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इस युवा नेता ने थामा बीजेपी का दामन, सपा-कांग्रेस गठबंधन से कट सकता था टिकट

कांग्रेस सपा गठबंधन की अटकलों में उनका इस विधानसभा से टिकट भी काटना तय था। बिठूर विधानसभा से मुनीन्द्र शुक्ला को सपा से पहले ही टिकट फाइनल हो चुका है।

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Published on: 16 Jan 2017 4:58 PM IST
इस युवा नेता ने थामा बीजेपी का दामन, सपा-कांग्रेस गठबंधन से कट सकता था टिकट
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इस युवा नेता ने थामा बीजेपी का दामन, सपा-कांग्रेस गठबंधन से कट सकता था टिकट

कानपुरः कांग्रेस नगर ग्रामीण जिला अध्यक्ष अभिजीत सिंह सांगा राहुल गांधी का हाथ छोड़ कर अब बीजेपी का कमल खिलाएंगे। अभिजीत सिंह सांगा भाजपा में शामिल हो गए है और उनका बिठूर विधानसभा से टिकट मिलना लगभग तय माना जा रहा है। बीते दस साल से वह कांग्रेस में रहकर जमीनी स्तर पर तैयारियां कर रहे थे। ग्रामीणों के बीच वह सबसे पसंदीदा नेताओ में से एक थे उनका कांग्रेस से चुनाव लड़ना तय था। लेकिन कांग्रेस सपा गठबंधन की अटकलों में उनका इस विधानसभा से टिकट भी काटना तय था। बिठूर विधानसभा से वर्तमान सपा विधायक मुनीन्द्र शुक्ला को सपा से पहले ही टिकट फाइनल हो चुका है। बता दें कि बिठूर विधानसभा सीट पर चुनाव तीसरे चरण में 19 फरवरी को होने हैं।

दो भागों में बटी है बिठूर विधानसभा सीट

2012 के परिसीमन में पहली बार बिठूर विधानसभा का अस्तित्व कानपुर नगर जिले में आया। इस सीट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि दो भागों में बटी है। उत्तर में आधा क्षेत्र बिठूर के आस-पास का और आधा भाग कल्याणपुर व गोविन्द नगर विधानसभा के दक्षिण बिधनू ब्लॉक के आस-पास का क्षेत्र आता है। जिसके चलते अक्सर इस विधानसभा के लोग विकास को लेकर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहते हैं। उत्तर वाले कहते हैं कि विधायक दक्षिण में विधायक निधि का अधिक रूपया खर्च करते हैं। तो वहीं दक्षिण वाले तो यहां तक आरोप लगा देते हैं कि विधायक मूल रूप से उत्तर के है इसलिए दक्षिण का ध्यान नहीं दे रहें है।

सवर्ण बाहुल्य सीट है बिठूर

बिठूर सीट चौबेपुर सीट का रूपांतरित है पर चौबेपुर सीट ओबीसी व दलित बाहुल्य मानी जाती थी। लेकिन बिठूर सीट का जो परिसीमन हुआ है उसके मुताबिक यह सीट सवर्ण बाहुल्य हो गई है। जिसके चलते विधायक के साथ द्वितीय रनर व तृतीय रनर भी सवर्ण रहा।

कटरी तय करती है जीत

इस सीट के दोनों भाग में सवर्ण के साथ ओबीसी व दलित भी पार्टियों के लिए बेस तैयार करते हैं। पर कटरी की लगभग 30 हजार आबादी ही जीत की मुहर लगाती है। कटरी क्षेत्र में गरीबी, अशिक्षा व गंदगी प्रमुख समस्याएं है।

2012 के विजेता- मुनीन्द्र शुक्ला (समाजवादी पार्टी)

प्राप्त मत - 61,081

रनर प्रत्याशी - डा. राम प्रकाश कुशवाहा (बहुजन समाज पार्टी)

प्राप्त मत 60,410

जीत का अन्तर - 571

कुल मतदाता - 3,33,109

पुरूष मतदाता - 1,87,385

महिला मतदाता - 1,45,706

ग्रामीणों के साथ मनाते है त्यौहार

2012 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़े अभिजीत सिंह सांगा तीसरे पायदान पर रहे थे। चुनाव हारने के बाद अभिजीत सिंह सांगा ने जमीनी स्तर पर अपनी तैयारियां शुरू कर दी थी। इस विधान सभा का हर एक गांव का बच्चा-बच्चा सांगा को जनता है। ग्रामीणों के बीच वह सबसे लोकप्रिय नेताओ में है। इस नेता की खास बात यह है कि साल में होने वाले त्यौहार यह अपने घर में नही बल्कि ग्रामीणों के साथ मिलकर मनाते है।

पांच साल की मेहनत पर फिर सकता था पानी

वर्तमान सपा विधायक मुनीन्द्र शुक्ल से अभिजीत सिंह सांगा से सीधे टक्कर थी। सपा ने अपनी लिस्ट में मुनीन्द्र शुक्ला का नाम बिठूर विधानसभा से फाइनल कर दिया था। जब सपा और कांग्रेस के गठबंधन की अटकले लगने लगी तो अभिजीत सिंह सांगा का टिकट कट सकता था। उनकी पांच साल की मेहनत पर पानी फिर सकता था। इस स्थिति में अभिजीत सिंह सांगा ने भाजपा का दामन थाम लिया और उनका भाजपा से बिठूर विधानसभा का टिकट मिलना तय माना जा रहा है।

क्या कहते हैं कांग्रेस जिला अध्यक्ष हरप्रकाश अग्निहोत्री?

अभिजीत सिंह सांगा को पार्टी छोड़ने से कुछ खास फर्क नहीं पड़ने वाला है। उन्होंने ने कहा कि अभी आप ने देखा होगा कि रीता बहुगुणा जोशी भी बीजेपी में शामिल हुई है उनकी क्या स्थिति है। यह सांप्रदायिक पार्टी है और कांग्रेस ऐसी ताकतों का हमेशा विरोध करती रही है और करती रहेगी। जब उनसे पूछा गया कि क्या सपा कांग्रेस गठबंधन की वजह से पार्टी छोड़ी है तो उन्होंने ने कहा कि ऐसा नहीं है। यदि हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व गठबंधन करता है तो हम उसी आधार पर अपनी रणनीति बना सकते है और सांप्रदायिक ताकतों को सत्ता से दूर कर सकते है। हम लोग कांग्रेसी है और खुद पर भरोसा कारते है।

सांगा से राहुल गांधी हुए थे खुश

राहुल गांधी की खाट सभा में अभिजीत सिंह सांगा ने अपनी ताकत पर बड़ी संख्या में युवा कार्यकर्ताओ की टोलिया उतार दी थी। यह भीड़ देखकर राहुल गांधी भी अभिजीत सिंह सांगा से बहुत खुश हुए थे।



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