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राफेल डील: खुलासे के बाद हमलावर कांग्रेस, बोली- सामने आ गयी सच्चाई
फ्रांस के पब्लिकेशन मीडियापार्ट ने दावा किया है कि 2016 में जब भारत-फ्रांस के बीच राफेल लड़ाकू विमान को लेकर समझौता हुआ।
नई दिल्ली: राफेल जेट को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस के महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए कहा, "60 हजार करोड़ रुपए के राफेल रक्षा सौदे से जुड़े मामले में सच्चाई सामने आ गई है. ये हम नहीं फ्रांस की एक एजेंसी ने खुलासा किया है।" इसके अलावा कांग्रेस ने प्रश्न भी पूछे हैं।
फ्रांस के पब्लिकेशन मीडियापार्ट ने दावा किया है कि 2016 में जब भारत-फ्रांस के बीच राफेल लड़ाकू विमान को लेकर समझौता हुआ, उसके बाद दसॉल्ट ने भारत में एक बिचौलिये को 1.1 मिलियन यूरो राशि दी। इस बात का खुलासा तब हुआ जब फ्रांस की एंटी करप्शन एजेंसी ने दसॉल्ट के खातों का ऑडिट किया।
प्रेस कांफ्रेस में बोलें रणदीप सुरजेवाला
प्रेस कांग्रेस में रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "60 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के देश के सबसे बड़े रक्षा सौदे में कमीशन खोरी, बिचौलियों की मौजूदगी और पैसे के लेनदेन ने एक बार फिर राफेल सौदे की परतें खोल दी हैं।" उन्होंने ने आगे कहा, "कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी जी की बात आखिर सच साबित हुई। "ना खाऊंगा ना खाने दूंगा" की दुहाई देने वाली मोदी सरकार में अब कमीशन खोरी और बिचौलियों की मौजूदगी सामने आ गई है।"
उन्होंने कहा कि यह बात हम नहीं कह रहे हैं बल्कि इस बात का खुलासा फ्रांस की एक न्यूज़ एजेंसी, न्यूज़ पोर्टल ने फ्रांस की एंटी करप्शन एजेंसी के माध्यम से किया है। अब स्पष्ट है कि 60 हज़ार करोड रुपए से अधिक के सबसे बड़े रक्षा सौदे में; सरकारी खजाने को नुकसान, राष्ट्रीय हितों से खिलवाड़, क्रोनी कैपिटलिज्म की संस्कृति, कमीशन खोरी और बिचौलियों की मौजूदगी की चमत्कारी गाथा अब देश के सामने है।
कांग्रेस ने पीएम पर साधा निशाना
पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए रणदीप सुरजेवाल ने कहा, "10 अप्रैल 2015 को नरेंद्र मोदी द्वारा फ्रांस, पेरिस के अंदर 60 हज़ार करोड़ रुपए के 36 राफेल जहाज खरीदने की घोषणा की गई। ना कोई टेंडर, खरीद प्रक्रिया और ना ही डिफेंस प्रोक्योरमेंट प्रोसीजर, बस गए और सबसे बड़े रक्षा सौदे की घोषणा कर आए। 23 सितंबर 2016 को मोदी सरकार ने दिल्ली में गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट, 36 राफेल जहाज- 8.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर या लगभग 60 हज़ार करोड़ रूपए में खरीदने का करार फ्रांस की सरकार से कर लिया"
एंटी करप्शन एजेंसी का उठाया मुद्दा
डसॉल्ट कंपनी पर सुरजेवाला ने कहा, "फ्रांस की 'एंटी करप्शन एजेंसी' (AFA) ने जब 'डसॉल्ट कंपनी' जो राफेल के फाइटर एयरक्राफ्ट बनाती है, उसका ऑडिट किया तो उसमें पाया कि 23 सितम्बर 2016 के चंद महीनों के अन्दर राफेल ने 1.1 मिलियन यूरो एक मिडिल मैन को दिए थे।"
एजेंसी ने 'दसॉल्ट' से पूछे सवाल
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि फ्रांस की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी ने 'दसॉल्ट' से सवाल पूछे:
- आप खुद जहाज बना सकते हो तो उसका मॉडल बनाने के लिए एक मॉडल पर 20 हज़ार यूरो का कॉन्ट्रैक्ट हिंदुस्तान की कंपनी को देने की क्या जरूरत थी?
- अगर यह मॉडल बनाने के पैसे थे तो आपने अपनी बैलेंस शीट में इसे 'गिफ्ट टू क्लाइंट' क्यों लिखा हुआ है?
- वह मॉडल गए कहां? क्या वह कभी बनाए गए या कहीं दिखाए गए? ना वो कभी दिखा पाए ना बनाने का कोई सबूत दे पाए
- 'दसॉल्ट' द्वारा 1.1 मिलियन यूरो की राशि जो अपनी बैलेंस शीट में 'गिफ्ट टू क्लाइंट' दिखाई गई है, क्या यह वास्तव में बिचौलिए को दिया गया कमीशन नहीं है?
- क्या हिंदुस्तान में रक्षा सौदों में बिचौलियों और बिचौलियों को दिया जाने वाला कमीशन अब मोदी सरकार द्वारा मंजूरशुदा है? ख़ासतौर से जो गवर्नमेंट टू गवर्नमेंट कॉन्ट्रैक्ट हैं, अब उसमें बिचौलिए रखकर क्या कमीशन देना परमिटेड है?
- क्या इस कमीशन खोरी और बिचौलिए दलालों की मौजूदगी से पूरे राफेल सौदे पर प्रश्नचिन्ह नहीं खड़ा हो गया है? क्या ऐसे में 'दसॉल्ट' कंपनी पर जुर्माना लगाना, FIR करना और बैन करना अनिवार्य नहीं है?
- क्या अब देश के सबसे बड़े रक्षा सौदे में कमीशन खोरी, बिचौलियों की मौजूदगी और रिश्वतखोरी के इल्जामात की पूरी निष्पक्ष जांच नहीं होनी चाहिए?
- राफेल में रिश्वत के इस खुलासे के बाद क्या प्रधानमंत्री अब देश को जवाब देंगे?