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जयंती विशेष: राजीव गांधी ने मां इंदिरा की हत्या के बाद संभाली थी PM की कुर्सी
लखनऊ: राजीव गांधी की आज 74वीं जयंती है। ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि कैसे राजीव गांधी ने मां इंदिरा गांधी की हत्या के बाद प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली थी।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर,1984 को हत्या के बाद राजीव गांधी ने देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला था। उनके कुर्सी संभालते ही देश में सिख विरोधी दंगे भडक़ उठे थे क्योंकि सिख हत्यारे की गोली से ही इंदिरा गांधी की जान गयी थी। इस दंगे को काबू में करने के लिए राजीव गांधी को काफी मशक्कत करनी पड़ी।
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हालांकि सिखों की बड़े पैमाने पर हत्या और उनकी संपत्तियों की लूट के लिए उन्हें आलोचक आज भी कठघरे में खड़ा करते हैं। वैसे राजीव गांधी का राजनीति में पदार्पण एक दुखद घटना के कारण हुआ। अपने भाई संजय गांधी की विमान हादसे में अकस्मात मृत्यु के बाद वे राजनीति के क्षेत्र में उतरे थे। इसके पहले वे इंडियन एयरलाइंस में पायलेट थे।
1981 में उन्होंने अमेठी से संसद सदस्य का चुनाव जीता और सन 1983 वे कांग्रेस के महासचिव नियुक्त हुए। 31 अक्तुबर, 1984 के दिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या के बाद उन्होंने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली।
कांग्रेस को मिला सहानुभूति लहर का लाभ
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सहानुभूति लहर का खासा लाभ मिला। राजीव गांधी ने देश भर चुनावी सभाएं कर कांग्रेस के पक्ष में एक बड़ी लहर पैदा कर दी। कांग्रेस की चुनावी सभाओं में इंदिरा गांधी का वह चर्चित बयान खूब सुनाया गया जिसमें उन्होंने कहा था कि मेरे खून का एक-एक कतरा देश के लिए काम आएगा।
1985 के आम चुनावों में मिले प्रचंड बहुमत के पीछे जनता जनार्दन की सहानुभूति तो एक महत्वपूर्ण कारण तो थी ही मगर एक महत्वपूर्ण कारण विभिन्न मसलों पर राजीव गांधी का आधुनिक दृष्टिकोण और युवा उत्साह भी था। इसका नतीजा यह हुआ कि पार्टी ने 508 में से रिकॉर्ड 401 सीटें हासिल कीं और राजीव गांधी सर्वसम्मति से देश के प्रधानमंत्री चुने गए।