निकाय चुनाव वाराणसी : बीजेपी के लिए आसान नहीं ये राह

raghvendra
Published on: 17 Nov 2017 10:06 AM GMT
निकाय चुनाव वाराणसी : बीजेपी के लिए आसान नहीं ये राह
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वाराणसी: मौसम के गिरते पारे के साथ निकाय चुनाव की सरगर्मी बढऩे लगी है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ये तपिश कुछ ज्यादे ही महसूस हो रही है। बीजेपी के लिए जहां ये सीट साख का सवाल है। वाराणसी नगर निगम में पिछले बाइस सालों से बीजेपी के लिए ये राह आसान नहीं है। जीत का पंजा लगाने के लिए पार्टी को ऐड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। सियासी मैदान से लेकर सोशल मीडिया तक बीजेपी को विरोधियों से कड़ी टक्कर मिल रही है।

सियासी पंडितों की माने तो इस बार विरोधियों के चक्रव्यूह को तोड़ पाना इतना आसान नहीं होगा। दरअसल पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार का चुनाव पूरी तरह हाईटेक हो गया है। सोशल मीडिया पर एक दूसरे की पोल खोलने की होड़ लगी है। इसी क्रम में सपा और कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला करने के लिए वीडियो वॉर छेड़ दिया है। ये दोनों पार्टियां तस्वीरों के जरिए बीजेपी को घेरने में लगी हुई हैं।

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क्या है सपा का ‘वीडियो वॉर’ ?

निकाय चुनाव में विरोधियों पर हमला करने के लिए समाजवादी पार्टी पूरी तरह तैयार है। हर बार की तरह इस बार अंदाज कुछ अलग है। पार्टी ने विरोधियों को धूल चटाने के लिए नई रणनीति अपनाई है। पार्टी अब सोशल मीडिया के जरिए लोगों तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। इसके लिए प्रोफेशनल्स की एक टीम वारामणी पहुंच गई है।

सूत्रों के अनुसार निकाय चुनाव में बीजेपी की पोल खोलने के लिए पार्टी ने पूरी तैयारी कर रखी है।बीजेपी को उसी की भाषा में जवाब देने के लिए सपा अब पूरी तरह हाईटेक तरीका अपनाया है। सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज को देखते हुए पार्टी ने इसका सहारा ले रही है। रणनीति के तहत पार्टी इस बार बीजेपी के 22साल के शासनकाल का हिसाब मांगेंगी। इसके लिए कई वीडियो क्लिप तैयार किए गए हैं।

इन वीडियो में शहर की बदहाली को जनता के सामने रखा जाएगा। इसके साथ ही फोटो के जरिए भी बीजेपी की पोल खोलने की कोशिश की जाएगी। पार्टी कार्यालय में इसके लिए एक छोटा सा वॉर रूप भी बनाया गया।

सोशल मीडिया पर सक्रिय हुई सपा

दरअसल गांव-गिरांव की पार्टी कही जने वाली सपा ने हाल के दो चुनावों में शहरी क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया है। इसके लिए गांव से शहर तक छा चुके सोशल मीडिया को प्रचार तंत्र का माध्यम बनाया गया है। पिछले विधानसभा चुनाव में इसके लिए प्रदेश स्तर पर वॉर रूम भी गठित किया गया था। जहां से सभी विधानसभा क्षेत्रों की चुनावी गतिविधियों को संचालन किया गया था।

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इस बार निकाय चुनाव में भी हर घर तक जाने और एक-एक मतदाता तक बात पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया को बेहतर माध्यम माना जा रहा है। इसके लिए कार्यकर्ताओं की टीम के साथ प्रोफेशनल्स का भी सहारा लिया जा रहा है। समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष डॉक्टर पियूष यादव के अनुसार हम सोशल मीडिया के जरिए सिर्फ और सिर्फ तस्वीर दिखाएंगे। इसका विवेचन और आंकलन जनता पर छोड़ दिया जाएगा।

कांग्रेस मांग रही 22 साल का हिसाब

चुनावी बिसात पर कांग्रेस भी बीजेपी को उसी के अंदाज में सवाल पूछ रही है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेपी नेताओं ने कांग्रेस से 60 साल का हिसाब मांगा था, तो अब कांग्रेस बीजेपी से नगर निगम के 22 सालों का हिसाब मांग रही है। पार्टी वार्ड स्तर पर छोटी-छोटी सभाएं कर रही है और बीजेपी से सवाल पूछ रही है।

पार्टी के नेता जनता के सामने बीजेपी की पोल खोलने में जुटे हुए हैं। जनता के सामने शहर की बदहाली को रखा जा रहा है। मंडल प्रवक्त शैलेंद्र सिंह के अनुसार पार्टी महापौर और अधिक से अधिक पार्षद जीतने को लेकर गंभीर है। पार्टी ने 45 प्लस का टागरेट रखा है। इसके लिए कोई कसन नहीं छोड़ी जाएगी। प्रदेश के बड़े नेता चुनाव प्रचार में पहुंचेंगे।

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सोशल मीडिया पर संकल्प पत्र

वहीं बीजेपी भी वोटरों को लुभाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने से पीछे नहीं है। पार्टी सोशल मीडिया के जरिए अपने संकल्प पत्र को घर-घर तक पहुंचाने के काम में लगी है। संकल्प पत्र को वाट्सअप ग्रुपों में अपडेट करने के साथ ही फेसबुक पर भी पोस्ट किया गया है।

इसके अलावा शहर से लेकर गांव तक आईटी टीम को सक्रिय किया गया है। अलग-अलग प्रभारी भी बनाए गए हैं। प्रयास यह है कि कार्यकर्ता घर-घर तो पहुंचे ही सोशल मीडिया के जरिए केंद्र और प्रदेश सरकार की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाया जाए। साथ ही प्रत्याशियों के बारे में भी बताया जाए।

लाइक और कमेंट्स को मान रहे हैं वोट

कमोबेश हर पार्टी का पूरा फोकस सोशल मीडिया पर है। वोट मांगने के लिए घर-घर घूम रहे प्रत्याशी मोबाइल से फोटो खिंचवाने व वीडियो बनाते नजर आ रहे हैं। उस फोटो और वीडियो को तत्काल फेसबुक व ट्वीटर पर शेयर कर दिया जा रहा है।

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प्रत्याशी फेसबुक और ट्वीटर के लाइक और कमेंट्स के आधार पर वोट के समीकरण बैठा रहे हैं। जनता भी उन्हें सोशल मीडिया पर ही विकास के मायने समझा रही है। वहीं प्रत्याशी भी लोगों से अच्छे काम का वादा कर रहे हैं। कुल मिलाकर सोशल मीडिया प्रचार का बेहतर प्लेटफॉर्म बन गया है।

-आशुतोष कुमार सिंह

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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