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Horse Trading in Indian Politics: केजरीवाल को क्यों सता रहा था हॉर्स ट्रेडिंग का डर, क्या है ये और राजनीति में इस शब्द के क्या मायने हैं
Horse Trading History In Hindi: हॉर्स ट्रेडिंग का इस्तेमाल तब किया जाता है जब कोई राजनीतिक दल अपने विधायकों की संख्या बढ़ाने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं को धन, पद, या अन्य लाभ का लालच देकर अपने पक्ष में मिलाने की कोशिश करता है।
Horse Trading Kya Hai (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
Horse Trading Kya Hai: हॉर्स ट्रेडिंग शब्द का प्रयोग पहली बार 1820 के आसपास किया गया था, जब इसका संबंध राजनीति से नहीं, बल्कि घोड़ों की खरीद-फरोख्त से था। उस समय घोड़ों की बिक्री में बिचौलिए अधिक लाभ कमाने के लिए चालाकी करते थे, जिससे यह शब्द धूर्त सौदेबाजी का प्रतीक बन गया। बाद में, राजनीति में विधायकों और नेताओं को तोड़ने और खरीदने की प्रवृत्ति को ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ (Horse Trading) कहा जाने लगा।
कैसे आया 'आया राम, गया राम' का चलन
1967 में हरियाणा के विधायक गया लाल ने 15 दिनों में तीन बार पार्टी बदली थी। जब वे तीसरी बार कांग्रेस में लौटे, तो कांग्रेस नेता राव बीरेंद्र सिंह ने टिप्पणी की- "गया राम अब आया राम हैं।" तब से भारतीय राजनीति में बार-बार दल बदलने वालों के लिए यह मुहावरा लोकप्रिय हो गया।
राजनीति में हॉर्स ट्रेडिंग का उपयोग
हॉर्स ट्रेडिंग का इस्तेमाल तब किया जाता है जब कोई राजनीतिक दल अपने विधायकों की संख्या बढ़ाने के लिए विपक्षी दलों के नेताओं को धन, पद, या अन्य लाभ का लालच देकर अपने पक्ष में मिलाने की कोशिश करता है।
कैम्ब्रिज डिक्शनरी के अनुसार
कैम्ब्रिज डिक्शनरी में हॉर्स ट्रेडिंग (Horse Trading) को ऐसी अनौपचारिक बातचीत के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें दोनों पक्ष आपसी संधि करते हैं, जिससे दोनों का लाभ हो।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
2014 में, आम आदमी पार्टी (AAP) ने हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि विधायकों की खरीद-फरोख्त को ‘हॉर्स ट्रेडिंग’ क्यों कहा जाता है, इसे ‘ह्यूमन ट्रेडिंग’ क्यों नहीं कहा जाता? यह टिप्पणी भारतीय राजनीति में हॉर्स ट्रेडिंग के गहरे प्रभाव को दर्शाती है।
हॉर्स ट्रेडिंग को रोकने के लिए भारतीय कानून
दल-बदल विरोधी कानून (Anti-Defection Law)
1985 में राजीव गांधी सरकार ने 52वें संविधान संशोधन के तहत दल-बदल विरोधी कानून (Anti-Defection Law) लागू किया। इसके तहत, यदि कोई विधायक अपनी पार्टी छोड़ता है या पार्टी के निर्देशों के विरुद्ध वोट डालता है, तो उसे अयोग्य घोषित किया जा सकता है।
दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधान
यदि कोई विधायक स्वेच्छा से अपनी पार्टी की सदस्यता त्याग दे।
यदि कोई विधायक पार्टी के निर्देशों के खिलाफ जाकर मतदान करे या मतदान से अनुपस्थित रहे।
निर्दलीय विधायक अगर किसी पार्टी में शामिल हो जाए, तो उसे अयोग्य ठहराया जा सकता है।
यदि कोई पार्टी किसी अन्य पार्टी में विलय करना चाहती है, तो उसके कम से कम दो-तिहाई विधायकों की सहमति आवश्यक होगी।
भारत में प्रमुख हॉर्स ट्रेडिंग के मामले (Horse Trading Cases In India)
1. कर्नाटक संकट (2019)
कर्नाटक में 2018 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनी लेकिन बहुमत से दूर थी। इसके बाद कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाई। 2019 में बीजेपी ने कई विधायकों को तोड़कर अपनी सरकार बना ली।
2. मध्य प्रदेश संकट (2020)
2020 में कांग्रेस सरकार में मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया, जिससे कमलनाथ सरकार गिर गई और बीजेपी सत्ता में आ गई। इस घटनाक्रम को हॉर्स ट्रेडिंग का बड़ा उदाहरण माना गया।
3. महाराष्ट्र सरकार गठन (2019-2022)
2019 में शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन (महा विकास अघाड़ी) ने सरकार बनाई। लेकिन 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 40 से अधिक विधायक बीजेपी में शामिल हो गए, जिससे उद्धव ठाकरे सरकार गिर गई।
4. राजस्थान संकट (2020)
राजस्थान में 2020 में कांग्रेस सरकार के खिलाफ हॉर्स ट्रेडिंग के आरोप लगे थे। तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया था कि बीजेपी कांग्रेस विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है। इसके कारण सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों ने बगावत कर दी थी, जिससे सरकार अस्थिर होने की स्थिति में आ गई थी। हालांकि, अंततः गहलोत सरकार बच गई।
5. गोवा और मणिपुर संकट (2017)
2017 में गोवा और मणिपुर में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन बीजेपी ने निर्दलीय और छोटे दलों के समर्थन से सरकार बना ली, जिससे हॉर्स ट्रेडिंग की चर्चा तेज हुई।
हॉर्स ट्रेडिंग के खिलाफ कानून किन देशों में हैं (Laws Against Horse Trading In Different Countries)
भारत ही नहीं, कई अन्य देशों में भी हॉर्स ट्रेडिंग को रोकने के लिए कानून बनाए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:
बांग्लादेश
दक्षिण अफ्रीका
केन्या
हालांकि, विकसित देशों जैसे कनाडा, फ्रांस, जर्मनी और यूनाइटेड किंगडम में ऐसा कोई कानून नहीं है।
क्या है दिल्ली चुनाव से जुड़ा नया विवाद
दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) ने आरोप लगाया कि उनके विधायकों को बीजेपी द्वारा खरीदा जा रहा है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायकों को करोड़ों रुपये का ऑफर दिया जा रहा है, ताकि वे पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो जाएं।
हॉर्स ट्रेडिंग (Horse Trading) राजनीति में एक विवादास्पद प्रक्रिया है, जिसमें विधायकों और सांसदों को धन, पद या अन्य प्रलोभन देकर समर्थन खरीदने की कोशिश की जाती है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए एक गंभीर चुनौती मानी जाती है।
राजनीतिक संदर्भ में, हॉर्स ट्रेडिंग का मतलब होता है विधायकों या सांसदों को किसी विशेष दल या गठबंधन के पक्ष में लाने के लिए दबाव डालना, उन्हें प्रलोभन देना या किसी अन्य तरीके से प्रभावित करना। यह आमतौर पर तब देखने को मिलता है जब चुनावी नतीजों के बाद किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है।
राजनीति में हॉर्स ट्रेडिंग का खतरा क्यों रहता है
सरकार गिराने का प्रयास- अगर किसी सरकार को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है, तो विपक्षी दल उसके विधायकों को तोड़ने का प्रयास कर सकता है।
अस्थिरता का कारण- हॉर्स ट्रेडिंग की वजह से सरकारें अस्थिर हो जाती हैं और बार-बार चुनाव कराना पड़ता है।
लोकतंत्र की कमजोरी- जब निर्वाचित प्रतिनिधि धन या पद के लिए दल बदलते हैं, तो यह जनता के विश्वास को कमजोर करता है।
नैतिक मूल्यों का ह्रास- हॉर्स ट्रेडिंग राजनीतिक मूल्यों और सिद्धांतों को क्षति पहुंचाता है।
हॉर्स ट्रेडिंग को रोकने के उपाय (Ways To Stop Horse Trading In Hindi)
दलबदल विरोधी कानून को सख्त बनाना- वर्तमान कानूनों को मजबूत करना होगा ताकि दल बदल करने वाले विधायकों पर कड़ी कार्रवाई हो।
जनता की जागरूकता- जनता को इस मुद्दे पर जागरूक करना होगा ताकि वे ऐसे नेताओं को समर्थन न दें जो हॉर्स ट्रेडिंग में शामिल होते हैं।
चुनाव सुधार- चुनाव प्रक्रिया में सुधार कर हॉर्स ट्रेडिंग की संभावना को कम किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट की निगरानी- इस तरह के मामलों में उच्चतम न्यायालय को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए।
हॉर्स ट्रेडिंग राजनीति में नैतिकता और लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है। इसे रोकने के लिए मजबूत कानूनों और जन जागरूकता की आवश्यकता है। भारत में विभिन्न राज्यों में हॉर्स ट्रेडिंग की घटनाएं हो चुकी हैं, और इसे नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
हॉर्स ट्रेडिंग भारतीय राजनीति की एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जिससे लोकतांत्रिक मूल्यों पर खतरा मंडराने लगा है। भले ही इसे रोकने के लिए दल-बदल विरोधी कानून बनाया गया है, लेकिन फिर भी राजनीतिक जोड़-तोड़ जारी है। इसे खत्म करने के लिए राजनीतिक दलों को अधिक नैतिक जिम्मेदारी उठानी होगी, ताकि लोकतंत्र की सच्ची भावना बनी रहे।