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Father's Day Special: इन बेटियों ने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का किया काम

Father's Day Special: बदलते वक्त के साथ राजनेताओं की बेटियों ने खुद आगे आकर चुनावों में अपने पिता की मदद की। इसका असर यह रहा कि घर पर राजनीतिक माहौल मिलने के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में भी उनका प्रभाव बढ़ता गया।

Shreedhar Agnihotri
Published on: 19 Jun 2021 11:27 PM IST (Updated on: 8 Jun 2022 4:10 PM IST)
Fathers Day Special: इन बेटियों ने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का किया काम
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अदिति सिंह, रीता बहुगुणा, प्रियंका गांधी (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Father's Day 2021: पुरुष प्रधान इस देश में पहले बेटियों का घर के बाहर निकलकर राजनीति में उतरना अच्छा नहीं कहा जाता था, पर धीरे- धीरे वक्त बदला तो पहले से स्थापित राजनेताओं की बेटियों ने खुद आगे आकर चुनावों में अपने पिता की मदद की।

इसका असर यह रहा कि घर पर राजनीतिक माहौल मिलने के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में भी उनका प्रभाव बढ़ता गया। अंततः नेताओं की बेटियों ने पूरी तरह से अपने पिताओं की राजनीतिक विरासत को संभाल लिया।

राजीव गांधी - प्रियंका गांधी

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) की पुत्री प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi Vadra) 2007 के बाद से हो रहे चुनावों (Elections) में लगातार सक्रिय हैं। फिर वह चाहे लोकसभा का चुनाव हो अथवा विधानसभा का। वह खुद चुनाव न लड़कर अपनी पार्टी (Congress) का चुनाव प्रचार करने का काम करती हैं। वो उत्तर प्रदेश प्रभारी भी हैं। इन दिनों वह उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections 2022) की तैयारियों में जुटी हुई हैं।

सोनेलाल पटेल - अनुप्रिया पटेल

मिर्ज़ापुर संसदीय सीट से दूसरी बार सांसद चुनी गई अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) अपने पिता और अपना दल के संस्थापक स्व. सोनेलाल पटेल (Sone Lal Patel) की राजनीतिक विरासत (Political Legacy) संभाल रही हैं। अपने पिता से आगे निकलकर उन्होंने राजनीती की ऊंचाइयों को छुआ है। प्रदेश सरकार में उनकी भागीदारी है। अब एक बार फिर वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections 2022) की तैयारी कर रही हैं। विधानसभा में उनके दल के नौ विधायक हैं।

हेमवतीनंदन बहुगुणा - डॉ. रीता बहुगुणा

इलाहाबाद से सांसद डॉ. रीता बहुगुणा जोशी (Rita Bahuguna Joshi) के पिता हेमवती नन्दन बहुगुणा (Hemwati Nandan Bahuguna) प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। डॉ. रीता जोशी उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) में मंत्री भी रह चुकी हैं। उन्होंने अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया है। कांग्रेस व समाजवादी पार्टी में बडे़ पदों पर रहने के बाद अब वह भाजपा की सांसद (BJP MP) हैं।

स्वामी प्रसाद मौर्या - संघमित्रा मौर्या

बदायूं की सांसद संघमित्रा मौर्या (Sanghmitra Maurya) नेता पुत्रियों में एक और नाम हैं। अपने पिता और कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या (Swami Prasad Maurya) की सांसद बेटी संघमित्रा मौर्य पहले 2014 का लोकसभा चुनाव मैनपुरी से मुलायम सिंह के खिलाफ और फिर 2017 का विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैं। वह पहले भी स्वामी प्रसाद के हर चुनाव में उनकी मदद करती रही हैं। बेहद सौम्य और सुशील संघमित्रा की उनके क्षेत्र में खूब लोकप्रियता है।

प्रेमलता कटियार - नीलिमा कटियार

प्रदेश की योगी सरकार में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभालने वाली नीलिमा कटियार (Neelima Katiyar) पूर्व मंत्री प्रेमलता कटियार (Prem Lata Katiyar) की बेटी हैं। प्रेमलता कटियार ने आपातकाल के समय काफी संघर्ष किया। पांच बार विधायक बनने के बाद वह 2012 का विधानसभा चुनाव (Assembly Elections) पहली बार हारी थीं। वह कल्याण सिंह की सरकार में महिला कल्याण मंत्री रही लेकिन अब उनकी बेटी नीलिमा कटियार उनकी छोड़ी गई सीट से विधायक बनने के बाद योगी सरकार (Yogi Government) में मंत्री की जिम्मेदारी निभा रही हैं।

प्रमोद तिवारी - आराधना मिश्रा

कई वर्षों से उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति के केंद्र बिंदु कहे जाने वाले पूर्व राजयसभा सदस्य प्रमोद तिवारी (Pramod Tiwari) की बेटी आराधना मिश्रा (Aradhana Misra) 'मोना' ने दो बार से विधानसभा का चुनाव जीत रही हैं। प्रियंका गांधी की बेहद करीबी मोना इस समय कांग्रेस विधा मंडल दल की नेता भी हैं। इसके पहले भी वह पिता प्रमोद तिवारी के हर चुनाव में उनकी मदद किया करती थीं।

अखिलेश सिंह - अदिति सिंह

अदिति सिंह (Aditi Singh) यूपी विधानसभा चुनाव में रायबरेली सदर सीट से 90 हजार से अधिक वोटों से जीतकर विधायक बनी हैं। अदिति सिंह के पिता अखिलेश सिंह (Akhilesh Pratap Singh) भी यहां से पहले में कांग्रेस समेत अलग-अलग दलों से 5 बार विधायक रह चुके थें। अखिलेश सिंह को बाहुबली नेता माना जाता था। रायबरेली सदर कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती है। लेकिन इधर कुछ महीनो से अदिति सिंह की नजदीकियां भाजपा में बढ़ती जा रही हैं।

हुकुम सिंह - मृगांका सिंह

भाजपा नेता स्व. हुकुम सिंह (Hukum Singh) सांसद बनने से पहले आठ बार विधायक बन चुके थें । पिछले लोकसभा चुनाव में जब वह इस क्षेत्र से सांसद चुने गए तो रिक्त पड़ी विधानसभा सीट कैराना से चुनाव मैदान में उनकी बेटी मृगांका सिंह (Mriganka Singh) ने मोर्चा संभालने का काम किया है। वह भाजपा के टिकट से पहले विधानसभा और फिर लोकसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं।

दिनेश सिंह - रत्ना सिंह

रत्ना सिंह प्रतापगढ़ सीट से तीन बार सांसद रही और कालाकांकर की राजकुमारी रत्ना सिंह (Ratna Singh) के पिता दिनेश सिंह (Dinesh Singh) को स्व. इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) का बेहद करीबी माना जाता था। पं नेहरू के निजी सचिव रहे दिनेश सिंह अमेरिका में भारत के राजदूत और विदेश मंत्री भी रहे। प्रतापगढ़ के सांसद रहने के बाद उनकी बेटी रत्ना सिंह ने बाद में उनकी राजनीतिक विरासत संभालने का काम किया।

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Shreya

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