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Dr Satyanarayan Jatiya Biography: जनता के बीच सबसे चहेते नेता 'डॉ. सत्यनारायण जटिया’, जो आज भी अपनी पहचान श्रमिक नेता के रूप में ही मानते हैं

Dr Satyanarayan Jatiya Wikipedia in Hindi: डॉ. सत्यनारायण जटिया के लंबे राजनीतिक सफर में 2014 में उन्हें राज्य सभा के लिये चुना गया था। वो राज्य सभा के पैनल में उपाध्यक्ष के लिये मनोनीत हुए।

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 4 Feb 2025 3:58 PM IST
Bharat Ke Famous Neta Dr Satyanarayan Jatiya Biography in Hindi
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Bharat Ke Famous Neta Dr Satyanarayan Jatiya Biography in Hindi 

Dr Satyanarayan Jatiya Wikipedia in Hindi: अन्याय के खिलाफ लड़ाई शुरू कर मजदूरों को उनके मौलिक अधिकार दिलाने के लिए भारतीय मजदूर संघ के जरिए सड़क पर उतर कर संघर्ष करने वाले डॉ. सत्यनारायण जटिया को मजदूरों के मसीहा के रूप में जाना जाता है। इस संघर्ष से मिली जीत के बाद जब उन्होंने राजनीतिक सफर शुरू किया तो कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इस राजनीतिक सफर की सफलता के पीछे भी मजदूरों की मेहनत ही सबसे बड़ी वजह बताई जाती है। सत्यनारायण जटिया जब मजदूरी की आवाज बनकर सड़क पर उतरते थे, तो उनके साथ सैकड़ों की संख्या में मजदूर उनके पीछे आ जाते थे। उन्होंने मजदूरों के बीच बैठकर उनकी समस्याओं को समझा और इसके बाद उन्हें न्याय दिलाने के लिए सड़क पर लड़ाई शुरू की। डॉ. सत्यनारायण जटिया खुद एक साधारण कृषक परिवार से जुड़े हुए थे, इसलिए उन्हें मजदूर वर्ग की अधिकांश समस्या और तकलीफों से वाकिफ थे। डॉ. सत्यनारायण जटिया एक भारतीय राजनीतिज्ञ , एक कृषक, वकील और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और औपचारिक संघीय मंत्री भी हैं।

इस तरह हासिल की अपनी पहली राजनीतिक जीत

उन्होंने विक्रम विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश से अपनी डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की है। उन्होंने आपातकाल अवधि 1972 में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया और उन्हें एमआईएसए, (आंतरिक सुरक्षा अधिनियम के रखरखाव) के तहत हिरासत में लिया गया। उन्होंने 1977 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़कर मुख्यधारा की राजनीति में अपना रास्ता बनाया और अपनी पहली राजनीतिक जीत का स्वाद चखा। 1980 से, उन्होंने उज्जैन निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए चुनाव लड़ना शुरू किया और सात बार सांसद बने। इस अवधि में उन्होंने विभिन्न विभाग संभाला और उनके साथ न्याय किया। वे 1977 में मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। बाद में वे उज्जैन से 7वीं (1980), 9वीं (1989), 10वीं, 11वीं, 12वीं, 13वीं और 14वीं (2004-2009) लोकसभा के लिए चुने गए। वह साल 1998 से 2004 की अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थे। 2014 में, वह राज्यसभा के लिए चुने गए थे। राजनेता के अलावा वह एक कवि भी है और कला के दूसरे रूपों में भी रूचि रखते हैं।


उनका कविता संग्रह 1995 में अलख के नाम से प्रकाशित हुआ था।

प्रारंभिक जीवन (Dr Satyanarayan Jatiya Ka Jivan Parichay in Hindi)

4 फरवरी 1946 में मध्य प्रदेश के नीमच जिले के जावद में जन्मे डॉ. सत्यनारायण जटिया के पिता का नाम श्री नाथूलाल जटिया एवं माता का नाम श्रीमती रूक्मन भाटिया, इनकी


जीवनसाथी का नाम कलावती जटिया है। इनकी संतान में 2 पुत्र 3 पुत्री हैं। इन्होंने उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय से बीएससी , एमए , एलएलबी , पीएचडी की पढ़ाई की और 1972 में राजनीति में प्रवेश किया और आपातकाल के दौरान मीसा के तहत हिरासत में लिए गए । वह एक कवि भी हैं और उनकी कविताओं का एक संग्रह, अलख , 1995 में प्रकाशित हुआ था।

डॉ. सत्यनारायण जटिया से जुड़े राजनीतिक घटनाक्रम (Dr Satyanarayan Jatiya Political Career)

डॉ. सत्यनारायण जटिया के लंबे राजनीतिक सफर में 2014 में उन्हें राज्य सभा के लिये चुना गया था। वो राज्य सभा के पैनल में उपाध्यक्ष के लिये मनोनीत हुए। लोक लेखा समिति के सदस्य बने। सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य बने, व्यापार सलाहकार समिति के सदस्य बने, आधिकारिक भाषा समिति के सदस्य बने, 2014 नवंबर के बाद मानव संसाधन विकास समिति के अध्यक्ष बने। 2007 में कोयला और स्टील विभाग के स्थायी समिति के अध्यक्ष बने।

  1. 2004 में 14वें लोकसभा में उज्जैन निर्वाचन क्षेत्र से सातवीं बार चुने गए; अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण समिति के अध्यक्ष बने, श्रम मामले में गठित समिति के सदस्य बने। सामान्य प्रयोजन समिति के सदस्य बने।
  2. 2001 में केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण के पद को संभाला,
  3. 1999 में 13वीं लोकसभा के लिये उज्जैन निर्वाचन क्षेत्र से छठी बार चुने गए। केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, शहरी रोजगार और गरीबी उन्मूलन; केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, श्रम जैसे पद के लिए काम किया।
  4. 1998 में उज्जैन निर्वाचन क्षेत्र से 12वें लोकसभा के लिये चुने गए; केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, श्रम विभाग के तौर पर काम किया।
  5. 1996 में उज्जैन निर्वाचन क्षेत्र से 11वें लोकसभा के लिये चुने गए; संसद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति फोरम के सचिव बने; संसद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति फोरम के उपाध्यक्ष बने; तालिका और कागजात देखरेख समिति के अध्यक्ष बने, संचार समिति के सदस्य बने; पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सलाहकार समिति के सदस्य बने; आधिकारिक भाषा समिति के सदस्य बने।
  6. 1993 में सदस्य, उद्योग समिति बनें, 1991 में उज्जैन निर्वाचन क्षेत्र से 10वें लोकसभा में चुने गए; सदस्य, आधिकारिक भाषा सदस्य समिति, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सलाहकार समिति के तौर पर काम किया। 1990 में सदस्य, आधिकारिक भाषा समिति; परमाणु ऊर्जा विभाग के सलाहकार समिति के सदस्य,अंतरिक्ष, इलेक्ट्रॉनिक्स, महासागर विकास और विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सदस्य बने। 1989 में उज्जैन निर्वाचन क्षेत्र से 9वें लोकसभा के लिये चुने गए। 1980 में वह उज्जैन निर्वाचन क्षेत्र से 7वें लोकसभा के लिए चुने गए। श्रम मंत्रालय के लिए सलाहकार समिति के सदस्य, दहेज निषेध (संशोधन) विधेयक पर गठित समिति के सदस्य बनें।
  7. 1977 में सदस्य, मध्य प्रदेश विधान सभा सदस्य, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण समिति के तौर पर काम किया।
  8. 1977 में उन्हें मध्य प्रदेश विधानसभा में चुना गया था।
  9. 1972 में डॉ. सत्यनारायण जटिया ने राजनीति में प्रवेश किया। उन्हें एमआईएसए, (मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट) के तहत हिरासत में लिया गया था।

'सत्यनारायण जटिया का परिवार बना था चर्चा का विषय' (Dr Satyanarayan Jatiya Family)

दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने एक पोस्ट में एक बच्चे को अपना खास दोस्त बताया था। जो बच्ची मध्य प्रदेश की निकली जो सांसद और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सत्यनारायण जटिया की पोती है। पिछले दो वर्ष पूर्व जब डा.सत्यनारायण जटिया अपनी बहू, बेटे राजकुमार और छह माह की पोती रुद्राक्षी के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलने गए थे। तो इस दौरान उनकी एक फोटो वायरल हुई थी। जिसमें पीएम मोदी बच्चे को गोद में लेकर दुलार रहे थे। पीएम मोदी ने सत्यनारायण जटिया की पोती के साथ तस्वीर इंस्टाग्राम पर शेयर की। जिसमें उन्होंने लिखा था कि मेरा स्पेशल दोस्त हमसे मिलने लोकसभा पहुंचा।


इतने बड़े ओहदे पर पहुंचने के बाद भी आज भी अपनी पहचान श्रमिक नेता के रूप में ही मानते हैं। सत्यनारायण जटिया मजदूरों की समस्याओं को लेकर हमेशा जुझते रहते हैं। जब भी कोई मजदूर अपनी समस्या लेकर जाता है तो वे खुद उसका निदान करते हैं।



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