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उत्तराखंड: अप्रैल में होने वाले निकाय चुनाव को लेकर असमंजस

उत्तराखंड में अप्रैल में निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं। लेकिन नैनीताल हाईकोर्ट के बाद थोड़ी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। हाईकोर्ट ने पिछले वर्ष निकाय विस्तार की राज्य सरकार की अधिसूचना खारिज कर दी। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि पहले निकाय विस्तार से जुड़ी लोगों की आपत्तियां दूर की जाएं

tiwarishalini
Published on: 15 March 2018 10:41 AM GMT
उत्तराखंड: अप्रैल में होने वाले निकाय चुनाव को लेकर असमंजस
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देहरादून: उत्तराखंड में अप्रैल में निकाय चुनाव प्रस्तावित हैं। लेकिन नैनीताल हाईकोर्ट के बाद थोड़ी असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। हाईकोर्ट ने पिछले वर्ष निकाय विस्तार की राज्य सरकार की अधिसूचना खारिज कर दी। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि पहले निकाय विस्तार से जुड़ी लोगों की आपत्तियां दूर की जाएं, इसके बाद ही विस्तार मान्य होगा। राज्य सरकार का दावा है कि वे जन-सुनवाइयों के ज़रिये लोगों की आपत्तियां दूर कर लेंगे और चुनाव अपने समय पर होंगे।

9 मार्च को नैनीताल हाईकोर्ट ने निकाय विस्तार के विरोध में दर्ज याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार की अधिसूचना और शासनादेशों को खारिज कर दिया था। अदालत ने सरकार से जन-सुनवाइयों के ज़रिये लोगों की आपत्तियां दूर करने का निर्देश दिया। सरकार ने अदालत में शपथ पत्र देकर इन निकायों में फिर से लोगों की आपत्तियों को सुनने पर मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि वे समय पर जनसुनवाई पूरी कर लोगों की समस्याओं को दूर करेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनाव अपने तय समय पर होंगे।

बीजेपी विधायक उमेश शर्मा काऊ ने बताया कि निकाय विस्तार पर आपत्तियो को दूर करने के लिए सरकार ने 11 मार्च को एक समिति गठित की है। निकायों के सीमा विस्तार का विरोध कर रहे लोगों को एक हफ्ते का समय दिया गया है। इस समिति में वो अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

इस अवधि में जो भी शिकायतें समिति के पास आएंगी, उस पर अगले एक हफ्ते में यानी 19 मार्च से 25 मार्च तक सुनवाई की जाएगी। राज्य सरकार को पूरी उम्मीद है कि इस तरह वो लोगों की आपत्तियां दूर कर अप्रैल में प्रस्तावित निकाय चुनाव समय पर पूरा करा लेंगे।

बीजेपी नेता उमेश शर्मा काऊ का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक जब तक कोई बहुत बड़ी मुश्किल न आए, चुनाव टाले नहीं जाने चाहिए। इसलिए निकाय चुनाव अपने तय समय पर ही होंगे। बीजेपी नेता उमेश शर्मा उम्मीद जताते हैं कि पिछले वर्ष विधानसभा चुनाव की तरह ही निकाय चुनाव में भी उनकी पार्टी के समर्थित प्रत्याशी विजयी होंगे। उनका कहना है कि हमारे कार्यकर्ता ज़मीनी स्तर पर कार्य कर रहे हैं इसलिए निकाय चुनाव में सफलता जरूर मिलेगी।

राज्य में कुल 92 स्थानीय निकाय हैं। इनमें आठ नगर निगम, 41 नगर पालिका परिषद और 43 नगर पंचायतें हैं। इनमें से चार को छोड़कर 88 पर चुनाव होना है। पिछले वर्ष त्रिवेंद्र सरकार ने 46 निकायों का विस्तार करने की अधिसूचना जारी की थी। जिसमें 40 से अधिक गांवों विस्तार में शामिल होने का विरोध कर रहे थे।

39 गांवों ने नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। गांवों का विरोध इस बात को लेकर था कि इस तरह उन पर गृह कर जैसे टैक्स लग जाएंगे। जबकि उनके पास शहर की बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। शहर का हिस्सा बनकर गांवों को मिलने वाली मनरेगा जैसी योजनाओं का लाभ भी उन्हें नहीं मिलेगा। जबकि सरकार लोगों को आश्वस्त करने की कोशिश कर रही थी कि शहर में शामिल होन से गांवों का अधिक विकास होगा। ज्यादा सुविधाएं मिलेंगी। राज्य के साथ केंद्र की सुविधाओं का भी लाभ मिलेगा।

कांग्रेस ने निकाय विस्तार पर हाईकोर्ट के आदेश का स्वागत किया है। प्रदेश कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि अप्रैल में चुनाव करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। लेकिन ये सरकार पर निर्भर करता है कि वो कितनी त्वरित गति से कार्य करते हैं। कांग्रेस के मुताबिक निकाय विस्तार में सरकार ने हठधर्मिता का परिचय दिया और एक तरह से नादिरशाही फरमान जारी किया है। कोर्ट ने इसे रोकने का कार्य किया है। जोशी का कहना है कि विस्तार से पहले गांवों में बुनियादी ढांचा तैयार करना चाहिए। लोगों को नगरीय सुविधाएं मुहैया करानी चाहिए इसके बाद ही विस्तार का फैसला उचित होता।

निर्वाचन आयोग का भी कहना है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी तय समय पर चुनाव कराने में कोई दिक्कत नहीं है। निर्वाचन आयोग ने सरकार को प्रारंभिक कार्यक्रम भी भेज दिया है। सरकार से परामर्श के बाद निर्वाचन आयोग चुनाव की तारीख तय करेगी। प्रदेश में मौजूदा निकायों का गठन चार मई 2013 को हुआ था। इसलिए निर्वाचन आयोग को चार मई 2018 तक राज्य के सभी निकायों में चुनाव के बाद बोर्ड का गठन करना है।

ऐसा भी हो सकता है कि निकाय चुनाव दो चरणों में कराए जाएं। क्योंकि 88 में से 47 निकाय ऐसे हैं जहां सीमा विस्तार नहीं हुआ है। सीमा विस्तार की जद में आऩे वाले निकायों में चुनाव के लिए सरकार को कुछ समय मिल सकता है। चुनाव के लिए सरकार और निर्वाचन आयोग तक पूरी तैयारी कर चुके हैं। आरक्षण को लेकर भी तैयारी की जा चुकी है। हालांकि सरकार को इसक लिए भी समय की जरूरत पड़ेगी। फिलहाल 18 मार्च को निर्वाचन आयोग मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन करेगा। हाईकोर्ट के फैसले के बाद उपजी इस नई स्थिति में सरकार को जन सुनवाईयों के ज़रिये लोगों की आपत्तियां दूर करनी होंगी।

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