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... रहबरी का सवाल है, बसपा की सियासी मात-दलीय टूट का सिलसिला

ठाकुर जयवीर सिंह ने भी शनिवार को बसपा का दामन छोड़ दिया। मायावती को लगातार सियासी अखाड़े में पटखनी मिल रही है। इससे मायावती की मुश्किलें बढती जा रही हैं।

tiwarishalini
Published on: 30 July 2017 10:00 AM GMT
... रहबरी का सवाल है, बसपा की सियासी मात-दलीय टूट का सिलसिला
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राजकुमार उपाध्याय

"तू इधर उधर की न बात कर ये बता कि क़ाफ़िला क्यूँ लुटा ,

मुझे रहज़नों (लुटेरों) से गिला नहीं तिरी रहबरी (नेतृत्व) का सवाल है।"

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के एक पूर्व सांसद इन्हीं पंक्तियों से पार्टी के अंदर चल रहे उठापटक को उजागर करते हुए कहते हैं कि बसपा सुप्रीमो मायावती के किचेन कैबिनेट के मेंबर रहे स्वामी प्रसाद मौर्या से लेकर नसीमुद्दीन तक का मायावती पर 'वार' जारी है। शनिवार को पूर्व मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह ने भी पार्टी का दामन छोड़ दिया। मायावती को लगातार सियासी अखाड़े में पटखनी मिल रही है। पार्टी के अंदर टूट और विद्रोह के सिलसिले ने अंदरखाने नेताओं को हिला कर रख दिया है।

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उनका कहना है कि वर्तमान में ​पार्टी में जितने कोआॅर्डिनेटर हैं, उनमें से अधिकांश की खुद की जमीन नहीं है। ज्यादातर नेता अपनी बात ही बसपा मुखिया के सामने नहीं रख पाते हैं। ऐसे लोगों को ही अहम पदों पर बिठाया गया है, जो किसी घटना पर कोई सवाल करने की हैसियत नहीं रखते हैं। पार्टी की आंतरिक बैठकों में भी उन्हें जो लिखित कागज दिया जाता है, वही पढ़ देते हैं। यही कारण है कि लगातार पार्टी की बैठकों से भी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों का मोह भंग होता जा रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्या, नसीमुददीन​ सिददीकी समेत दर्जन भर से ज्यादा ​वरिष्ठ नेता मायावती पर पैसे लेने का आरोप लगा चुके हैं। इसका पार्टी के वोट बैंक पर बुरा असर पड़ा है। इसलिए अब मायावती की रहबरी पर ही पार्टी के अंदरखाने में सवाल उठ रहे हैं।

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दरअसल लोकसभा 2014 में बसपा इकाई का आंकड़ा तक नहीं छू पाई। बीते यूपी चुनाव के समय से ही पार्टी में टूट और विद्रोह का सिलसिला जारी है। विधानसभा चुनाव में पार्टी का बेस दलित वोट बैंक भी दरक गया। बसपा विधानसभा चुनाव 2017 में 19 सीटों तक सिमट कर रह गई। उधर भाजपा लगातार दलित कार्ड खेल रही है। चुनावों में लगातार मात खा रही बसपा के कार्यकर्ता, पदाधिकारी लगातार छिटक रहे हैं।

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