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एसिड अटैक सर्वाइवर्स के साथ राजबब्‍बर, तीन दिनों में कैफे बंद करने का है नोटिस

sudhanshu
Published on: 1 Oct 2018 12:54 PM GMT
एसिड अटैक सर्वाइवर्स के साथ राजबब्‍बर, तीन दिनों में कैफे बंद करने का है नोटिस
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लखनऊ: एसिड अटैक की त्रासदी को झेलकर अपने पैरों पर खड़े होने का सपना देख रही एसिड अटैक सर्वाइवर्स को प्रदेश सरकार से तगड़ा झटका दिया है। उन्‍हें तीन दिनों के अंदर कैफे को बंद करके खाली करने का नोटिस दिया गया है। ऐसे में अपनी रोजी रोटी बचाने की गुहार लगा रही एसिड अटैक सर्वाइवर्स के साथ सोमवार को कांग्रेस प्रदेश अध्‍यक्ष राजबब्‍बर नजर आए। उन्‍होंने सर्वाइवर्स को आश्‍वस्‍त किया कि कांग्रेस उनके संघर्ष में उनके साथ है।

सिर्फ तीन दिनों के नोटिस पर कैफे को बंद करने के फरमान सुनाने से योगी सरकार के दावों की जमीन हकीकत के साथ ही असंवेदनशीलता भी नजर आती है, जिनमें वह खुद को महिलाओं के लिए कल्याणकारी और हितैषी बताती है। हालांकि, कोर्ट ने मामले में 21 दिनों का स्टे दिया है।

शीरोज कैफे के पक्ष में राजबब्‍बर

कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष राजबब्‍बर शीरोज कैफे पहुंचे और पीड़िताओं से मुलाकात की। उन्‍होंने सभी को दिलासा दिया और कहा कि हम आपके साथ खड़े हैं। राजबब्‍बर ने कहा कि समाज और सरकार को कलंकित होना चाहिए कि इन युवतियों-महिलाओं पर इतना अत्‍याचार किया गया है, जिनको ये चेहरे बता रहे हैं। इसके लिए ना तो इनका इलाज कराया जा रहा है और ना ही इन्‍हें कोई अनुदान या वजीफा दिया जा रहा है। जबकि दिल्‍ली में एसिड पी‍ड़िताओं को पेंशन दी जाती है।

कांग्रेस अध्‍यक्ष ने योगी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार इतनी बेरहम कि इन इनको तीन दिन में कैफे खाली करने का नोटिस दे दिया है। हालांकि, माननीय कोर्ट ने इन्‍हें 21 दिन का स्‍टे दिया है।

कैफे से चलती है एसिड पी‍ड़िताओं की रोजी रोटी

गौरतलब है कि इस कैफे के जरिए एसिड पीड़ित महिलाएं अपनी रोजी-रोटी चला रही थीं। साथ ही ये संदेश भी दे रही थीं कि एसिड पीड़ित होने के बावजूद पीड़ित महिलाएं हिम्मत और आत्मसम्मान के साथ जिंदगी जी सकती हैं। इस कैफे में वे लड़कियां काम करती हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी में एसिड अटैक झेला है। उनके चेहरे इन हमलों में झुलस चुके हैं।

ऐसे में वे समाज की मुख्य धारा से काफी हद तक अलग हो चुकी हैं। अब इन लड़कियों की चिंता ये भी है कि उनका परिवार कैसे चलेगा। साथ ही इससे भी बड़ी बात कि उनके सम्मान से सिर उठाकर जीने का जरिया अब छीनने की कगार पर है।

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