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विकास के बाद अब भगवान राम संग बुद्ध, गोरख, कबीर की शरण में भाजपा
मिशन 2019 को लेकर भाजपा अपने तरकश से सियासी तीर छोड़ने लगी है। तभी तो चुनावी साल में भाजपा को जहां अयोध्या और भगवान राम याद आते थे वहीं बदले सियासी परिदृश्य में भाजपाई दिग्गजों को भगवान बुद्ध, गोरखनाथ और निगुर्ण विचारधारा के कबीरदास में वोटबैंक नजर आ रहा है। अयोध्या में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरों, कार्यक्रमों और बयानों के बाद पीएम मोदी संत कबीरदास के निवार्ण स्थली मगहर पहुंचे। कबीरचैरा के महंत विवेक दास के विरोध के बीच पीएम मोदी मगहर से एक बड़े वर्ग को साधने की जुगत में हैं।
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भाजपा छोटे-छोटे वर्गों को साध कर सियासी माइलेज लेने की जुगत में है। त्रिपुरा और कर्नाटक में बीते दिनों हुए विधानसभा चुनाव में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के चुनावी सभाओं का असर देखकर भाजपाई रणनीतिकार उत्साहित है। त्रिपुरा और कर्नाटक में नाथ संप्रदाय के अनुयायियों पर योगी आदित्यनाथ के प्रभाव का नतीजा था कि त्रिपुरा में भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला तो कर्नाटक में वह अकले ही बहुमत के करीब पहुंचने में सफल हुई। नाथ सम्प्रदाय का असर महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर आदि राज्यों में भी है, इसलिए केन्द्र सरकार गोरखनाथ से जुड़े स्थलों का जीर्णोद्धार करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। दलितों में भगवान बुद्ध के प्रति आस्था को देखते हुए केन्द्र और प्रदेश सरकार कुशीनगर से जुड़े स्थलों का कायाकल्प करने की कवायद में जुटी हुई है।
कबीर पंथियों को साधने की जुगत
बीते 25 जून को मन की बात कार्यक्रम के बहाने पीएम मोदी ने मिशन मगहर का आगाज भी कर दिया। मन की बात कार्यक्रम में कबीर को याद किया। कबीर के दोहों और उनके काशी छोड़ने के प्रसंग की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री ने कबीर के विचारों को समझाने की कोशिश की। मोदी ने कहा कि वह 28 जून को कबीर प्राकट्य समारोह में मगहर पहुंच रहे हैं। मोदी यह बताने से भी नहीं चूके कि गुजरात में वह संत कबीर की परंपरा से जुड़े लोगों का बड़ा राष्ट्रीय अधिवेशन कर चुके हैं। मोदी ने मन की बात में कहा कि कबीर का संदेश था कि सच्चा पीर-संत वही है जो दूसरों की पीड़ी जानता और समझता है। जो दूसरे के दुख को नहीं जानते, वे निष्ठुर हैं। इस दौरान उन्होंने गोरखपुर जिले के टड़वा निवासी डाॅ सुरेन्द्र मिश्र से बात भी की। मोदी के आगमन से पहले ही केन्द्र और प्रदेश सरकार मगहर के जीर्णोद्धार को लेकर कई ऐलान कर चुकी है। मगहर में केन्द्र और प्रदेश सरकार करीब 400 करोड़ रुपये खर्च कर इसे विकसित करने का खांका तैयार किया है। मगहर में कबीर स्मारक विकसित कर भाजपा छत्तीसगढ़ व मध्य प्रदेश समेत कई प्रदेशों में कबीर पंथियों में संदेश देना चाहती है। कबीर पर देश-विदेश में 58 हजार से ज्यादा लोग शोध कर चुके हैं। संत कबीर से जुड़े देश में 800 मठ हैं। जिनमें से 112 उत्तर प्रदेश में ही है। मगहर मठ के महंत विचारदास का दावा है कि 4 करोड़ से ज्यादा लोग तो कबीर पंथ से जुड़े हुए हैं। सबसे ज्यादा तादाद बिहार, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में है।
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इसके अलावा उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और कनार्टक के साथ ही पश्चिम बंगाल और उत्तर पूर्व के राज्यों में भी कबीरपंथ की जड़ें काफी गहरी हैं। कबीर पंथियों को साधने के लिए ही पीएम मोदी ने मगहर की जमीन को मिशन 2019 के आगाज के लिए चुना है। मगहर से सियासी संदेश देने की मंशा के चलते ही मोदी ने खुद पहल करते हुए निर्वाण स्थली पर स्मारक बनाने योजना घंटे भर के भीतर तैयार करा दी। केन्द्र सरकार मगहर में कबीर स्मारक और सांस्कृतिक केंद्र के निर्माण पर करीब 400 करोड़ खर्च करने की तैयारी में है। मगहर में पीएम मोदी कबीर अकादमी का भी शिलान्यास करेंगे। तीन एकड़ में विकसित होने वाले अकादमी पर 24 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
अकादमी में 306 सीटों वाले आॅडिटोरियम का भी निर्माण होगा। गैलरी में कबीर के जीवन से जुड़े दृश्यों का अवलोकन भी लोग कर सकेंगे। मगहर का संदेश पूरे देश में पहुंचे इसीलिए संतकबीर के 620वें प्राकट्य समारोह में देश के कोने-कोने से कंबीर पंथियों के लिए व्यवस्था की गई। जम्मू से मगहर के लिए कबीर पंथी स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था की गई। तो पूर्वोत्तर और कर्नाटक से ट्रेनों में स्पेशल कोच बुक किये गए। मगहर में पहली बार कोई स्पेशल ट्रेन पहुंच रही है। नरेन्द्र मोदी मगहर पहुंचने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं। इसके पहले पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम 11 अगस्त 2004 को मगहर आये थे। गोरखपुर विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह में शिरकत करने आए कलाम साहब बिना पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के कबीर के दर पर मत्था टेक कर सभी को चैंका दिया था।
संतकबीरनगर के सांसद शरद त्रिपाठी कहते हैं कि सामाजिक समरसता के प्रणेता कबीर की निर्वाणस्थली पर पहली बार कोई प्रधानमंत्री आ रहा है। अब तक उपेक्षित मगहर कस्बे के विकास की उम्मीद जग गई है।
बुद्धम शरणम गच्छामि
भगवान बुद्ध के निवार्णस्थली कुशीनगर में भी विकास कार्यों को तेज करने का दावा किया जा रहा है। कुशीनगर में बन रहे इंटरनेशनल एयरपोर्ट को जल्द शुरू करने की कवायद की जा रही है। बीते अप्रैल महीने में स्टेट प्लेन को उतारकर इसका ट्रायल किया गया। इसके साथ प्लेन में आई टीम ने कार्गो (मालवाहक विमान) से जुड़ी संभावनाओं की तलाश की गई। एयरपोर्ट का रनवे बन कर पूरी तरह तैयार है। विश्व के 14 से अधिक देश भगवान बुद्ध को मानते हैं, जिसे देखते हुए सरकार ने बौद्ध सर्किट के विकसित करने की योजना बनाई है। पिछले दिनों उपमुख्यमंत्री केशव मौर्या ने कुशीनगर में चार अरब रुपये की लागत की 45 विकास योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया था।
प्रमुख सचिव पर्यटन अवनीश अवस्थी का दावा है कि रनवे का काम करीब-करीब पूरा हो गया है और बाकी काम भी तेजी से चल रहा है। जहाज का ट्रायल भी यहां हो चुका है। जल्द ही यहां से हवाई सेवाएं शुरू हो जाएंगी। भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में पर्यटन से जुड़ी विकास योजनाओं को कार्यान्वित करने के लिए प्रदेश सरकार ने 17 करोड़ रुपये जारी कर दिया है। प्रदेश सरकार महापरिनिर्वाण स्थली के पास लाईट एण्ड साउन्ड, एलईडी लाईट, आधुनिक पार्किग के साथ ही वाई-फाई से लैस कर रही है।
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भगवान बुद्ध के परिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में पिछले दो दशक से लंबित मैत्रेय परियोजना के पहले चरण को दिसम्बर तक पूरा करने का दावा पर्यटन विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जा रहा है। दिसम्बर तक वहां भगवान बुद्ध के 200 फिट ऊंचे स्टैच्यू की स्थापना हो जाएगी। इसके बेसमेंट में मेडिटेशन सेंटर बनाया जाएगा। परियोजना में कैथड्रल युक्त लैंडस्केप पार्क, विहार, दीक्षास्थल, रिसार्ट्स, होटल, गेस्ट हाउस, पुस्तकालय और फूड हाल आदि का निर्माण भी किया जाना है।
गोरखनाथ मंदिर पर धनवर्षा
मुख्यमंत्री योगी आदित्याथ के प्रदेश की बागडोर संभालते ही गोरखनाथ मंदिर पर धनवर्षा शुरू हो गई है। पर्यटन विभाग से लेकर नगर निगम तक गोरखनाथ मंदिर में सुविधाओं को लेकर सजग हो गए हैं। पर्यटन निदेशालय की पहल पर बंगलुरू की फर्म गोरखनाथ मंदिर पर वीडियो फिल्म बन रही है। वहीं नगर निगम करीब 28 लाख रुपये खर्च कर मंदिर परिसर में अत्याधुनिक टाॅयलेट बना रहा है। पर्यटन विभाग गोरखनाथ मंदिर स्थित भीम ताल का जीर्णोद्धार करने की कवायद में जुटा है। भीम ताल में ग्रेनाइट पत्थर और टाइल्स लगाने पर पर्यटन विभाग 75 लाख रुपये से अधिक खर्च करने जा रहा है। केन्द्रीय संस्कृति विभाग ने गोरखनाथ मंदिर में पर्यटन सुविधाओं को लेकर 4 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। जिससे मंदिर में हाईटेक लाइटस और साउंड सिस्टम की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही गोरखपुर यूनिवर्सिटी में गोरखनाथ पीठ भी खुल रही है। जहां छात्र गोरखनाथ से जुड़े साहित्य पढ़ने के साथ ही शोध कार्य भी कर सकेंगे।