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गृहमंत्री बोले-कश्मीर में गिरती है खून की एक बूंद तो नहीं आती रात भर नींद
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर में छोटे छोटे बच्चों और नौजवानों के हाथ में पत्थर देख कर पीड़ा होती है। उन्होंने कहा कि मैं प्रार्थना करता हूं कि मेरे कश्मीर के बच्चों के हाथ में पत्थर न दें। राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर में जब बाढ़ आई थी तो इसी सेना ने अपनी जान की बाजी लगाकर सभी को सुरक्षित बाहर निकाला था। कश्मीर के लोगों को भी उनका सम्मान करना चाहिए
लखनऊ: गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि हमें सिर्फ कश्मीर की जमीन से ही प्यार नहीं है, वहां के नागरिकों से भी प्यार है। कश्मीर में अगर खून की एक बूंद भी गिरती है, तो रात भर नींद नहीं आती। गृहमंत्री ने कहा कि जिन हाथों में किताबें होनी चाहिएं, उनमें हिंसा फैलाने वालों ने पत्थर दे दिए। राजनाथ सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय में छत्रपति शिवाजी की मूर्ति के अनावरण के मौके पर बोल रहे थे।
हिंसा से पीड़ा
-गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि कश्मीर में छोटे छोटे बच्चों और नौजवानों के हाथ में पत्थर देख कर पीड़ा होती है।
-उन्होंने कहा कि मैं प्रार्थना करता हूं कि मेरे कश्मीर के बच्चों के हाथ में पत्थर न दें।
-गृहमंत्री ने कहा कि कश्मीर हिंसा को लेकर नेताओं पर फर्क न पड़ने की बात कही जाती है, लेकिन सच यह है कि कश्मीर में हिंसा होती है, खून बहता है तो नींद नहीं आती।
-राजनाथ सिंह ने कहा की कश्मीर के लोगों को याद रखना चाहिए कि जब बाढ़ आई थी तो इसी सेना ने अपनी जान की बाजी लगाकर सभी को सुरक्षित बाहर निकाला था। कश्मीर के लोगों को भी उनका सम्मान करना चाहिए
प्रेरणा हैं छत्रपति शिवाजी
-गृहमंत्री लखनऊ विश्वविद्यालय में छत्रपति शिवाजी की मूर्ति का अनावरण करने के बाद छात्रों को संबोधित कर रहे थे।
-उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाएं ज्ञान के साथ प्रेरणा का भी केंद्र होती हैं। शिवाजी एक महान प्रेरणा पुरुष थे, जो मुझे हमेशा प्रेरित करते हैं।
-युद्धरत होने के बावजूद अगर किसी ने सबसे ज्यादा महिलाओं का सम्मान और मानवीय मूल्यों को महत्व दिया है, तो वह शिवाजी ने।
-शिवाजी ने ही देश में पहली बार राष्ट्रीय चेतना जाग्रत की थी। छात्रों से कहना चाहता हूं कि शिवाजी की तरह कभी हार न मानें।
-मंदिर में पूजा करना या मस्जिद में इबाबत करना ही अध्यात्म नहीं हैं, मन का बड़ा होना ही अध्यात्म है।
पराक्रम का अहसास
-गवर्नर राम नाईक ने कहा कि यह विश्वविद्यालय अब अपने शताब्दी वर्ष की तरफ जा रहा है। शिवाजी की यह प्रतिमा पराक्रम का एहसास दिलाएगी।
-उन्होंने कहा कि शिवाजी ने अपने बेटे संभा जी को भी नज़रबंद करवा दिया था। इससे यह समझा जा सकता है कि वह कितने अनुशासनप्रिय और सख्त थे।
-राज्यपाल ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि हालांकि लॉ एंड आर्डर के लिहाज से अंग्रेजों का जमाना सच में बेहतर था।