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छत्तीसगढ़: सीएम को लेकर ताम्रध्वज साहू और भूपेश में काटें का मुकाबला
छत्तीसगढ़ में चुनावी लड़ाई में जीत पाने के बाद अब कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर संघर्ष जारी है। अब तक मिले रुझानों के अनुसार भूपेश और ताम्रध्वज साहू में काटें का मुकाबला बताया जा रहा है।
छत्तीसगढ़:छत्तीसगढ़ में चुनावी लड़ाई में जीत पाने के बाद अब कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर संघर्ष जारी है। सीएम की रेस में सबसे आगे ताम्रध्वज साहू का नाम बताया जा रहा है। जबकि उनके अलावा प्रदेश प्रमुख भूपेश बघेल, नेता प्रतिपक्ष रहे टीएस सिंहदेव भी मुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदार माने जा रहे हैं। अब तक मिले रुझानों के अनुसार भूपेश और ताम्रध्वज साहू में काटें का मुकाबला है।
मुख्यमंत्री बनने की इस रेस में साहू सबसे आगे चल रहे हैं। एक नजर उनके अब तक के सफर पर-
साहू का राजनीतिक सफरनामा
6 अगस्त 1949 को छत्तीसगढ़ के पटोरा जिले में मोहन लाल साहू और जियान बाई साहू के घर ताम्रध्वज का जन्म हुआ था। उनके तीन बेटे और एक बेटी हैं। पेशे से किसान ताम्रध्वज ने अपनी सियासी पारी की शुरुआत मध्यप्रदेश विधानसभा में 1998-2000 के बीच की थी।
छत्तीसगढ़ के गठन के बाद 2003 और 2008 के चुनाव जीतकर साहू छत्तीसगढ़ विधानसभा सदस्य बने। वह 2000-2003 तक छत्तीसगढ़ सरकार में मंत्री रहे। 2013 के चुनाव में वह अपनी बेमेतरा सीट से भाजपा के अवधेश चंदेल से हार गए। इसके बाद के लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के इकलौते विजयी प्रत्याशी बने। साल 2014 में मोदी लहर के बीच वह लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ की दुर्ग सीट से जीत दर्ज कर सांसद बने। उन्होंने भाजपा की वर्तमान राज्यसभा सांसद सरोज पांडेय को हराया था।
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इस बार भी दुर्ग से बने विधायक
दुर्ग विधानसभा सीट पर ताम्रध्वज साहू ने भाजपा के जोगेश्वर साहू को 27,112 वोटों से हराया। शांत और सरल स्वभाव के माने जाने वाले साहू का विवादों से दूर-दूर तक नाता नहीं रहा। वह राहुल गांधी के करीबी माने जाते है। राहुल गांधी ने ही पहले उन्हें छत्तीसगढ़ ओबीसी मोर्चे का अध्यक्ष और फिर केंद्रीय कार्य समिति में शामिल किया था।
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साहू के जरिये पूरे समाज को साधने की तैयारी!
साहू के जरिये कांग्रेस की कोशिश 16% आबादी वाले साहू समाज को साधने की है। पार्टी के मुताबिक यह तबका 2019 के चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। इस समाज के प्रभाव को देखते हुए ही भाजपा ने भी विधानसभा चुनाव में 14 साहू उम्मीदवार उतारे थे मगर इनमें से 13 हार गए। कांग्रेस ने आठ साहू उम्मीदवारों को मौका दिया था, ताम्रध्वज साहू समेत पांच ने जीत हासिल की।
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