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CWC की बैठक में राहुल गांधी के लिए उठी ये मांग, पार्टी में हो सकते हैं ये बदलाव
राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की लॉबिंग राजस्थान के पार्टी नेताओं द्वारा की जा रही है। पहले मंगलवार को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपने की मांग उठाई।
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2019 में पार्टी की हार के बाद राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद छोड़ दिया था, लेकिन अब एक साल के बाद दोबारा से राहुल गांधी को कांग्रेस की कमान सौंपने की मांग राजस्थान से ही लगातार उठायी जा रही है। बता दें कि पहली बार ठीक सात साल पहले जनवरी 2013 में राजस्थान से ही राहुल गांधी की सियासी लॉन्चिंग हुई थी, उस समय जयपुर की कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने का फैसला लिया गया था।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उठाई मांग
राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की लॉबिंग राजस्थान के पार्टी नेताओं द्वारा की जा रही है। पहले मंगलवार को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपने की मांग उठाई। गहलोत की इस मांग का यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास ने समर्थन किया है। वहीं, अब राजस्थान के उप मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने भी राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग की है।
सचिन पायलट ने कहा राहुल गांधी संभालें पार्टी की जिम्मेदारी
सचिन पायलट ने गुरुवार को साफ शब्दों में कहा कि राहुल गांधी से हम सब की मांग है कि वह पुनः पार्टी की जिम्मेदारी संभाले। राहुल को दोबारा से पार्टी अध्यक्ष बनाने के लिए राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने बकायादा प्रस्ताव भी पारित किया है। पायलट ने कहा कि देश में तमाम कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं की दिली इच्छा है कि राहुल गांधी पार्टी का नेतृत्व फिर से करें।
पिछले कार्यकाल में भी उन्होंने पार्टी को मजबूत करने की दिशा में कई अहम कदम उठाए थे। एक बार उनके अध्यक्ष बनने से पार्टी में नए जोश और उत्साह का संचार होगा।
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लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी के नेत्रित्व में 52 सीटें मिल सकीं
बता दें कि बीते वर्ष लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने कांग्रेस को उसका खोया जनाधार वापस दिलाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाया था। इसके बावजूद देश भर में कांग्रेस को महज 52 सीटें मिल सकीं। राहुल ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने तब कहा था कि वो अध्यक्ष के रूप में काम नहीं करना चाहते लेकिन पार्टी के लिए काम करते रहेंगे। इसके बाद अगस्त 2019 में कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष के तौर पर फिर से सोनिया गांधी को कमान सौंप दी गई।
देश में कोरोना संक्रमण से आगाह करने वाले पहले नेता
कोरोना संकट ने राहुल गांधी को एक राजनीतिक अवसर दिया है, जिससे वह अपनी छवि संजीदा और संवेदनशील नेता की बना सकें और वापस विपक्ष की राजनीति में केंद्रीय भूमिका में आ सकें। कांग्रेस नेता भी ये बात समझ रहे हैं। वे लगातार यह बात प्रचारित कर रहे हैं कि राहुल गांधी देश में कोरोना संक्रमण के संकट को समझने वाले और उससे सावधान करने वाले पहले नेता थे। ऐसे ही चीन को लेकर जिस तरह से उन्होंने सवाल खड़े किए हैं, उससे भी उनकी गंभीरता बढ़ी है। इसीलिए अब एक साल के बाद राहुल गांधी को दोबारा से पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग उठ रही है।
राहुल ने कांग्रेस संगठन चलाने की अपनी सोच को जाहिर किया था
राहुल गांधी की सियासत के लिए राजस्थान खासकर जयपुर को अच्छा माना जाता है, उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बनाने का फैसला भी जयपुर में ही लिया गया। जयपुर अधिवेशन में राहुल ने कांग्रेस संगठन चलाने की अपनी सोच को जाहिर किया था। राहुल गांधी ने अपने भाषण में साफ तौर पर कहा था कि नेताओं को उनके प्रदर्शन के आधार पर जिम्मेदारी दी जाएगी। इसके बाद राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष बनाने को लेकर लॉबिंग भी अशोक गहलोत जैसे नेताओं ने राजस्थान से शुरू की थी, जिसके बाद 2017 के आखिर में पार्टी अध्यक्ष के तौर पर उनकी ताजपोशी हुई थी।
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राहुल गांधी ने आक्रमक ढंग से केंद्र की मोदी सरकार पर हमले किए थे
हालांकि, लोकसभा चुनाव की हार के बाद राहुल गांधी दिल्ली और अपने संसदीय क्षेत्र तक सीमित रहते थे। ऐसे में राहुल गांधी की रिलॉन्चिंग जयपुर में इसी साल जनवरी में रैली के जरिए हुई थी। राहुल गांधी ने आक्रमक ढंग से केंद्र की मोदी सरकार पर हमले किए थे। इसी रैली के बाद से राहुल गांधी दोबारा से सक्रिय भूमिका में दिखे हैं। अब उसी राजस्थान के नेताओं के द्वारा राहुल गांधी को दोबारा से कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की मांग उठाई जा रही है, जिसे पार्टी के तमाम नेता समर्थन कर रहे हैं। देखना है कि अब राहुल गांधी पार्टी की कमान कब अपने हाथों में लेते हैं?