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S. Ramachandran Pillai Biography: कानून के गहरे जानकार, लेखनी के धनी और एक कद्दावर नेता हैं एस. रामचंद्रन पिल्लई
S Ramachandran Pillai Wiki in Hindi: एस. रामचंद्रन पिल्लई का पूरा राजनीतिक जीवन संघर्षों और आंदोलनों से भरा रहा है। वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के विचारधारात्मक आधार को मजबूत करने में एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं।
S Ramachandran Pillai Wiki in Hindi: एस. रामचंद्रन पिल्लई भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के एक प्रमुख नेता हैं, जिन्होंने केरल की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एस. रामचंद्रन पिल्लई केरल के एक कद्दावर राजनीतिज्ञ के तौर पर अपनी पहचान रखते हैं । वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पूर्व पोलित ब्यूरो सदस्य रहें हैं। वे अखिल भारतीय किसान सभा (किसान संघ) के पूर्व महासचिव थे और वर्तमान में संगठन के उपाध्यक्ष हैं। उन्हें 1975-1976 में आपातकाल के दौरान जैसे कई मौकों पर जेल जाना पड़ा। एस. रामचंद्रन पिल्लई का जन्म
7 फरवरी 1938 (आयु 86)
अलप्पुझा , त्रावणकोर , ब्रिटिश भारत में हुआ था। उन्होंने 1966 में रेथम्मा से विवाह किया और उनके तीन बच्चे हैं - बृंदा, बिपिन चंद्रन और बिजॉय चंद्रन। उनकी पत्नी की मृत्यु 2006 में हो गई। उनका कार्यक्षेत्र दिल्ली है लेकिन अपने राजनीतिक कार्यों के लिए पूरे देश में व्यापक रूप से यात्रा करते हैं।
एस. रामचंद्रन पिल्लई की शिक्षा
एसआरपी के नाम से मशहूर वे अलपुझा के रहने वाले हैं। उन्होंने एसडी कॉलेज अलपुझा से बीए और तिरुवनंतपुरम और एर्नाकुलम के लॉ कॉलेजों से कानून की पढ़ाई पूरी की।
एसआरपी के नाम से मशहूर एस. रामचंद्रन पिल्लई कम्युनिस्ट पार्टी में अलपुझा के रहने वाले हैं।
एस. रामचंद्रन पिल्लई का ऐसा रहा है राजनीतिक कैरियर
उनका राजनीतिक करियर केरल छात्र आंदोलन और वामपंथी ट्रेड यूनियन आंदोलनों से शुरू हुआ था, जिसके बाद वे कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के एक मजबूत स्तंभ बने। वे पार्टी के विचारधारात्मक और संगठनात्मक मुद्दों पर गहरी पकड़ रखने वाले नेता माने जाते हैं।एस. रामचंद्रन पिल्लई 1956 में कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए, जहां उन्हें 1968 से 1974 तक केरल स्थित सोशलिस्ट यूथ फेडरेशन (उस समय केरल में सीपीआई (एम) की युवा शाखा) के महासचिव के रूप में पदोन्नत किया गया था। वे 1987 से 1991 तक सीपीआई (एम), देशाभिमानी के मलयालम दैनिक अंग के मुख्य संपादक भी रहे। एसआरपी ने 1991 और 1987 में चुने गए दो बार राज्यसभा में सीपीआई (एम) का प्रतिनिधित्व किया है। वे 1992 से 2022 तक भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के पोलित ब्यूरो सदस्य थे।
संघर्ष और योगदान
एस. रामचंद्रन पिल्लई का पूरा राजनीतिक जीवन संघर्षों और आंदोलनों से भरा रहा है। वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के विचारधारात्मक आधार को मजबूत करने में एक महत्त्वपूर्ण स्तंभ रहे हैं। उन्होंने कई दशकों तक माकपा के संगठन को मजबूत करने, किसान और मजदूर आंदोलनों का नेतृत्व करने और वामपंथी राजनीति को नई दिशा देने का कार्य किया। उनका योगदान सिर्फ पार्टी संगठन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने मार्क्सवादी विचारधारा के प्रचार-प्रसार, वामपंथी एकता और समाजवाद की दिशा में भी महत्वपूर्ण कार्य किए। उनकी छवि हमेशा एक समर्पित मार्क्सवादी कार्यकर्ता और एक सिद्धांतवादी नेता के रूप में बनी रही। उन्होंने अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष के रूप में भी किसानों के हक में कई आंदोलनों का नेतृत्व किया। ये हमेशा श्रमिकों, किसानों और मेहनतकश वर्ग के अधिकारों के लिए खड़े रहे। वे पार्टी के भीतर एक सैद्धांतिक नेता माने जाते हैं, जिन्होंने मार्क्सवादी विचारधारा को मजबूत करने में अहम योगदान दिया।
ये थे इनके जेल जाने का कारण
एस. रामचंद्रन पिल्लई को कई बार अपने राजनीतिक संघर्षों के कारण जेल जाना पड़ा। वामपंथी आंदोलन और ट्रेड यूनियन संघर्षों में उनकी सक्रिय भागीदारी के चलते उन्हें सरकारों के दमन का सामना करना पड़ा।
आपातकाल के दौरान गिरफ्तारी (1975-77)
1975 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया, तब विपक्षी दलों के नेताओं और वामपंथी कार्यकर्ताओं को बड़े पैमाने पर गिरफ्तार किया गया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने आपातकाल के विरोध में जबरदस्त संघर्ष किया, जिसके चलते पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को जेल में डाल दिया गया। इसी दौरान एस. रामचंद्रन पिल्लई को भी गिरफ्तार कर जेल भेजा गया।
किसान और श्रमिक आंदोलनों में भूमिका
वामपंथी आंदोलनों और ट्रेड यूनियन संघर्षों में उनकी भागीदारी के कारण भी उन्हें कई बार पुलिस दमन का सामना करना पड़ा। केरल और अन्य राज्यों में किसानों और मजदूरों के अधिकारों के लिए किए गए आंदोलनों में वे अग्रणी रहे, जिसके चलते उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया। ये एक सफल नेता होने के साथ ही छात्र जीवन से ही एक कुशल लेखक भी रहें हैं। यही वजह है कि
इनकी अब तक मलयालम और अंग्रेजी में दो पुस्तकें और कई लेख प्रकाशित हो चुके हैं।
सोवियत संघ, जर्मनी, जापान, चीन, सिंगापुर, वियतनाम, रोमानिया, बुल्गारिया, श्रीलंका, इंडोनेशिया, संयुक्त अरब अमीरात और सीरिया का दौरा किया।
आरएसएस प्रचारक का लग चुका है इल्जाम
सीपीएम पोलीब्यूरो के सदस्य एस रामचंद्रन पिल्लई ने स्वीकार किया है कि जब वे युवा थे तो आरएसएस की शाखा में जाते थे। यह बयान जन्मभूमि प्रकार दैनिक के समाचार संपादक पी श्रीकुमार द्वारा लिखे गए एक लेख के जवाब में दिया।
पिल्लई ने कहा कि वह 15 साल की उम्र तक आरएसएस शाखा का हिस्सा थे और 18 साल की उम्र में ही वह कम्युनिस्ट पार्टी में भी शामिल रहें हैं। तब केरल के सीपीएम नेता एस रामचंद्रन पिल्लई एक आरएसएस प्रचारक हुआ करते थे और अनुभवी आरएसएस प्रचारक पी. माधवन के साथ उनके संबंध काफी अच्छे हुआ करते थे। उस वक्त सभी स्वयंसेवक पी. माधवन को माधवजी कहकर बुलाते थे।
जन्मभूमि के वरिष्ठ संपादक ने सीपीएम के राज्य सचिव बालाकृष्णन के एक बयान के जवाब में लेख लिखा था जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि राज्य के विपक्ष के नेता और कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े थे। उस वक्त इस लेख ने राज्य में एक राजनीतिक विवाद शुरू कर दिया था। एस. रामचंद्रन पिल्लई भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के एक प्रमुख नेता हैं, जिन्होंने पार्टी में कई महत्वपूर्ण पदों को संभाला है। उनके द्वारा निभाए गए प्रमुख पद में वे लंबे समय तक पोलित ब्यूरो सदस्य रहे। पिल्लई ने पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली इकाई, पोलित ब्यूरो, के लिए सदैव याद किए जाते रहेंगे।
वहीं केरल की राजनीति साधने के लिए केंद्रीय समिति के सदस्य के तौर पर पार्टी की केंद्रीय समिति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन पदों के माध्यम से, एस. रामचंद्रन पिल्लई ने पार्टी के संगठनात्मक ढांचे में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।