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एक्शन में योगी: अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट के कामों की जांच, 45 दिन में मांगी रिपोर्ट

सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूर्व सीएम अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट 'गोमती रिवर फ्रंट 'के कामों की जांच के आदेश दिए हैं। मुख्य सचिव एक अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच समिति गठित करेंगे।

tiwarishalini
Published on: 1 April 2017 2:55 PM GMT
एक्शन में योगी: अखिलेश के ड्रीम प्रोजेक्ट गोमती रिवर फ्रंट के कामों की जांच, 45 दिन में मांगी रिपोर्ट
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लखनऊ: सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूर्व सीएम अखिलेश यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट 'गोमती रिवर फ्रंट 'के कामों की जांच के आदेश दिए हैं। मुख्य सचिव एक अवकाश प्राप्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच समिति गठित करेंगे। जो 45 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। सीएम ने शनिवार (01 अप्रैल) को शास्त्री भवन में आयोजित 'गोमती नदी चैनलाइजेशन परियोजना' की समीक्षा बैठक में यह आदेश दिए। उन्होंने नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना और सिंचाई मंत्री धर्मपाल सिंह को गोमती रिवर फ्रंट के कार्यों की लगातार मॉनिटरिंग के भी निर्देश दिए हैं।

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बैठक के दौरान सीएम को अवगत कराया गया कि इस परियोजना के तहत आवंटित धनराशि 1,513 करोड़ रुपए का 95 प्रतिशत अर्थात 1,435 करोड़ रुपए अब तक खर्च किए जा चुके हैं। जबकि इस परियोजना का 60 प्रतिशत कार्य भी अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इस पर असंतोष जताते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इस परियोजनाओं में देर क्यों हुई, पैसा कहां खर्च हुआ समिति इसकी जांच करेगी।

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बैठक में अधिकारियों ने परियोजना की पुनरीक्षित लागत 2,448 करोड़ रुपए प्रस्तुत की। इस पर सीएम ने परियोजना के बाकी कार्यों की आवश्यकता पर पुनःविचार करने को कहा। उन्होंने कहा कि जिन कामों को गैर जरूरी समझा जाए, उन्हें हटा दिया जाए और इस परियोजना को जल्दी पूरा किया जाए।

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और क्या कहा सीएम योगी आदित्यनाथ ने ?

सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोमती नदी अत्यधिक प्रदूषण से ग्रस्त है। परियोजना से पहले जल प्रदूषण मुक्त करने पर ध्यान दिया जाता तो ज्यादा अच्छा होता। नालों के डायवर्जन के साथ प्रदूषण से मुक्ति पाने के लिए एसटीपी की स्थापना के निर्देश दिए। पीलीभीत, लखीमपुर खीरी जिलों में स्थापित विभिन्न मिलों से आने वाले उत्प्रवाह का निस्तारण करें।

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सीएम ने कहा कि जब तक गोमती का पानी स्वच्छ नहीं हो जाता, तब तक इसके सौन्दर्यीकरण का कोई मतलब नहीं है। गोमती नदी के प्रदूषण का यह स्तर है कि रिवर फ्रंट पर खड़ा नहीं हुआ जा सकता। ऐसे प्रदूषित जल में फौव्वारों को लगाने से कोई फायदा नहीं।

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सीएम ने कहा कि गोमती नदी जौनपुर में गंगा से मिल जाती है। इसलिए इस प्रोजेक्ट को ‘नमामि गंगे’ प्रोजेक्ट से जोड़ा जाए। ट्रीटमेंट प्लांट स्थापना के लिए ‘नमामि गंगे’ परियोजना के तहत केंद्र से सहायता प्राप्त करें। नदी के जल में अत्यधिक प्रदूषण के कारण जलचरों का जीवन संकट में पड़ गया है। इसलिए गोमती के जल को जल्द से जल्द प्रदूषण रहित बनाया जाना जरूरी है।

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