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मोदी के नए मंत्रिमंडल में JDU-शिवसेना नदारद, कहा- ये तो BJP का कैबिनेट विस्तार
काफी राजनीतिक चर्चा और बयानबाजी के बावजूद मोदी कैबिनेट के रविवार को हुए फेरबदल में हाल ही में एनडीए में शामिल हुए नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को जगह नहीं मिली।
लखनऊ : काफी राजनीतिक चर्चा और बयानबाजी के बावजूद मोदी कैबिनेट के रविवार को हुए फेरबदल में हाल ही में एनडीए में शामिल हुए नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) को जगह नहीं मिली।
केंद्रीय कैबिनेट विस्तार की पिछले एक सप्ताह पहले शुरू हुई चर्चा के साथ ही इस पर भी बहस शुरू हो गई थी कि नीतीश कुमार की पार्टी के कितने लोग मोदी कैबिनेट में शामिल होंगे। एक या दो? राजनीतिक हलकों में लगातार दो लोगों के शामिल होने की चर्चा होती रही। चर्चा तो ये भी हो रही थी कि लालू प्रसाद यादव के बाद कोई बिहारी ही रेल मंत्री होगा।
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कैबिनेट विस्तार के एक दिन पहले ये बात सामने आई कि नीतीश कुमार की पार्टी को आमंत्रण नहीं दिया गया है जबकि बीजेपी सूत्रों का कहना था कि इसमें पहल जेडीयू को करनी थी कि उनकी पार्टी से किसे मंत्री बनाया जाए।
राजनीति में यदि कुछ हिसाब से नहीं होता तो बहुत तरह की बातें सामनें आती हैं। यही हाल इस कैबिनेट विस्तार में भी हो गया। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का सहयोगी दलों के साथ समन्वय ठीक नहीं बैठ सका। महाराष्ट्र में 18 लोकसभा सदस्यों वाली शिवसेना मोदी कैबिनेट में तीन जगह मांग रही थी, जो देना संभव नहीं था।
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यदि पीएम मोदी शिवसेना की बात मानते तो उन्हें नीतीश कुमार की शर्त भी मानती पड़ती। संभवत: इस बात का पता किसी को नहीं कि जेडीयू की शर्त क्या थी। लेकिन ये चर्चा थी कि जेडीयू की ओर से वशिष्ठ नारायण सिंह और के सी त्यागी को मंत्री बनाया जा सकता है। राजनीतिक जानकारों के अनुसार, संभवत: पीएम ने इसीलिए सहयोगी दलों के किसी सांसद को मंत्री बनाने का विचार त्याग दिया। विस्तार में जगह पाने वाले सभी लोग बीजेपी के ही हैं।
शिवसेना के सजय राउत ने कैबिनेट विस्तार पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि ये बीजेपी का कैबिनेट विस्तार है। सहयोगी दलों का इससे कोई लेना देना नहीं। इसका एनडीए से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने कहा कि हो सकता है यह बहुमत का अहंकार हो, लेकिन हम इस पर ध्यान नहीं दे रहे। उनका बहुमत है तो अपने हिसाब से सरकार चलाएं। जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा कि यह बीजेपी के अंदर का फेरबदल है, एनडीए का नहीं है। इसलिए हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।
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दूसरी ओर नीतीश के विरोधी लालू प्रसाद यादव ने कैबिनेट में जगह नहीं मिलने पर उन पर निशाना साधा और कहा कि नरेंद्र मोदी ने ठेंगा दिखा दिया। यदि कोई बंदर समूह से अलग हो जाता है तो उसे कहीं जगह नहीं मिलती और यही नीतीश कुमार के साथ हुआ है ।
हालांकि, ये नहीं लगता कि जेडीयू के सरकार में शामिल नहीं होने से दोनो दलों के रिश्ते पर कोई असर होगा क्योंकि नीतीश कुमार राजनीति के बिसात पर अपनी अंतिम चाल चल चुके हैं । बीजेपी से जुड़े रहने के अलावा उनके पास कोई चारा भी नही है।
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