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बिहार चुनाव: महागठबंधन में सीटों की जंग, राजद-कांग्रेस से नहीं मिल रही तरजीह
बिहार में चुनाव को लेकर आयोग का रुख स्पष्ट होने के बाद ज्यादा से ज्यादा सीटों की जंग शुरू हो गई है। खासकर विपक्षी महागठबंधन मैं शामिल छोटे दल ज्यादा से ज्यादा सीटों पर दावेदारी पेश कर रहे हैं।
पटना: बिहार में चुनाव को लेकर आयोग का रुख स्पष्ट होने के बाद ज्यादा से ज्यादा सीटों की जंग शुरू हो गई है। खासकर विपक्षी महागठबंधन मैं शामिल छोटे दल ज्यादा से ज्यादा सीटों पर दावेदारी पेश कर रहे हैं। महागठबंधन में सीटों को लेकर मची खींचतान के बीच राष्ट्रीय जनता दल व कांग्रेस की ओर से छोटे दलों को कोई खास महत्व नहीं दिया जा रहा है। महागठबंधन के इन दोनों प्रमुख दलों ने छोटे दलों को उनकी औकात बताने की रणनीति अपना रखी है। दूसरी और महागठबंधन में शामिल रालोसपा, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और भाकपा माले ज्यादा से ज्यादा सीटें पाने की कोशिश में जुटी हुई हैं।
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छोटे दलों में दिख रही घबराहट
विधानसभा चुनाव से पहले राजद और कांग्रेस के कड़े रुख को देखते हुए रालोसपा, वीआईपी और वामपंथी दलों के नेताओं में घबराहट दिख रही है। सीपीआई और सीपीएम नेताओं की राजद नेताओं से दो दौरों की बातचीत हो चुकी है। भाकपा माले के नेता भी राजद नेताओं से तीन बार बातचीत कर चुके हैं। इसके बावजूद अभी तक सीटों पर फंसा पेंच नहीं सुलझ सका है।
दरअसल सीपीआई और सीपीएम की ओर से 45 सीटों पर दावेदारी पेश की गई है और इसकी सूची भी राजद को सौंपी जा चुकी है। राजद इतनी ज्यादा सीटें वामदलों को देने के लिए तैयार नहीं है और इस बाबत दोनों दलों के नेताओं को बता दिया गया है।
वोट ट्रांसफर कराने की क्षमता नहीं
रालोसपा के मुखिया उपेंद्र कुशवाहा की ओर से 39 सीटों पर दावेदारी पेश की गई है जबकि वीआईपी के मुखिया मुकेश साहनी भी 25 सीटें मांग रहे हैं। उधर भाकपा माले ने भी राजद की उलझनें बढ़ा दी हैं और वह 50 सीटों पर दावेदारी कर रही है।
Bihar elections (file photo)
जानकारों का कहना है कि राजद की ओर से कुशवाहा और मुकेश साहनी की पार्टियों को इतनी ज्यादा सीटें मिलने की संभावना नहीं दिख रही है। राजद नेतृत्व का मानना है कि ये दल अपनी जाति से जुड़े लोगों का वोट ट्रांसफर कराने में सक्षम नजर नहीं आ रहे हैं।
लोकसभा चुनाव का दिया तर्क
इसके लिए पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव का तर्क दिया जा रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में रालोसपा ने 5 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उपेंद्र कुशवाहा खुद दो सीटों पर चुनाव मैदान में उतरे थे मगर दोनों सीटों पर उन्हें हार मिली। इसी तरह मुकेश साहनी की पार्टी वीआईपी को 3 सीटें दी गई थी मगर उससे भी राजद को कोई फायदा नहीं हुआ।
ज्यादा सीटें मांगने से राजद नाराज
विधानसभा चुनाव में छोटी पार्टियों की ओर से ज्यादा सीटों की डिमांड रखे जाने से राजद का शीर्ष नेतृत्व नाराज बताया जा रहा है। राजद नेतृत्व का मानना है कि छोटे दलों को अपनी ताकत के हिसाब से ही सीटें मांगनी चाहिए। राजद नेतृत्व की ओर से सीट शेयरिंग के मामले में छोटे दलों को ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है।
जानकारों का कहना है कि सीट शेयरिंग के पूरे मामले पर लालू प्रसाद यादव की गहरी नजर है और उनके निर्देश पर ही छोटे दलों को ज्यादा महत्व नहीं दिया जा रहा है।
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तेजस्वी का नीतीश पर बड़ा हमला
उधर राजद नेता तेजस्वी यादव नीतीश कुमार पर बड़ा हमला करने में जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि चुनाव नजदीक आने पर नीतीश कुमार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग याद आ रहे हैं जबकि उनके शासनकाल के दौरान दलितों को कोई महत्व नहीं दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार के 15 साल के शासनकाल के दौरान बिहार में बेरोजगारों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में साढ़े चार लाख पद रिक्त पड़े हैं और उन पदों को भरने के लिए नीतीश सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि मौका मिलने पर हमारी सरकार इन पदों को जरूर भरेगी ताकि बेरोजगार युवाओं को मौका मिल सके।
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