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शिवराज को राष्ट्रीय फलक पर मिल सकती है जगह, वसुंधरा जा सकती हैं हाशिये पर

हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के तीन राज्यों में सत्ता गंवाने के बाद राजनीतिक हलकों में एक सवाल बहुत तेजी से उठ रहा है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के क्षत्रपों शिवराज, वसुंधरा और रमन का अब क्या भविष्य है। इन्हें इनके राज्य में ही रखा जाएगा या फिर इन्हें राज्य से निकालकर लोकसभा का टिकट देकर दिल्ली का रास्ता दिखाया जाएगा।

Anoop Ojha
Published on: 26 Dec 2018 5:51 AM GMT
शिवराज को राष्ट्रीय फलक पर मिल सकती है जगह, वसुंधरा जा सकती हैं हाशिये पर
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रामकृष्ण वाजपेयी

हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के तीन राज्यों में सत्ता गंवाने के बाद राजनीतिक हलकों में एक सवाल बहुत तेजी से उठ रहा है कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के क्षत्रपों शिवराज, वसुंधरा और रमन का अब क्या भविष्य है। इन्हें इनके राज्य में ही रखा जाएगा या फिर इन्हें राज्य से निकालकर लोकसभा का टिकट देकर दिल्ली का रास्ता दिखाया जाएगा। और राज्य की कमान किसी नये चेहरे को दी जाएगी।

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वैसे फिलहाल इस समय भाजपा नेतृत्व यानी अमित शाह और कुछ वरिष्ठ नेता बहुत तेजी से मिशन 2019 के लिए अपने कुनबे यानी एनडीए को संजोने या धार देने में जुटे हैं। सहयोगी दलों के रुठने मनाने के खेल पूरा होते ही संगठन का आपरेशन शुरू हो जाना तय है।

पिछले कुछ समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी सांसदों की क्लास लेते आ रहे हैं। कभी संसद में गैर हाजिरी तो कभी राष्ट्रपति चुनाव में सांसदों के वोट अमान्य हो जाने और अब तीन राज्यों में पराजय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा के अपने सांसदों को अगले लोकसभा चुनाव में उनका रिपोर्ट कार्ड देखने की चेतावनी दे चुके हैं। यानी अगले लोकसभा चुनाव में उनका टिकट कट सकता है। जब निवर्तमान हो रहे सांसदों का टिकट कटेगा तो कई नए लोगों को टिकट मिलेगा। कुछ ऐसे भी सांसद हैं जो स्वेच्छा से चुनाव लड़ने से मना कर चुके हैं इनमें सुषमा स्वराज और उमा भारती के नाम प्रमुख हैं। इसके बाद यह तो तय है कि कुछ नए चेहरे टिकट पाएंगे। जिसमें इन राज्यों के छत्रपों को भी आजमा कर इसका लाभ लिया जा सकता है।

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भाजपा के मार्ग दर्शक मंडल में आसीन लालकृष्ण आडवाणी के प्रिय रहे शिवराज सिंह मध्य प्रदेश में भाजपा की पराजय के बाद भी लगातार चर्चा में हैं। पहली इस बात के लिए सत्ता विरोधी लहर के बावजूद शिवराज ने मध्य प्रदेश में कांटे की टक्कर दी। और अंतिम क्षणों तक कांग्रेस सत्ता पाने के लिए भाजपा से जूझती रही। दूसरी उनकी आभार यात्रा। जो वह अपनी आशीर्वाद यात्रा की तर्ज पर निकालने जा रहे हैं। देखने की बात यह है कि उनकी आभार यात्रा को आलाकमान की हरी झंडी मिलती है या नहीं लेकिन शिवराज की लोकप्रियता को भुनाने के लिए भाजपा नेतृत्व का क्या प्लान है। चर्चा यह भी है कि सुषमा स्वराज के न लड़ने से खाली हो रही विदिशा सीट से उन्हें लोकसभा भेजा जा सकता है। और मध्य प्रदेश में नरेंद्र सिंह को भाजपा अध्यक्ष बनाकर भेजा जा सकता है। नरेंद्र सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष अमित शाह के पसंदीदा बताए जाते हैं। शिवराज सिंह का इस्तेमाल पिछड़े वर्ग के वोटरों को लुभाने के लिए भी किया जा सकता है।

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उधर छत्तीसगढ़ में रमन सिंह स्मरण यात्रा निकालने की तैयारी कर रहे हैं 26 दिसंबर को इस संबंध में वह बैठक करने वाले हैं। यह स्मरण यात्रा कांग्रेस को निशाना बनाते हुए आयोजित की जा रही है। जिसमें कांग्रेस को घोषणापत्र को आगे रखकर रमन सवाल पूछेंगे कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में किये गए वायदे कब तक पूरे होंगे। उनकी इस रणनीति चाल को संभवतः केंद्रीय नेतृत्व भी नहीं काटना चाहेगा। दूसरी ओर राष्ट्रीय फलक पर रमन सिंह का अभी वह कद भी नहीं है कि आलाकमान उन्हें दिल्ली लाकर बड़ी जिम्मेदारी देना चाहे।

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अलबत्ता बात राजस्थान की करें तो यहां वसुंधरा राजे सिंधिया का कद घटाया जा सकता है। क्योंकि अमित शाह से उनकी अनबन की खटास अभी कम नहीं हुई है। उल्टे राजस्थान की पराजय ने इसे बढ़ाने का ही काम किया है। क्योंकि टिकट बंटवारे के समय महारानी वसुंधरा राजे ने केंद्रीय नेतृत्व की एक न सुनी थी और अपनी मनमर्जी चलाई थी जिस पर यह कहा गया था कि अमित शाह को चुनाव के नतीजे के बाद अपने ढंग से चीजों को देखने की छूट दी गई है। ऐसे में वसुंधरा राजे सिंधिया को दिल्ली भी बुलाया जा सकता है और राज्य की राजनीति में किनारे भी लगाया जा सकता है। और राजस्थान की कमान गजेंद्र सिंह शेखावत को सौंपी जा सकती है।

Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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