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Dinesh Sharma Biography: सौम्य-बेदाग छवि राजनेता, जो बना सूबे का उप मुख्यमंत्री
Dinesh Sharma Biography: उनके शिक्षा और पठन-पाठन से जुड़े अनुभवों को देखते हुए ही योगी सरकार में उप-मुख्यमंत्री के साथ ही माध्यमिक और उच्च शिक्षामंत्री, साइंस और टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक और इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय का प्रभार दिया गया है।
Dinesh Sharma Biography: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2017 (Uttar Pradesh Assembly Elections 2017) में जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) प्रचंड बहुमत से जीतकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के नेतृत्व में सरकार बनाई तो उनके एक हाथ बने डॉ. दिनेश शर्मा (Dr. Dinesh Sharma)। उच्च शिक्षा प्राप्त और स्वभाव से सौम्य दिनेश शर्मा प्रदेश की राजनीति का पुराना नाम है। सक्रिय राजनीति में आने से पहले डॉ. दिनेश शर्मा लखनऊ विश्वविद्यालय में वाणिज्य विभाग में प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत थे।
dinesh sharma wikipedia - उनके शिक्षा और पठन-पाठन से जुड़े अनुभवों को देखते हुए ही योगी सरकार में उप-मुख्यमंत्री के साथ ही माध्यमिक और उच्च शिक्षामंत्री, साइंस और टेक्नोलॉजी, इलेक्ट्रॉनिक और इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी मंत्रालय का प्रभार दिया गया है। डॉ. दिनेश शर्मा मोस्ट आनरेबिल मेयर के सम्मान से नवाज़े जा चुके हैं। यूनिवर्सल पीस फ़ाउंडेशन, कोरिया द्वारा पीस अंबेसडर (शांति दूत) सम्मान से भी अलंकृत हो चुके हैं। इन्हें इंटरनेशनल काउंसिल ऑन नेशनल यूथ पॉलिसी, वियना द्वारा भारतीय राष्ट्रीय युवा आयोग को युवाओं से संबंधित कार्य हेतु आईसीएनवाईपी अवार्ड से अलंकृत किया गया।
डॉ. दिनेश शर्मा एक कर्मकाण्डी ब्राह्मण परिवार से हैं। उनका जन्म 12 जनवरी 1964 को लखनऊ में हुआ था। इनके पिता केदारनाथ शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और जनसंघ के पुराने कार्यकर्ता थे।डॉ. दिनेश शर्मा भी पिता के ही नक्शेकदम पर चलते हुए आरएसएस से जुड़े। दिनेश शर्मा ने 'भारत में काग़ज़ उद्योग- वर्तमान स्थिति तथा समस्यायें' , उत्तर प्रदेश के विशेष संदर्भ में विषय पर शोध किया है। डॉ. दिनेश शर्मा लखनऊ यूनिवर्सिटी में वाणिज्य विभाग में प्रोफेसर रहे। अपने प्रोफेसर कार्यकाल के दौरान उन्होंने करीब 20 से भी अधिक छात्रों को पीएचडी के लिए दिशा प्रदान की। तथा कुल 6 पुस्तकों का लेखन किया। साथ ही, 40 शोध पत्रों को लिखने का कार्य किया। शैक्षणिक जीवन में यह उनके द्वारा दिया बड़ा योगदान रहा है।
दिनेश शर्मा छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय (dinesh sharma political career)
डॉ. दिनेश शर्मा ने काफी उच्च शिक्षा (dinesh sharma education) प्राप्त कर रखी है। इन्होंने छात्र जीवन से ही राजनीति (dinesh sharma rajnitik safar) और सामाजिक क्षेत्र में काम करना शुरु कर दिया था। पढ़ाई के दौरान ही वह आरएसएस से जुड़े। 1987 में इन्हें लखनऊ विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष के तौर पर चुना गया। इनके राजनीतिक परिणामों और सौम्यता के चलते वर्ष 1991 में प्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा का उपाध्यक्ष निर्वाचित किया गया। इसके बाद, साल 1993 में दिनेश शर्मा को भारतीय युवा जनता मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष चुना गया, जिस पर ये 1998 तक रहे।
डॉ. दिनेश शर्मा ने पर्यटन नीति बनाने में दिया अहम योगदान
बाद में प्रदेश में बीजेपी सरकार बनने पर डॉ. शर्मा को राज्य मंत्री का दर्जा देने के साथ उत्तर प्रदेश पर्यटन विकास निगम का उपाध्यक्ष बनाया गया। बाद में ये भारत सरकार में राष्ट्रीय युवा मोर्चा आयोग के सदस्य नियुक्त हुए। पद पर रहते हुए उन्होंने उत्तर प्रदेश पर्यटन नीति तथा भारत सरकार की युवा नीति तैयार करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अपने इस अनुभव को उन्होंने किताब की शक्ल दी। पर्यटन उद्योग पर दिनेश शर्मा ने न सिर्फ पुस्तक लिखी बल्कि पी.एच.डी भी करवाई।
डॉ. दिनेश शर्मा दो बार बने मेयर, लिम्का बुक में नाम दर्ज
ये वो दौर था जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की नजर डॉ. दिनेश शर्मा पर पड़ी। हालाँकि अटल जी नज़र पड़ने से पहले वह कलराज मिश्रा के निकट के लोगों में शुमार किये जाते थे। बता दें, कि अटल बिहारी वाजपेयी लखनऊ लोकसभा सीट से जीतकर ही संसद पहुंचते थे। उसी दौरान वाजपेयी जी की नजर डॉ.शर्मा पर पड़ी। उन्होंने लखनऊ के मेयर पद के लिए दिनेश शर्मा को बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर चुन लिया। साल 2006 में दिनेश शर्मा पहली बार लखनऊ के मेयर बने। पहला चुनाव उनका बेहद काँटे का था। पर बीजेपी ने उन्हें एक बार फिर मौका दिया और वो 2012 दूसरी बार लखनऊ के मेयर चुने गए। लखनऊ मेयर प्रत्याशी के तौर पर डॉ. दिनेश शर्मा ने रिकॉर्ड मतों से जीत दर्ज की, जिस वजह से उनका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में दर्ज हुआ।उन्हें येरूशलम में हुए वर्ड मेयर कांफ्रेंस में 'मोस्ट ऑनरेबिल मेयर' के सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। इस कांफ्रेंस में इकहत्तर देशों ने शिरकत की थी।
किसी छवि में नहीं बंधे हैं डॉ. दिनेश शर्मा
दिनेश शर्मा की छवि बेहद साफ, स्वच्छ और बेदाग है, जो अक्सर राजनीति में कम ही देखने को मिलता है। इनकी शख्सियत की एक और खास बात है कि ये किसी छवि में बंधकर नहीं रहे हैं और न किसी खास जाति-धर्म के लोगों में ही इनकी पैठ है। इन्हें विरोधी भी उतना ही सम्मान देते हैं, जितना पार्टी के लोग। यही कारण रहा है कि बीजेपी हर छोटे-बड़े चुनाव में उनके योगदान को सराहती रही है। पार्टी में योगदान को देखते हुए 2014 में बीजेपी ने इन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सहित तब गुजरात का प्रदेश प्रभारी नियुक्त किया था।
आंख नम कर देगी डॉ. दिनेश शर्मा परिवार की ये कहानी (dinesh sharma family)
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक खबर के मुताबिक, दिनेश शर्मा के पुश्तैनी घर से जुड़ी एक रोचक कहानी है। दरअसल, डॉ. दिनेश शर्मा के पूर्वज राजस्थान से थे। इनके पूर्वज राजस्थान से लखनऊ आकर बस गए थे। इन्हें बस इतना पता था कि उनके पुश्तैनी गांव का नाम 'जागुवास' है। दिनेश शर्मा और उनके परिवार के लोगों को जागुवास ढूंढने में कई दशक बीत गए। इनके परिवार के लोगों ने इस दौरान राजस्थान के सीकर, झुंझुनू, चुरू सहित आस-पास के चक्कर लगाए। लेकिन कुछ पता नहीं चला। आखिरकार, साल 2018 में राजस्थान में एक जनसभा के दौरान दिनेश शर्मा ने अपने गांव जागुवास का नाम लिया। साथ ही अपने पुरखों की माटी को माथे लगाने की इच्छा व्यक्त की। अगले दिन ये खबर अखबारों छपी। जिस मिट्टी को छूने की कसक लिए दिनेश शर्मा के परिवार के कई सदस्य अब इस दुनिया को छोड़ चुके थे, जो दशकों से नहीं मिली, अब वह चंद दिनों में मिल गई।
डॉ. दिनेश शर्मा के पुश्तैनी गांव का पता (dinesh sharma residence address)
डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया, कि जब उन्होंने जनसभा से अपने गांव का जिक्र किया, तो कई लोग उसकी तलाश में जुट गए। इसी दौरान उन लोगों को शाहपुरा नामक एक गांव में घुमंतू 'जागा' लोग मिले। ये लोग वंशावली रखते हैं। डॉ. शर्मा बताते हैं कि उन लोगों ने अपनी वंशावली से हमारी 11वीं पीढ़ी तक का इतिहास हमारे सामने रख दिया। इसके बाद हमें पता चला कि हमारा पुश्तैनी गांव जागुवास अलवर जिले के बहरोड़ तहसील में है। फिर क्या था, डॉ. शर्मा और उनके परिवार के 70 से अधिक रिश्तेदार जागुवास पहुंच गए। अपने पुरखों की हवेली, गांव, मंदिर, बावड़ी देखकर सब भावुक हो गए और आंखें भर आई।
गांव के लोगों ने उनका स्वागत ढोल-नगाड़ों के साथ किया। बता दें कि उनके पूर्वज इलाके के पुरोहित थे।
दिनेश शर्मा इस समय उत्तर प्रदेश में उप मुख्यमंत्री हैं। उनकी आदतों में विवाद से खुद को दूर रखना है। गुजरात का प्रभारी होने के नाते नरेंद्र मोदी व अमित शाह के निकट के लोगों में शुमार किये जाते हैं। तभी तो राष्ट्रीय उपाध्यक्ष से सीधे भाजपा सरकार में उप मुख्यमंत्री बना दिया गया। उनकी अहमियत इसी से समझी जा सकती है कि उनके लिए विधान परिषद की सीट सपा के नेता जिस अशोक वाजपेयी ने ख़ाली की। उन्हें पार्टी ने राज्य सभा भेज दिया।
डॉ. दिनेश शर्मा का जीवन परिचय (dinesh sharma ka jivan parichay)
नाम- डॉ. दिनेश शर्मा
दिनेश शर्मा के पिता का नाम (dinesh sharma father name)- केदारनाथ शर्मा
दिनेश शर्मा की पत्नी का नाम (dinesh sharma wife name)- डॉ. जय लक्ष्मी शर्मा
दिनेश शर्मा की शिक्षा (dinesh sharma career) - बीकॉम हावर्ड यूनिवर्सिटी से एम.कॉम और मनोविज्ञान तथा मानव विकास में पीएचडी डिग्री
दिनेश शर्मा का राजनीतिक जीवन (dinesh sharma ka rajnitik jivan)
दिनेश शर्मा 1987 में लखनऊ विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष चुने गए।
दिनेश शर्मा 1991 में प्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष बनाए गए।
दिनेश शर्मा 1993-1998 तक भारतीय युवा जनता मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे।
दिनेश शर्मा को बीजेपी सरकार बनने पर राज्य मंत्री का दर्जा प्रदान कर उत्तर प्रदेश पर्यटन विकास निगम का उपाध्यक्ष बनाया गया।
दिनेश शर्मा 2006 में पहली बार लखनऊ के मेयर चुने गए।
दिनेश शर्मा 2012 में दूसरी बार लखनऊ के मेयर चुने गए। बड़ी जीत होने पर लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स में नाम दर्ज हुआ।
दिनेश शर्मा 2014 में बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और गुजरात प्रभारी बनाया गया।
दिनेश शर्मा 2017 के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत के बाद बीजेपी सरकार में प्रदेश का उपमुख्यमंत्री चुना गया।
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