2019 में सभी 28 सीटें वह जीतेगी और मोदी को दोबारा प्रधानमंत्री बनाने का रास्ता साफ करेगी। इस बात को इस चुनाव में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और कर्नाटक भाजपा के अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा लगातार कहते भी रहे हैं। दरअसल दक्षिण के इस राज्य से भाजपा को बहुत अधिक उम्मीदें थीं।

यहां के तटीय इलाकों में पार्टी की मजबूत पकड़ मानी जाती थी। लेकिन कांग्रेस जेडीएस के साथ आ जाने से भाजपा दिक्कत में आती दिख रही है। अगर कांग्रेस जेडीएस के दबाव में कर्नाटक में ही भाजपा फंस गई तो आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में भी कांग्रेस पेंच फंसा सकती है। ऐसे में उत्तर भारत में संभावित नुकसान की भरपाई दक्षिण के राज्यों से करने की भाजपा की रणनीति को कांग्रेस करारा झटका दे सकती है।

दरअसल इस सबके पीछे राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस का बढ़ता ग्राफ एक बड़ी वजह है। एबीपी न्यूज-लोकनीति-सीएसडीएस के एक सर्वे में अगस्त में कहा गया था कि राहुल की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है। हालांकि इस सर्वे में तत्काल चुनाव की स्थिति में एनडीए को 274 व यूपीए को 164 सीटें दी गई थीं।

इसमें गौर करने की बात यह है कि सर्वे को सही मानें तो एनडीए को लगभग 50 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है जबकि यूपीए को 105 सीटों का फायदा। सीटों के इस गणित के हिसाब से भाजपा संकट में दिख रही है। उसके लिए अपने दम पर सरकार बनाने में दिक्कत हो सकती है। उसे सहयोगी दलों के दबाव में रहना होगा। लेकिन कांग्रेस फायदे में आती दिख रही है।

कुल मिलाकर भाजपा जितना घटेगी कांग्रेस को उतना ही फायदा मिलेगा। 2019 में कांग्रेस की रणनीति भी यही है राज्यों में वह घाटे का सौदा करके छोटी पार्टनर भी इसीलिए बन रही है। हां मोदी के मुकाबले के लिए उसके पास कोई चेहरा नहीं है लेकिन उसके तमाम मित्र दल अगर एक ही बात बोलेंगे तो उसका असर पड़ना लाजमी है। ऐसे में अगर कांग्रेस की रणनीति काम कर गई और उसने विपक्षी दलों से हाथ मिला लिया तो यूपीए एनडीए को झटका दे सकता है और भाजपा नीत एनडीए गठबंधन को सत्ता की दहलीज पर पहुंचने से पहले ही रोक सकती है।

राम केवी

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