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पहले भी फेल हो चुका है प्रियंका-राहुल कार्ड, अपना घर भी बचाने में जुटना होगा

लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने `ट्रम्प कार्ड` के तौर पर प्रियंका गांधी को उतारकर एक बडा दांव खेला है। प्रियका के आने के बाद प्रदेश की राजनीति में तरह-तरह की कयासबाजी का दौर चल रहा है। कांग्रेस को भी प्रियंका-राहुल की जोडी से बडी उम्मीदें बंधी हे।

Anoop Ojha
Published on: 9 March 2019 3:38 PM IST
पहले भी फेल हो चुका है प्रियंका-राहुल कार्ड, अपना घर भी बचाने में जुटना होगा
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लखनऊ के कार्यालय में पार्टी की बैठक के बाद जब प्रियंका से इनके पति की ED के समक्ष पेशी के बारे में पूछा गया, तो बड़ी ही शालीनता से इन्होने जवाब दिया ..

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ: लोकसभा चुनाव के पहले कांग्रेस ने 'ट्रम्प कार्ड' के तौर पर प्रियंका गांधी को उतारकर एक बडा दांव खेला है। प्रियका के आने के बाद प्रदेश की राजनीति में तरह-तरह की कयासबाजी का दौर चल रहा है। कांग्रेस को भी प्रियंका-राहुल की जोडी से बडी उम्मीदें बंधी है। उसे लग रहा है कि प्रियंका-राहुल के सहारे लोेकसभा चुनाव में बडी सफलता मिल सकती है। लेकिन पिछले 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार का तिलिस्म टूटता दिखाई पडा है। इन चुनावों में प्रियंका राहुल के धुआंधार प्रचार के बाद भी अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस चारों खाने चित्त हुई थी।

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राहुल गांधी ने यहां लगातार कई दिनों तक अपना डेरा डाले रखा था

2012 के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने यूपी में लगातार 48 दिन डेरा जमाए रखा था और 211 रैलियां और 18 बड़े रोड शो किए थे। इसके बावजूद कांग्रेस और रालोद गठबन्धन 40 सीटों का भी आंकड़ा नहीं छू पाया था। इसके पहले 2007 में कांग्रेस के पास 21 सीटे थी। लेकिन 2012 में वह केवल 28 सीटों का ही आंकड़ा छू सकी। कांग्रेस को राहुल गांधी के अमेठी में 2 तथा सोनिया गांधी के लोकसभा क्षेत्र रायबरेली में एक भी विधानसभा सीट नहीं मिल सकी थी।

नेहरू-इंदिरा की कांग्रेस के समय यह क्षेत्र उसका गढ़ था। लेकिन 2012 के चुनाव में इस क्षेत्र की जनता ने गांधी परिवार के करिश्मे को सिरे से खारिज कर दिया था। खास बात यह थी कि राहुल गांधी ने यहां लगातार कई दिनों तक अपना डेरा डाले रखा था। जबकि प्रियंका गांधी ने भी अपने पति और बच्चों के साथ इन इलाकों का खूब दौरा किया था।

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यहां भी इन उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी

इसके अलावा अन्य क्षेत्रों में भी कांग्रेस की हालत बेहद दयनीय रही थी। गोरखपुर के सांसद डॉ हर्षवर्धन के पुत्र राज्यवर्धन को कैम्पियरगंज विधानसभा सीट पर केवल 2389 मत मिल पाए थें और उनकी जमानत जब्त हो गयी थी। जबकि महाराजगंज की हाटा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार जय सिंह आठवें स्थान पर लुढक गए थे। वहीं कुशीनगर की हाटा सीट पर तो रामाश्रय सिंह सातवें स्थान पर ही आ सके। यहां भी इन उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गयी।

2012 के विधानसभा चुनाव में मात्र 28 सीटें जीतने वाली कांग्रेस केवल 31 सीटों पर दूसरे स्थान पर थी। जबकि 88 सीटों पर तीसरे, और 121 सीटों पर चौथे और 61 विधानसभा सीटों पर पांचवे स्थान पर रही थी। इसी तरह 18 सीटों पर छठे, तीन सीटों पर सातवें और दो सीटों पर आठवें स्थान पर थी। आंकड़ों को देखे तो कांग्रेस सवा सौ सीटों पर जमानत गवां बैठी थी। 30 से अधिक सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवारों को 5000 से भी कम वोट मिलेे थें।

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स्मृति ईरानी ने राहुल को तगड़ी टक्कर दी

अमेठी में बात भाजपा बनाम कांग्रेस की की जाए तो 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी राहुल गांधी को 66.18 प्रतिशत और भाजपा को 9.40 प्रतिशत मत मिले थे। इसी तरह से 2009 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी को 71.78 और भाजपा को 5.81 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां की चुनावी तस्वीर काफी बदली−बदली नजर आई। हालांकि जीत राहुल गांधी को ही मिली, लेकिन भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी ने राहुल को तगड़ी टक्कर दी। राहुल को 46.71 और स्मृति को 34.38 प्रतिशत वोट मिले थे।

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अमेठी कांग्रेस के लिए अजेय नहीं रहा है। 1998 के चुनाव में संजय सिंह ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और उन्होंने राजीव गांधी के करीबी को पटखनी दी थी। इससे पूर्व 1967 में पहली बार यह सीट कांग्रेस के हिस्से से बाहर गई। तब जनता पार्टी के टिकट पर रविंद्र प्रताप सिंह जीते थे। पिछले लोकसभा चुनाव में भी राहुल के बहाने पूरी कांग्रेस को असहज करने के लिए भाजपा ने अमेठी पर पूरा जोर लगा दिया था।

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अपना घर भी बचाने में जुटना होगा

तब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे और उन्होंने यहां रैली भी की थी। मोदी के पक्ष में बनी हवा और यहां से चुनाव लड़ रहीं स्मृति ईरानी की मेहनत ने राहुल गांधी को तगड़ा झटका दिया था। 2009 के मुकाबले 2014 में राहुल के वोट प्रतिशत में तकरीबन 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी। इस बार वह कांग्रेस अध्यक्ष हैं। ऐसे में उन पर सीधे हमले का मतलब साफ है कि राहुल को पूरे देश में कांग्रेस के लिए वोट मांगने के साथ ही अपना घर भी बचाने में जुटना होगा।



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Anoop Ojha

Anoop Ojha

Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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