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आसान नहीं है राजनीति की फिसलती राह पर अभिनेताओं का टिक पाना
विधानसभा चुनाव में भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष वानती श्रीनिवासन ने कमल हासन को हराकर अपनी जीत दर्ज कर ली।
नई दिल्ली: तमिलनाडु( Tamilnadu) विधानसभा चुनावों में मक्कल निधि मय्यम (MNM) पार्टी के अध्यक्ष कमल हासन (Kamal Hassan)को कोयंबटूर साउथ सीट से हार का सामना करने के बाद इस बात का अहसास हो गया होगा कि जो लोग उन्हें फिल्मों में पसंद करते हैं, वही लोग उन्हें राजनीति में भी सेवा करने का अवसर दें।
इस विधानसभा चुनाव में भाजपा महिला मोर्चा अध्यक्ष वानती श्रीनिवासन ने कमल हासन को हराकर अपनी जीत दर्ज कर ली। हालांकि विधान सभा चुनाव में कोयंबटूर साउथ सीट पर लोगों ने कमल हासन का स्वागत और रिस्पॉन्स अच्छा दिया था, लेकिन वे केवल वहां अपने एक्टर वाली छवि ही छोड़ सके। इसके पहले उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव में भी असफल हो चुकी है।
फिल्मों से राजनीति में आने का ट्रेंड काफी पुराना है। राजनीति की इस राह पर कुछ असफल हुए तो कुछ सफल हुए। अब हाल यह है कि कमल हासन की पार्टी से पदाधिकारियों का मोह लगातार भंग हो रहा है और पार्टी पूरी तरह से खात्मे की तरफ बढ़ रही है। इससे पहले फिल्मों के सदाबहार नेता देवानंद और तमिल और तेलगू फिल्मों के नामीगिरामी अभिनेता एमजी आर और एनटीरामाराव,चिरंजीवी और उनके भाई पवन कल्याण ने भी राजनीतिक दल बनाकर ही अपनी सियासी शुरू की थी।
फिल्म और राजनीति का संबंध पुराना
इसी तरह हिंदी फिल्मों में देवानंद का राजनीति से बहुत जल्दी मोहभंग हुआ तो दक्षिण भारत में एमजीआर और एनटीआर ने राजनीति में बुलंदियों को छुआ। १९७७ में जब आपालकाल के बाद चुनाव हुए तो कांग्रेस से बदला लेने के लिए एकजुट होकर सारे फिल्म स्टार्स ने जनता पार्टी के उम्मीदवारों का प्रचार किया, लेकिन जनता पार्टी की सरकार बनने पर निराशा हाथ लगी। १९७९ में जनता पार्टी सरकार के पतन के बाद सारे फिल्म स्टार्स ने मिलकर राजनीतिक दल के गठन का निर्णय लिया।
तब १४ सितंबर १९७९ को मुंबई के ताजहोटल में देवानंद की अध्यक्षता में नेशनल पार्टी आफ इंडिया का गठन किया गया। उस समय इस पार्टी में देवानंद के भाई विजय आंनद, वी.शांताराम, जीपी सिप्पी,राम वोहरा, आईएस जौहर, रामानंद सागर,आत्माराम, शत्रुघ्न सिन्हा, धर्मेन्द्र, हेमामालिनी, संजीव कुमार सहित कई हीरो-हीरोईन इस पार्टी का हिस्सा बने थे। जब इस पार्टी की मुंबई के शिवाजी पार्क में पहली रैली हुई तो उसमें उमड़ी भीड़ ने उस समय कांग्रेस और जनता पार्टी की चिंता बढ़ा दी। दोनों पार्टियों की नसीहत और हिदायत के बाद नेशनल पार्टी आफ इंडिया का वजूद ही खत्म हो गया।
सितारों का मोहभंग और गिरी गाज
जानकारों की माने तो उस समय नेशनल पार्टी आफ इंडिया से जुड़े आईएएस जौहर और जनता पार्टी के कद्दावर नेता रहे राजनारायण के बीच काफी टकराव हुआ। जौहर ने जहां उस समय राजनारायण के खिलाफ चुनाव लडऩे का एलान किया तो राजनारायण ने उनके हांथ-पांव तुड़वाने की धमकी दे दी थी। हालांकि एक लंबे अर्से तक फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों का झुकाव शुरू में कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी की तरफ ही था। १९७५ में आपातकाल के बाद कांग्रेस और फ़िल्मी सितारों के रिश्ते में गहरी खाई पैदा हो गई। सरकार ने सख्ती दिखाई तो फिल्म स्टार्स की चूल हिल गई। सरकार की सख्ती के आगे यह लोग नाचने गाने को मजबूर हुए। अभिनेता और गायक किशोर कुमार ने थोड़ा विरोध जताया तो उनके यहां इनकमटैक्स के छापे पडऩे लगे और रेडियों पर उनके गाने बजने बंद हो गए।