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Ambedkar Nagar News: बसपा के प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन को स्वार्थ की राजनीति मानते हैं लोग, जानिए क्या है जनता की राय

Ambedkar Nagar News:यूपी में विधानसभा चुनाव 2022 में होना है। लगभग पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है।

Manish Mishra
Report Manish MishraPublished By Shraddha
Published on: 26 July 2021 3:49 PM IST
बसपा के प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन को स्वार्थ की राजनीति मानते हैं लोग
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बहुजन समाज पार्टी (कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया) 

Ambedkar Nagar News : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 (Assembly Election 2022) में होना है। लगभग पांच महीने बाद विधानसभा चुनाव (Assembly Election) का बिगुल बजने वाला है। मौजूदा समय में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) की सरकार है जिसको लेकर विपक्षी दलों ने चुनाव पूर्व अपनी अपनी तरफ से मुद्दे निकालने शुरू कर दिये हैं।

लगभग 4 साल तक जनता की समस्याओं से कोई सरोकार ना रखने वाले विपक्षी दलों को अब अचानक विभिन्न समाजों की चिंता सताने लगी है। इस प्रकार की चिंता करने में सबसे पहला नंबर बहुजन समाज पार्टी का है। 2007 की तर्ज पर बहुजन समाज पार्टी ने एक बार फिर से ब्राह्मण दलित गठजोड़ के सहारे सत्ता में पहुंचने का दिवास्वप्न देखना शुरू कर दिया है। हालांकि इस बार परिस्थितियां 2007 की तरह नहीं है।


ओम प्रकाश त्रिपाठी (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में एक ईमानदार प्रदेश सरकार विकास के नए आयाम स्थापित कर रही है। ऐसे में प्रमुख दलों में शामिल समाजवादी पार्टी तथा बहुजन समाज पार्टी के लिए सरकार के खिलाफ कोई मजबूत हथियार नहीं मिल रहा है। इन परिस्थितियों को देखते हुए इन दोनों दलों ने ब्राह्मण सम्मेलन करने की रूपरेखा तैयार कर डाली। बहुजन समाज पार्टी ने अयोध्या से इसकी शुरुआत भी कर डाली है हालांकि इसे प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन का नाम दिया गया है लेकिन इस सम्मेलन में चर्चा केवल ब्राह्मण वर्ग को साथ लाने की होती है।

उदय राज मिश्र (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

अयोध्या से शुरू हुआ यह सम्मेलन शनिवार व रविवार को अंबेडकरनगर में भी आयोजित किया गया। इस सम्मेलन को लेकर जिले के प्रबुद्ध वर्ग के लोगों की क्या राय है,इस पर उनकी राय लेने की कोशिश की गई। प्रश्न यह रहा कि क्या वे इसे बहुजन समाज पार्टी की अवसरवादी राजनीति मानते हैं या यह समय की मांग है कि ब्राह्मण व दलित एक होकर भारतीय जनता पार्टी की सरकार को उखाड़ फेंके।

स्थानीय बीएन डिग्री कालेज के सेवानिवृत्त असिस्टेंट प्रोफेसर ओम प्रकाश त्रिपाठी का कहना है कि सतीश मिश्र ने अपने मन में बसपा को समूल नष्ट करने का संकल्प ले रखा है और वह धीरे धीरे उसे नष्ट भी कर चुके हैं। उन्होंने सवाल किया कि आज अचानक ब्राह्मण हितों की दुहाई देने निकली बसपा इन साढ़े चार साल तक कंहा थी। नेपथ्य में पड़े रहे सतीश मिश्र को एक बार फिर बसपा ने ब्राह्मणों को छलने के लिए मैदान में उतार दिया है। इसे विशुद्ध अवसर वादी राजनीति के सिवा कुछ नही कहा जा सकता। जनपद न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अम्बरीष मिश्र ने कहा कि यह बसपा की अवसरवादी राजनीति है जिसमे ब्राह्मण फंसने वाला नहीं है। वह अपना हित व अहित देखकर आगे का निर्णय लेने में सक्षम है।

शिक्षक प्रतिनिधि उदयराज मिश्र के अनुसार ब्राह्मण सम्मेलन का जो आयोजन प्रबुद्ध वर्ग सम्मेलन के नाम पर किया जा रहा है उससे सोये हुए ब्राह्मणों में राजनैतिक एकता की भावना अवश्य बलवती होगी।किन्तु ब्राह्मणों का सम्मेलन तब सफल होगा जब राजनैतिक दल सत्ता के साथ साथ सङ्गठन में भी जगह देंगें।फिलहाल अभी बसपा में सङ्गठन के सभी शीर्ष पद बूथ से लेकर प्रदेश तक दलितों के पास हैं।यही कारण है कि ब्राह्मण बसपा की तरफ मुड़ने में संकोच करता है। यदि वह भाजपा से कटा तो बसपा की तरफ मुड़ सकता है। फिलहाल यह सम्भावना 10 से 15 प्रतिशत तक ही है।

पूर्व प्रधान राजकुमार भट्ट की इस प्रकार के सम्मेलन पर अलग ही राय है । उनका कहना है कि सवाल सिर्फ बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा जी का नहीं है। इस तरह का धूर्तता पूर्ण कार्य सभी राजनीतिक पार्टियां खुलेआम कर रहे हैं और जनता को जातियों में बांट कर उन्हें बेवकूफ बनाकर सत्ता हासिल कर रही हैं। आज जो कुछ भी हो रहा है उसका सबसे प्रत्यक्ष उदाहरण आपके सामने है। यह कोई नई बात नहीं है कि राजनीतिक लोग समय-समय पर जनता को बेवकूफ बनाने का कार्य इसी तरह से करते चले आ रहे हैं। कुछ पिछले अनुभवों को भी ताजा करके आप भी स्वयं सोच सकते हैं देख सकते हैं।

बड़ी निराशा के साथ कहना पड़ रहा है ब्राह्मणों के साथ सरकारे बहुत ही छल कपट एवं छदम व्यवहार कर रही हैं। समय बीतता जा रहा है लोग ठगे जा रहे हैं। राजनीतिक पार्टियां फूट डालो और स्वार्थ सिद्ध करो के सिद्धांत पर काम कर रही हैं। इनको किसी जाति किसी वर्ग की मूलभूत समस्याओं से कुछ नहीं लेना देना। इनको वोट बैंक समझकर समय पर बरगला कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना है। बसपा भी इसी द्वंद में लगी है।



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Shraddha

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