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अमिताभ ठाकुर को धमकी देने के मामले में मुलायम को फिर मिली क्लीन चिट
लखनऊ: वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को फोन पर दी गई धमकी के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को क्लीन चिट देते हुए अदालत में एक बार फिर से अंतिम रिपोर्ट दाखिल की गई है। साथ ही झूठा मुकदमा दर्ज कराने के लिए अमिताभ को आईपीसी की धारा 182 के तहत दंडित करने की मांग भी इस रिपोर्ट में की गई है। सीजेएम आनंद प्रकाश सिंह ने फिलहाल इस अंतिम रिपोर्ट पर सुनवाई के लिए 15 नवंबर की तारीख तय की है।
अदालत में सीओ बाजारखाला अनिल कुमार यादव ने इस मामले की पुर्नविवेचना के बाद अपनी अंतिम रिपोर्ट दाखिल की है। रिपोर्ट में कहा है कि इस अपराध के समर्थन में सुसंगत साक्ष्य नहीं होने के कारण इस मुकदमे में पूर्व में भेजे गए अंतिम रिपोर्ट का समर्थन किया जाता है और विवेचना समाप्त की जाती है।
अदालत ने खारिज की अंतिम रिपोर्ट
12 अक्टूबर, 2015 को भी इस मामले की विवेचना के बाद थाना हजरतगंज के उपनिरीक्षक कृष्ण नंदन तिवारी ने अंतिम रिपोर्ट दाखिल किया था। साथ ही अमिताभ को झूठा अभियोग दर्ज कराने के लिए दंडित करने की मांग भी की थी। लेकिन अमिताभ ने पुलिस की इस अंतिम रिपोर्ट को जरिए प्रोटेस्ट अर्जी चुनौती दी। 20 अगस्त, 2016 को उनकी प्रोटेस्ट अर्जी मंजूर करते हुए अदालत ने अंतिम रिपोर्ट को खारिज करते हुए इस मामले की पुर्नविवेचना का आदेश दिया था।
26 जुलाई, 2018 को अदालत के आदेश से इस मामले के दूसरे विवेचक क्षेत्राधिकारी बाजारखाला अनिल कुमार यादव ने विवेचना की कड़ी में मुलायम की आवाज का नमूना लेने उनके आवास गए। मुलायम ने अपनी आवाज का नमूना देने से इंकार कर दिया था। लेकिन यह स्वीकार किया था कि आवाज उन्हीं की है और मैने सिर्फ बड़ा होने के नाते अमिताभ को समझाया था। मेरी मंशा उन्हें धमकी देने की नहीं थी। अमिताभ ने बढ़ा-चढ़ा कर आरोप लगाया है।
10 जुलाई, 2015 की इस घटना के संबध में अमिताभ की अर्जी पर अदालत के आदेश से मुलायम के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।
कोर्ट की अन्य खबरें:
रविदास मेहरोत्रा ने सरेंडर कर करायी जमानत
लखनऊ: 34 साल पुराने एक आपराधिक मामले में गैरहाजिर चल रहे पूर्व कैबिनेट मंत्री रविदास मेहरोत्रा ने सोमवार को अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। साथ ही अदालत से जमानत पर रिहा करने की मांग भी की। सीजेएम आनंद प्रकाश सिंह ने अभियुक्त रविदास मेहरोत्रा की जमानत अर्जी मंजूर कर ली। उन्होंने 20 हजार की दो जमानते व इनती ही धनराशि का निजी मुचलका दाखिल करने पर उन्हें रिहा करने का आदेश दिया।
अदालत ने इस मामले में गैरहाजिर रहने के कारण रविदास समेत अन्य अभियुक्तों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करते हुए उनकी संपति कुर्क करने का भी आदेश दिया था।
27 फरवरी, 1984 को इस मामले की एफआईआर एसआई अखलाक अहमद सिद्दकी ने थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी। जिसके मुताबिक अभियुक्तों ने 15-20 अन्य लोगों के साथ विशुन नारायन इंटर कालेज से जीपीओ तक बगैर इजाजत जुलुस निकाला। सरकार विरोधी नारे लगाए। दुकानदारों को आतंकित करते हुए जबरिया बाजार बंद कराया। जो दुकानदार बंद नहीं कर रहा था, उसके साथ मारपीट की। उन्हें धमकी दी। दुकानदारों के साथ जनता में भी भय व्याप्त हो गया। सार्वजनिक संपति को नुकसान पहुंचाई। विवेचना के बाद पुलिस ने अन्य अभियुक्तों के साथ ही रविदास के खिलाफ भी आरोप पत्र दाखिल किया था।