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बिहार विधानसभा चुनावः अगले साल जनवरी-फरवरी तक टाले जाने की उम्मीद

वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अयोध्या में जय सियाराम व सियावर रामचंद्र की जय में बिहार चुनाव की अनुगूँज सुनी जा सकती है। समूचा राम मंदिर निर्माण आंदोलन विहिप, बजरंग दल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भारतीय जनता पार्टी ने श्रीराम, जय श्रीराम के नारे के तहत लड़ा। पहली बार किसी भाजपा नेता ने मंच से सीता मइया को याद किया है।

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Published on: 7 Aug 2020 1:54 PM GMT
बिहार विधानसभा चुनावः अगले साल जनवरी-फरवरी तक टाले जाने की उम्मीद
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बिहार विधानसभा चुनावः अगले साल जनवरी-फरवरी तक टाले जाने की उम्मीद

योगेश मिश्र

नई दिल्ली । बिहार चुनाव की तारीख़ कोरोना की वैक्सीन पर निर्भर करती है। जिस तरह पूरी दुनिया में कोरोना वैक्सीन पर काम चल रहा है। कोरोना की वैक्सीन के बाज़ार में आने के जो लक्षण दिख रहे हैं उसके आधार पर कहा जा सकता है कि दो तीन महीने से पहले वैक्सीन के आने की संभावना नहीं देखी जानी चाहिए । नवंबर के अंतिम सप्ताह में बिहार विधानसभा का कार्यकाल ख़त्म हो रहा है।

टलेंगे चुनाव

नवंबर तक वैक्सीन के आने की उम्मीद भले बनती हो पर नवंबर में चुनाव के लिए अधिसूचना सितंबर में जारी हो जानी चाहिए । सितंबर तक वैक्सीन आने की कोई संभावना नहीं दिखती है। बिहार विधानसभा चुनाव अगले साल जनवरी फ़रवरी तक टाले जाने की उम्मीद की जानी चाहिए ।

पिछले यानी 2015 के विधानसभा चुनाव की घोषणा 16 सितंबर को हुई थी। चुनाव 12 अक्टूबर से शुरू हुए थे और पाँच नवंबर को ख़त्म हो गये थे।नीतीश कुमार सरकार ने 29 नवंबर से काम काज शुरू किया था। इस लिहाज़ से देखें तो बिहार चुनाव की घोषणा में तक़रीबन केवल एक महीने का समय बचा है। पर कहीं कोई तैयारी बिहार से लेकर निर्वाचन आयोग तक में नहीं दिख रही है। कोई हलचल नहीं है। मतदाता सूची तक को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है।

इसलिए है जरूरी

चुनाव टालना इसलिए भी ज़रूर है क्योंकि अगर मतदान कराया गया तो सोशल डिस्टेंसिंग की हवा निकल जायेगी। यही नहीं, चुनाव कराने का फ़ैसला लिया गया तो कोरोना के संक्रमण को फैलने से नहीं रोका जा सकेगा । ऐसे में बिहार के चिकित्सा व्यवस्था की पोल खुलने लगेगी। हालाँकि अभी भी बिहार की हालत कोरोना के मामले में अच्छी नहीं है। पर चुनाव के दौरान इसका सीधा असर वोटों पर पड़ेगा।

बिहार विधानसभा चुनावः अगले साल जनवरी-फरवरी तक टाले जाने की उम्मीद

यह ज़रूर है कि अभी तक यह फ़ैसला नहीं किया जा सका है नीतीश कुमार का कार्यकाल समाप्त होने के बाद बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाया दिया जाये या फिर नीतीश कुमार को ही कार्यवाहक सरकार चलाने का मौक़ा दिया जाये।

सूत्र बताते हैं कि “यह फ़ैसला तो समय आने पर हालात को देखकर लिया जायेगा ।” पर इतना ज़रूर है कि कोरोना की वैक्सीन आये बिना बिहार में चुनाव न कराने का फ़ैसला अंतिम तौर पर हो गया है। वैसे बिहार अभी भीषण बाढ़ की चपेट में भी है।

जय सियाराम व सियावर रामचंद्र की जय की अनुगूंज

वैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अयोध्या में जय सियाराम व सियावर रामचंद्र की जय में बिहार चुनाव की अनुगूँज सुनी जा सकती है। समूचा राम मंदिर निर्माण आंदोलन विहिप, बजरंग दल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ व भारतीय जनता पार्टी ने श्रीराम, जय श्रीराम के नारे के तहत लड़ा। पहली बार किसी भाजपा नेता ने मंच से सीता मइया को याद किया है।

पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों पर एक नजर डालें तो विधानसभा की कुल 243 सीटों में राजग सरकार (132), जदयू (71), भाजपा (52), लोजपा (2), रालोसपा (2), हम (यू) (1), निर्दलीय (4), विपक्ष (109)- राजद (79), कांग्रेस (27), सीपीआई (एमएल) (3) और दो सीटें रिक्त थीं।

योगेश मिश्र की विशेष रिपोर्ट

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