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विभागीय कामों से नहीं, अपने बयानों से सुर्खियों में रहते हैं विवादों के आजम

बुलंदशहर में हाईवे पर सामूहिक दुराचार जैसे जघन्य और अतिसंवेदनशील मसले को विपक्ष की साजिश का बयान ठोंक दिया। पर अबकी बार सरकार गहरे संकट में आ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सफाई मांगी है। सरकार के सामने कुआं और खाई वाले हालात हैं। स्वीकार करे तो संकट झेले, बचाव में आए तो चुनाव के ऐन मौके पर आजम का गुस्सा।

zafar
Published on: 5 Sept 2016 6:15 PM IST
विभागीय कामों से नहीं, अपने बयानों से सुर्खियों में रहते हैं विवादों के आजम
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लखनऊ: उनकी शोहरत काम से कम, बयानों से अधिक है। उनके काम की फेहरिस्त में एक से सौ तक सिर्फ जौहर विश्वविद्यालय है। जिसकी शोहरत उत्तर प्रदेश के रामपुर के आसपास खूब है। हालांकि उनके बयान हर महीने, हर हफ्ते, हर साल उन्हें दुनिया भर में सुर्खियां दिलाते हैं। शायद ही कोई ऐसा हो जिसे उनके बयानों ने आहत न किया हो। ताजा मामला बुलंदशहर हाइवे सामूहिक दुष्कर्म काण्ड पर दिया गया उनका बयान है, जिसमें उन्होंने इस काण्ड को राजनीतिक साजिश करार दिया।

हालांकि उनके इस बयान ने उन्हें सर्वोच्च अदालत की दहलीज पर ला पटका है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें फटकार लगाई है। उधर, सदन के अन्दर की गयी उनकी टिप्पणी को लेकर अभी राज्यपाल विधिक राय ले रहे हैं। इस तरह के विवादों में घिरे रहना उनका शगल है।

अपनी भैंसों की चोरी के मामले में भी उन्होंने बयानों की तरह ही सुर्खियां बटोरी थीं। बहरहाल, शायद वह मानते हैं कि वह सरकार में सबसे ऊपर हैं, यही वजह है कि उनके बयान बार-बार सरकार को संकट में डाल देते हैं। वह मातहतों तक पर अपने मुताबिक भरोसा करते हैं।

अपनी अहमियत जताने के लिए कैबिनेट की बैठकों से लम्बे समय तक नदारद रहना, पार्टी के अधिवेशनों से किनारा कसना भी उनकी बयानबाजी की तरह का ही एक हिस्सा है।

बात हो रही है उत्तर प्रदेश के नगर विकास, संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री आजम खां की। इतने सारे तमगे उन्हीं की शख्सियत पर फिट बैठते हैं। अपने पूरे राजनीतिक करियर में उनकी पहचान उनके बयानों तक सिमट कर ही रह गई है।

नए शौक

-नगर निगम या टाउन एरिया का काम देखना या अपने महकमे में कोई समीक्षा बैठक करना कभी उनकी सुर्खियों का सबब नहीं रहा है।

-हालांकि सेक्युलर बताने की गरज से इन दिनों साधुओं से मिलने का उन्होंने नया शौक पाल लिया है, मालाएं भी पहनते हैं।

-मेकओवर करने के लिए खुशामद के दो बोल भी बोल देते हैं।

राज्यपालों से भिड़े

-बयानों के मार्फत सरकार को तो इतनी बार सांसत में डाला कि मुख्यमंत्री को सफाई देने में मुश्किलें आईं।

-अपने विश्वविद्यालय की खातिर कभी राज्यपाल रहे टीवी राजेश्वर से भिड़ गए तो कभी बीएल जोशी और मौजूदा राज्यपाल राम नाईक से।

-राम नाईक को अयोध्या के मंदिर का पुजारी और न जाने क्या-क्या कहा। बहाना सरकार का होता है और खुन्नस खुद की निकालते हैं।

-बाद में सरकार के मुखिया को या तो सफाई देनी पड़ती है या चुप्पी साधकर तरह तरह के हमले झेलने पड़ते हैं।

-इससे पहले राज्यपाल राम नाईक ने उनके दो बयानों की सीडी मंगवाई है।

सुप्रीम कोर्ट की नोटिस

बुलंदशहर प्रकरण आगे बढ़ता, जनाब ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया। बुलंदशहर में हाईवे पर सामूहिक दुराचार जैसे जघन्य और अतिसंवेदनशील मसले को विपक्ष की साजिश का बयान ठोंक दिया।

-पर अबकी बार सरकार गहरे संकट में आ गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सफाई मांगी है।

-सरकार के सामने कुआं और खाई वाले हालात हैं। स्वीकार करे तो संकट झेले, बचाव में आए तो चुनाव के ऐन मौके पर आजम का गुस्सा।

-अब देखने वाली बात होगी कि इस बयानवीर नेता को लेकर सुप्रीम कोर्ट या सरकार क्या रुख अपनाती है।

राज्यपाल ने मांगी सीडी

-गत 8 मार्च को आजम खां विधानसभा में राज्यपाल राम नाईक द्वारा महापौरों को पद से हटाने संबंधी विधेयक को रोके जाने पर चर्चा कर रहे थे।

-इस दौरान उन्होंने कहा- 'ऐसा करके क्या महापौर के भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का संदेश दिया जा रहा है?' इसके बाद वह सारी सीमाएं लांघ गए। -समाचार पत्रों में यह रिपोर्ट आने के बाद राजभवन ने 9 मार्च को ही विधानसभा अध्यक्ष से सदन की कार्यवाही की संपादित व असंपादित, लिखित व वीडियो-आडियो सीडी तलब की, जो 15 मार्च को उन्हें भेज दी गई।

-आजम का भाषण देखने के बाद 25 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय को लिखे पत्र में राज्यपाल ने कहा है कि विधानसभा सचिवालय से प्राप्त असंपादित व संपादित मुद्रित प्रति से स्पष्ट होता है कि आजम खां ने राज्यपाल के बारे में जो कुछ कहा वह 60 पंक्तियों में था पर उसमें से आपत्तिजनक 20 पंक्तियां हटा ली गईं।

-साफ है कि सदन स्वयं समझता है कि आजम खां ने जो कहा वह असंसदीय था। सवाल उठता है कि क्या ऐसा व्यक्ति संसदीय कार्य मंत्री रह सकता है। हालांकि पत्र में राज्यपाल ने अध्यक्ष का इस बात के लिए आभार व्यक्त किया कि उन्होंने विधेयक रोकने के राज्यपाल के अधिकार की पुष्टि की।

आजम के बोलों पर वाद-प्रतिवाद

राज्यपाल द्वारा आजम खां की योग्यता पर सवाल उठाए जाने के बाद 26 मार्च को सपा के प्रदेश प्रवक्ता व मंत्री राजेन्द्र चैधरी ने कहा कि मंत्री की प्रतिभा व योग्यता पर सवाल उठाना उचित नहीं है।

-उन्होंने कहा आजम के चरित्र हनन के पीछे वे ताकते हैं जो सांप्रदायिकता के सहारे अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकना चाहती हैं।

-सपा प्रवक्ता ने आजम को संसदीय राजनीति का कुशल महारथी भी बता दिया। बिना नाम लिए राज्यपाल पर चरित्र हनन की राजनीति करने का आरोप जड़ डाला।

कड़वे बोल

-निशाने पर मुसलमान-बुलंदशहर में एक कार्यक्रम के दौरान आजम खां ने मुस्लिम समाज को ही अपने निशाने पर ले लिया।

-उनकी भड़ास निकल तो रही थी एआईएमआईएम के असुदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ, मगर कब उसका टारगेट मुस्लिम हो गए खुद आजम भी नहीं जानते होंगे।

-आजम खान ने कहा कि देश के 80 फीसदी मुसलमान कुत्तों के बराबर हैं। 80 फीसदी मुसलमान रोजे नहीं रखते हैं, झूठ बोलते हैं। जो अपने मालिक का ना हुआ वो कुत्ते के बराबर है।

दादरी कांड पर- 'हिम्मत है तो बीफ बेचने वाले होटलों को बाबरी मस्जिद की तरह तोड़ दो।' ...गोभक्त आज के बाद किसी भी होटल के मेन्यू में बीफ की कीमत न लिखने दें। अगर ऐसा होता है तो सभी पांच सितारा होटलों को तोड़ दिया जाए जैसे बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया था।'

2013 में कारगिल युद्ध पर- 'कारगिल की पहाडियों पर फतह करने वाले सेना के जवान हिंदू नहीं मुस्लिम थे।' आजम के इस बयान को लेकर काफी विवाद हुआ था, लेकिन आजम अपने बयान पर कायम रहे।

नरेन्द्र मोदी के एक बयान पर- 'कुत्ते के बच्चे के बड़े भाई, हमें तुम्हारा गम नहीं चाहिए।' दरअसल मोदी ने एक इंटरव्यू में कहा था, कि अगर आपकी कार के नीचे कुत्ते का बच्चा भी आता है तो दुख होता है। मोदी के कुत्ते वाले बयान को मुस्लिमों से जोड़ते हुए आजम ने यह विवादित बयान दिया था।

2014 चुनाव में अमित शाह पर- ' 302 का अपराधी गुंडा नंबर वन शाह यूपी में दशहत फैलाने आया है।' जब इस बयान हंगामा हुआ तो आजम बोले- 'क्या ऐसे अपराधी को भारत रत्न दिलवा दूं।' चुनाव आयोग ने इस मामले पर आजम को नोटिस भी थमा दिया था।

ये भी बोले

'विडम्बना है कि देश के बादशाह अपनी मां को अपने साथ नहीं रखते हैं, लेकिन दुश्मन की मां को तोहफे देते हैं... वह 'बेटी बचाओ' की बात करते हैं, लेकिन उन्होंने अपनी ही पत्नी को छोड़ दिया..।'

'राम नाईक आरएसएस के एजेंट हैं। राजभवन अब 'आरएसएस भवन' में तब्दील हो गया है।'

'अंग्रेजों और मुगलों की हुकूमत में ताजमहल, राष्ट्रपति भवन और संसद भवन को बनाकर हुकमरानों ने खजाने की बर्बादी की। ताजमहल और संसद भवन गुलामी की निशानी हैं।'

'नरेंद्र मोदी ने क्रिसमस के दिन अपने लाहौर दौरे में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के आवास पर अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम से मुलाकात की थी।'

(फोटो साभार: दहिंदू)



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