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माधवराव सिंधिया राजनीति के धुरंधर, 9 बार लगातार जीते चुनाव, अटल को भी हराया
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माधवराव सिंधिया का आज जन्मदिन है। उनका जन्म आज ही के दिन यानी 10 मार्च 1945 को मुंबई में हुआ था।
नई दिल्ली: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता माधवराव सिंधिया का आज जन्मदिन है। उनका जन्म आज ही के दिन यानी 10 मार्च 1945 को मुंबई में हुआ था। माधवराव कांग्रेस से पहले जनसंघ में रह चुके हैं। उन्होंने मां विजयाराजे सिंधिया की उपस्थिति में 23 फरवरी 1970 को 101 रुपए सदस्यता शुल्क जमा करके जनसंघ की सदस्यता ली थी।
लगातार जीतते रहे चुनाव
अगले ही साल 1971 में माधवराव ने जनसंघ के टिकट पर गुना से लोकसभा का चुनाव जीता था। बाद में वे कांग्रेस में चले गए। वे लगातार 9 चुनाव जीते।उन्होंने भले ही अपना राजनीतिक करियर जनसंघ से शुरू किया, लेकिन लंबा समय कांग्रेस में बिताया। सिंधिया रेल राज्यमंत्री, नागरिक विमानन और पर्यटन मंत्री तथा मानव संसाधन विकास मंत्री भी रहे।
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1993 में माधवराव कांग्रेस से हुए अलग
1993 में जब मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार थी तब माधवराव सिंधिया ने पार्टी में उपेक्षित होकर कांग्रेस को अलविदा कह दिया था और अपनी अलग पार्टी मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस बनाई थी। हालांकि बाद में वे कांग्रेस में वापस लौट गए थे।
अटल बिहारी वाजपेयी को चुनाव में दी मात
1984 का चुनाव जिसमें माधव राव सिंधिया ने उस नेता को हराया जिसे भारतीय राजनीति का अजातशत्रु कहा जाता है। अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर ग्वालियर से चुनाव लड़ रहे थे। माधव राव सिंधिया को कांग्रेस ने अंतिम क्षणों में अपना टिकट थमाकर मैदान में उतार दिया। उन्होंने बहुत बड़े अंतर से अटल बिहारी वाजपेयी को मात दी।
एक प्लेन क्रैश से बचे तो दूसरे प्लेन क्रैश में गई जान
संजय गांधी और माधव राव सिंधिया मित्र थे। कहा जाता है कि संजय को फ्लाइंग का शौक था। मई 1980 इंदिरा गांधी के करीबी रहे धीरेंद्र ब्रह्मचारी ने संजय के लिए छोटा विमान विदेश से मंगाया। 20 जून 1980 को क्लब के इंस्ट्रक्टर ने विमान को उड़ाकर देखा। इसके बाद 21 जून को संजय ने पहली बार इस प्लेन का ट्रायल लिया।
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माधवराव सिंधिया से संजय गांधी ने कहा कल उनको प्लेन से दिल्ली की सैर करना है। फिर 23 जून की सुबह इस एयरक्राफ्ट से उड़ान भरना तय हुआ, लेकिन माधवराव नहीं पहुंच पाए। संजय ने इंतजार के बाद उड़ान भरी और थोड़ी ही देर बाद उनका प्लेन क्रैश हो गया। किस्मत ने उस घटना में माधव राव सिंधिया का साथ दिया था लेकिन तकरीबन इक्कीस साल बाद एक हवाई यात्रा ही उनकी अंतिम यात्रा बनी। 30 सितंबर सन् 2001 में हुए विमान हादसे में उनका निधन हो गया।