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Kanta Kardam Biography: दलित महिलाओं की आवाज बन चुकी हैं कांता कर्दम, आक्रमक दलित नेता के तौर पर कायम की पहचान

Famous Dalit Neta Kanta Kardam Wikipedia: कांता कर्दम फिलहाल भाजपा की राज्यसभा सांसद हैं। वह भारतीय जनता पार्टी की सदस्य हैं। राज्यसभा के लिए पार्टी से टिकट मिलने से पहले कांता कर्दम की पहचान राष्ट्रीय स्तर नहीं थी

Jyotsna Singh
Written By Jyotsna Singh
Published on: 4 Feb 2025 5:54 PM IST
Famous Dalit Neta Kanta Kardam Biography Wikipedia in Hindi
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Famous Dalit Neta Kanta Kardam Biography Wikipedia in Hindi 

Famous Dalit Neta Kanta Kardam Wikipedia: दलित और शोषित महिलाओं के हक और उनके अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली कांता कर्दम एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वह भारतीय जनता पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए भारत की संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने वाली संसद सदस्य हैं। बात इनके राजनैतिक सफर की करें तो सड़क के संघर्ष से उठकर इनकी आवाज जब सत्ता के ऊंचे गलियारों तक पहुंची तब पार्टी को इनकी ताकत का आभास हुआ। बात 2018 की है जब राज्यसभा चुनाव के लिए भाजपा द्वारा जातीय समीकरण को साधते हुए कई बड़े चौंकाने वाले फैसले लिए गए थे। उन्हीं में से एक नाम कांता कर्दम जाटव का सबके सामने आया था। भाजपा ने कांता कर्दम जाटव को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया। भाजपा के इस दांव से कई राजनीतिक विश्लेषकों को आश्चर्य भी हुआ। लेकिन दावा किया गया कि पार्टी ने यह फैसला काफी सोच समझ कर लिया है। जाहिर सी बात है कि कांता कर्दम के जरिए भाजपा जाटव वोट पर अपनी पकड़ मजबूत करने में जुटी थी।

मायावती को दी थी सीधी चुनौती

कांता कर्दम फिलहाल भाजपा की राज्यसभा सांसद हैं। वह भारतीय जनता पार्टी की सदस्य हैं। राज्यसभा के लिए पार्टी से टिकट मिलने से पहले कांता कर्दम की पहचान राष्ट्रीय स्तर नहीं थी। उत्तर प्रदेश में भी उनकी लोकप्रियता कुछ खास क्षेत्रों में ही थी। लेकिन भाजपा ने 2018 में कांता कर्दम को आगे कर मायावती के खिलाफ बड़ा दांव खेला। दरअसल, कांता कर्दम जाटव समाज से आती हैं। मायावती का भी वोट बैंक जाटव समाज में काफी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटव समाज की जनसंख्या भी अच्छी खासी है। यही कारण है कि 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा ने कांता कर्दम को राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया। कांता कर्दम का जन्म 4 फरवरी, 1965 को हापुड़ में हुआ था।कांता कर्दम और उनके पति वीर सिंह कर्दम भाजपा के काफी पुराने कार्यकर्ता रहे हैं।

आक्रमक दलित नेता के तौर पर कायम की पहचान

कांता कर्दम ने अपने राजनैतिक जीवन में दलित महिलाओं की आवाज उठाने और उन्हें न्याय दिलाने के लिए जमकर संघर्ष किया। कांता कर्दम को राजनीति में पहचान दलित समुदाय के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए उनके संघर्ष और कार्यों के कारण मिली है। वह एक ऐसी राजनीतिज्ञ हैं जिन्होंने अपने राजनैतिक सफर में कई महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए भी काम किया है और उन्होंने सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए संघर्ष किया है। यही वजह है कि उन्हें आज आक्रमक दलित नेता भी कहा जाता है। कांता कर्दम को 2018 में भाजपा ने मेरठ से मेयर पद का उम्मीदवार बनाया था। हालांकि वह हार गईं। बावजूद इसके भाजपा ने उन्हें राज्यसभा का सदस्य बनाया। कांता कर्दम के जरिए भाजपा मेरठ से लेकर सहारनपुर तक दलितों को साधने की कोशिश में रही है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को इससे मदद तो मिली ही साथ ही 2022 के चुनावों में भी इन्हें मजबूत प्रत्याशी बनाया। इन्होंने कभी भी हार नहीं मानी और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निरंतर संघर्ष किया है।

उनके राजनैतिक सफर की कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ इस प्रकार हैं

  1. दलितों के अधिकारों की रक्षाः कांता कर्दम ने दलितों के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए काम किया है और उन्हें समाज में सम्मान और समानता के साथ जीने का अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया है।
  2. महिलाओं के अधिकारों की रक्षाः कांता कर्दम ने महिलाओं के अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए भी काम किया है और उन्हें समाज में सम्मान और समानता के साथ जीने का अधिकार दिलाने के लिए संघर्ष किया है।
  3. सामाजिक न्याय की रक्षा: कांता कर्दम ने सामाजिक न्याय की रक्षा के लिए काम किया है और उन्होंने समाज में व्याप्त असमानता और अन्याय के खिलाफ संघर्ष किया है।
  4. कांता कर्दम का राजनैतिक सफर एक प्रेरणा है उन लोगों के लिए जो समाज में परिवर्तन लाना चाहते हैं और उन्होंने अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए निरंतर संघर्ष किया है।


Admin 2

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